प्राचीन काल में भारतवर्ष को सोने की चिड़िया कहा जाता था, यही वजह है अलग अलग समय पर विदेशी आक्रांता भारत पर आक्रमणकरते आऐ थे।इन आक्रमणकारियों ने यहाँ सिर्फ़ धन और वैभव को ही नहीं लूटा, बल्कि भारत की प्राचीन संस्कृति और धर्म को नष्टकरने के लिये हिंदुओं पर तरह तरह के अत्याचार किये, हज़ारों मंदिरों का विध्वंस किया, क्रूरता पूर्वक हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तनकिया, साहित्य और पुस्तक संग्रह को जला दिया।सबसे ज़्यादा हृदयविदारक दृश्य होता था, जब हमारी संस्कृति और सभ्यता पर प्रहारकरने के लिये मंदिरों का विध्वंसकरके उसी स्थान पर मस्जिद का निर्माण कर दिया जाता था।शताब्दियों तक अमानवीय अत्याचारसहने के बाद भी भारतवर्ष के हिंदुओं ने सनातन धर्म की सुरक्षा के लिये किसी तरह की घेराबंदी नहीं कि, और नाहीं किसी तरह काप्रतिबंध लगाया।देश के विभाजन होने के बाद भी हिंदुओं ने “हिंदू राष्ट्र” का निर्माण नहीं किया, जबकि विदेशी आक्रांताओं के धर्म केविस्तार के लिये भारत की ज़मीन को क़ब्ज़ा कर इस्लामिक राष्ट्र पाकिस्तान और बांग्लादेश बना दिया गया।
शताब्दियों तक दमन और उत्पीड़न सहने के बाद भी भारतवर्ष के हिंदुओं ने, विभाजन के बाद, विदेशी धर्मों का समावेश करते हुऐ, भारतवर्ष को संवैधानिक रुप से धर्म निरपेक्ष रखने का निर्णय लिया, जबकि दूसरी तरफ़ पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं परअत्याचार बदस्तूर जारी रहा। पाकिस्तान के हिंदु जो विभाजन के समय लगभग 20% हुआ करते थे वो घटकर 2% से भी कम हो गये, बांग्लादेश से भी हिंदुओं की संख्या ऐसे ही घटती जा रही है। जबकी भारतवर्ष में मुस्लिमों की जनसंख्या 8% से बढ़कर लगभग 20% होगई है। भारतवर्ष के कश्मीर राज्य में भी हिंदुओ का नरसंहार अमानवीय रुप से 90 के दशक में हुआ था। आज भी बचे हुए कश्मीरी हिन्दूअपने ही देश में शरणार्थी बनकर रह रहे हैं। विडंबना यह है कि शताब्दियों तक दमन और उत्पीड़न की कहानी के बावजूद भी हिंदुओं कोबदनाम करने के लिये भारतवर्ष में ही एक षड्यंत्र रचा जाता है। इस षड्यंत्र का जाल कही और नहीं बल्कि बॉलिवुड में बुना जाता है।हिंदु विरोधी षड्यंत्र के प्रचार प्रसार को वॉलिवुड में अभिव्यक्ति की आज़ादी कहते हैं।
फ़िल्मों के बाद, आज कल वेब श्रृंखला (Web series) को ‘हिंदु विरोधी अभियान’ का हथियार बनाया गया है। पाताल लोक, वेबश्रृंखला में मुस्लिम अपराधियों को हिंदू के रूप में दर्शाया गया है, वह भी पूजा पाठ करने वाला ब्राह्मण। मुख्य अपराधी मोहम्मदशोहराबुद्दीन था जिसे ग्वाला गुर्जर के रूप में दिखाया गया था। जबकि वास्तव में शोहराबुद्दीन नाम का अपराधी, लालू प्रसाद यादव कादाहिना हाथ हुआ करता था। आईएसआई (ISI) के साथ संबंध सत्य घटना था, जबकि पाताल लोक में यह साबित कर दिया गया किसीबीआई ने केस को बंद करने के लिए झूठा केस बनाया। ‘पाताल लोक’ में जब एक मुस्लिम को एक अपराधी के रुप में दर्शाया गयातो उसके चारों तरफ़ सहानुभूति का जाल बुन दिया गया। एक अन्य श्रृंखला “कृष्ण और उनकी लीला” में एक पुरुष चरित्र दिखाया गयाहै जिसका कई महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध है, उनमें से एक महिला का नाम राधा होता है। हिंदु देवी देवताओं के अपमान करनेका दुस्साहस बार बार ऐसे वेब श्रृंखला में हो रहा है जिसकी बाढ़ सी आई हुई है।
प्रश्न ये उठता है, हिंदुओं के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार और हिंदु देवी देवताओं के अपमान को हिंदु समाज क्यों सह लेता है? क्या ऐसा कोई हिंदुया हिंदुओं का समूह नहीं है जो इस हिंदू विरोधी प्रचार के खिलाफ खड़ा हो। ऐसे नकारात्मक माहौल में एक नेतृत्व है, विश्व हिंदु परिषदके प्रवक्ता श्रीराज नायर, जिन्होंने हिंदू विरोधी प्रचार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। श्रीराज नायर ने नेटफ्लिक्स को एक पत्रलिखा है जिसमें उन्होंने कानूनी लड़ाई और सड़क आंदोलन की चेतावनी दी है। उन्होंने निर्माता और निर्देशकों के नामों के साथ पांच वेबश्रृंखला लीला, घाऊल, चिप्पा, सेक्रेड गेम्स और कृष्णा एंड हिज़ लीला (Leila, Ghoul, Chippa, Sacred Games and Krishna & His Leela) का हवाला दिया, जिसमे हिंदु धर्म को अपमानजनक रूप से चित्रित करते हुए, निशाना बनाया गया है। सुजीत नायर से बातकरते हुए, श्री राज नायर ने पूछा, क्या आप जानते हैं कि चार्ली हेब्दो के साथ सिर्फ एक कार्टून की वजह से क्या हुआ था? उन्होंने पूछा, यहां तक कि लगभग अश्लील रुप से हिंदूओं को दिखाए जाने के बावजूद भी किसी हिंदु ने एक पत्थर भी नहीं मारा?
