30.1 C
New Delhi

सुशांतसिंह, बॉलीवुड और माफिया गैंग – रहस्य से पर्दा उठना ज़रूरी है।

Date:

Share post:

“काली स्याह रात से उजाले की आशा” इस समय जो सबसे ज़्यादा चर्चित विषय मीडिया में और सोशल मीडिया में है वो है सुशांतसिंह राजपूत की हत्या हुई है या उन्होंने आत्महत्या की है? जैसे जैसे जाँच आगे बढ़ रही है और सुशांत के साथ लिव इन में रह रही उसकी तथाकथित गर्लफ्रैंड रिया चक्रवर्ती जिस तरह के विरोधाभासी बयान दे रही है, जिस तरह से महाराष्ट्र सरकार इस मामले को दबाने की भरपूर कोशिश में लगी थी उससे लगता है कि मामला सिर्फ सुशांत की मौत की गुत्थी सुलझाने तक ही सीमित नहीं रहेगा। अगर ईमानदारी से जाँच हुई तो संभव है कि बॉलीवुड में  चल रहे गोरखधंधे का भी खुलासा हो जाये और रुपहले पर्दे के पीछे का काला सच भी दुनिया के सामने आ जाये। रेव पार्टी, सेक्स, ड्रग्स, शराब, अनैतिक, अप्राकृतिक संबंध तो मानों इस इंडस्ट्री का अनिवार्य अंग है और जो भी इस इंडस्ट्री में फला फूला है, ऊँचाइयों पर पहुँचा है, उसे इन्हीं सबसे दो चार होते हुए आना पड़ा है और आज वो इन सबमें इतने रच बस गए हैं कि ये सब उनके लिए सामान्य घटना है बल्कि ऐसा न करने वाला उनके लिए एक असामान्य व्यक्ति है। कपड़ों की तरह यहाँ रिश्ते बदल दिए जाते हैं और गिरगिट से भी तेज गति से लोगों के रंग बदल जाते हैं। आमतौर पर आप किसी से संपर्क ना करें और कोई काम पड़ने पर अपने किसी मित्र या रिश्तेदार को याद करें तो कहा जाता है – अच्छा काम पड़ा तो याद कर लिया, कभी बिना काम के भी याद कर लिया करो। वहीं इस इंडस्ट्री का अलग हिसाब है, यहाँ बिना काम के याद करने वाले को या केवल संबंधों को जीवित बनाये रखने के लिए की गई मेल, मुलाकात या फोन को फालतू समझा जाता है। काम है तो याद करो वरना मत याद करो। फिल्मी दुनिया बाहर से जितनी चकाचौंध भरी है, अंदर से उतनी ही बदसूरत, गंदगी से भरी पड़ी है।