पाकिस्तान और बांग्लादेश मे इस्लाम की स्थापना होने के बाद, भारत के मस्जिद बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करनाज़रूरी नहीं समझते, जिसने मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने का आदेश दिया है। 24 जून को, जब 25 वर्षीय छात्रा, मुंबई के मानखुर्दनिवासी करिश्मा भोसले ने अपने पड़ोस में एक मस्जिद से अज़ान के लाउडस्पीकर की आवाज कम करने का अनुरोध किया, तो वहाँ केमुस्लिम उसे प्रताड़ित करने लगे। ऐसे में श्रीराज नायर इस बहादुर लड़की की मदद के लिये आगे आऐ, और विश्व हिंदू परिषद के कानूनीप्रकोष्ठ और बजरंगदल के संयोजक करिश्मा भोंसले के साथ शिकायत दर्ज कराने के लिए चेंबूर गए। ये दुर्भाग्यपूर्ण था कि मस्जिद सेग़ैरक़ानूनी रुप से स्थित लाउडस्पीकर हटाने के बजाय, जो करिश्मा की पढ़ाई लिखाई में बाधा डाल रहा था, मुंबई पुलिस ने करिश्माभोसले और उसकी मां को नोटिस जारी किया था। पुलिस द्वारा इस अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते हुऐ श्रीराज नायर ने माननीयराज्यपाल श्री भगत सिंह कोशियारी से मिलकर मानखुर्द के अवैध लाउडस्पीकर मुद्दे के बारे में उनको अवगत कराया।
अब बात करते हैं इरफ़ान पठान कि जो कि पूर्व क्रिकेटर हैं। उनके बड़े भाई यूसुफ पठान भी क्रिकेटर हैं, इसका मतलब ये हुआ कि दोनोंभाई, बिना किसी भेदभाव के भारतीय क्रिकेट टीम में चुने गए थे। ये कहने कि ज़रूरत नहीं है कि जब जब पठान बंधूओं ने क्रिकेट केमैदान पर बढ़िया प्रदर्शन किया तो भारत के लोगों ने इन्हें सर आँखों पर बिठा लिया। नाम, पैसा और प्रसिद्धि अर्जित करने के बादइरफ़ान पठान ने भारत के गैर मुसलमानों पर नस्लवादी होने का आरोप लगा दिया। उन्होंने ट्वीट किया: “जातिवाद त्वचा के रंग तक हीसीमित नहीं है। हाउसिंग सोसाइटी में सिर्फ इसलिए घर खरीदने की अनुमति नहीं है क्योंकि आपका धर्म अलग है ये भी एक अलगनस्लवाद का हिस्सा है… जब बाक़ी के बुद्धिजीवियों ने इस पर चुप्पी साध ली तो श्रीराज नायर ने पूछा कि क्या मुसलमान मंगल औरबृहस्पति ग्रह पर रह रहे हैं? कितनी आसानी से, इरफ़ान पठान भूल गए कि कश्मीर और मेवात में हिंदुओं के साथ क्या हुआ, जो हिंदूमुक्त स्थान बन गए हैं।
हिंदू विरोधी लॉबी बहुत अच्छी तरह से संगठित है, जिसको हिदु विरोधी ताक़तें, हिंदुओं को बदनाम करने के लिये फंड करती है। इस देशका कड़वी सच्चाई है कि इस्लाम पर चुटकुले नहीं लिखे जा सकते, लेकिन हिंदू असहिष्णु हैं। आतंकवादियों के अंतिम संस्कार कोविशाल उपस्थिति के साथ महिमामंडित किया जाता है, लेकिन हिंदू सांप्रदायिक हैं। भारत को श्रीराज नायर जैसे नेता की आवश्यकताहै, जो हिंदूओं पर हो रहे निरंतर अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते रहे।