समय के साथ यहाँ बिना फिल्मी पृष्ठभूमि के, केवल प्रतिभा के दम पर आगे बढ़ना मुश्किल से मुश्किल होता चला जा गया। वरना एक वो दौर था जब इलाहाबाद (प्रयागराज) से निकलकर एक लड़का सुपरस्टार अमिताभ बच्चन बन जाता है। पंजाब के छोटे से गाँव से निकलकर एक बलिष्ठ, सुंदर आदमी सदाबहार हीरो धर्मेंद्र बन जाता है, दिल्ली की गलियों से निकलकर टीवी सीरियल में काम करते हुए एक लड़का शाहरुख खान बन जाता है और बैंकॉक के होटल में वेटर का काम करने वाला एक लड़का अक्षय कुमार बन जाता है। समय के साथ साथ इंडस्ट्री में पैर जमा चुके रसूखदारों ने अपनी ही नाकारा संतानों को ज़बरदस्ती दर्शकों पर थोपना शुरू कर दिया। उनके रसूख के कारण ही लगातार फ्लॉप फिल्में देने के बावजूद ऐसी नाकारा फिल्मी संतानों को काम मिलता जा रहा है और बाहर से आये प्रतिभाशाली कलाकारों, लेखकों, गीतकारों, संगीतकारों को या तो संघर्ष करना पड़ रहा है या अपनी नैतिकता को ताक पर रखकर वो सब करना पड़ रहा है जो उनसे करवाया जा रहा है। ऐसे बहुत से कलाकार हैं जो होटलों, छोटे छोटे ड्रामा, नाटकों में ही काम करने को मजबूर हो गए और जानें कितने ही गुमनामी के अंधेरों में लौटने को मजबूर हो गए। जिस तरह से रिया चक्रवर्ती जैसी मामूली सी लड़की को बचाने, महिला होने के कारण ‘नरमी बरतने’ उसके इंटरव्यू आयोजित करवाने, 10 लाख रुपये रोज़ की फीस लेने वाले वकील की व्यवस्था की गई है, उससे ये मामला अब उतना आसान नहीं रह गया है। राजनीति तो यूँ भी सदैव फायदे नुकसान के सिद्धांत पर ही चलती है और कई बारी लंबे फायदे के लिए तात्कालिक नुकसान को भी सहन करने का रिवाज़ राजनीति में सदैव होता आया है।

अब मामले की जाँच सीबीआई कर रही है, जिसकी माँग पूरे देश से उठ रही थी और टीआरपी के लिए पागल मीडिया अब अपने कैमरामैन और रिपोर्टर को सीबीआई की टीम के पीछे पीछे दौड़ा रहा है क्योंकि सबको ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ सबसे पहले देने की होड़ है।देश को दिल्ली का आरुषि- हेमराज मर्डर केस भी याद होगा। सन 2008 में हुए इस दोहरे हत्याकांड ने पूरे देश में तहलका मचा दिया था। इस केस में सीबीआई ने अंततः आरुषि के माता पिता राजेश और नूपुर तलवार को मुख्य अभियुक्त माना इसके बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने तलवार दंपत्ति को आजीवन कारावास का दंड दिया परंतु वर्ष 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई के सबूतों को खारिज करते हुए तलवार दंपत्ति को बरी कर दिया। आज 12 वर्षों बाद भी आरूषि हेमराज हत्याकांड एक अनसुलझा रहस्य है। ऐसा ही कहीं सुशांतसिंह मामले में न हो, वरना आगे भी कई सुशांत ऐसे ही मरते, मारे जाते रहेंगे और फिल्मी दुनिया में गंदगी का वही दौर बदस्तूर जारी रहेगा। इस एक मामले के खुलासे से ये तय होगा कि बॉलीवुड में आगे भी डी-गैंग, कुछ तथाकथित घरानों, खानों, दलालों, मौकापरस्तों का दबदबा रहेगा या बॉलीवुड इन सबसे मुक्त होकर फिल्मी दुनिया में एक मुकाम हासिल करने का सपना लिए देश के अलग अलग हिस्सों से मुंबई आने वाले लोगों के सपने पूरे करेगा या केवल एक सपना ही बनकर रह जायेगा। क्या इस काली स्याह रात से उजाले की किरण जीत पाएगी?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

Another Hindu temple vandalized in Canada with Anti-India Grafitti & Khalistan referendum posters

A Hindu temple in Canada's Edmonton was defaced with anti-India graffiti on Monday. The BAPS Swaminarayan Temple was...

Trump Assassination Attempt – US Presidential Elections will change dramatically

Donald Trump survived a weekend assassination attempt days before he is due to accept the formal Republican presidential...

PM Modi’s visit to Russia – Why West is so Worried and Disappointed?

The event of Russian President Vladimir Putin giving royal treatment to Prime Minister Narendra Modi during his two...

An open letter to Rahul Gandhi from an Armed Forces veteran

Mr Rahul Gandhi ji, Heartiest Congratulations on assuming the post of Leader of the Opposition in Parliament (LOP). This...