राहत कुरैशी उर्फ़ राहत इन्दोरी का 11 अगस्त 2020 को निधन हो गया | एका एक लोगो द्वारा उनके कई शायरियां याद किये जानी लगी, उनके बारे मीडिया में कई खबरे प्रसारित की गई | लेकिन उनके बारे में कई ऐसी बातें है जो ज्यादा लोगो को पता नहीं है | कहने को शायर थे लेकिन उनकी शायरी से जहर उगलने वाली बातें कही गई है, बात तब की है जब अटल बिहारी बाजेपयी जी का घुटनो का ऑपरेशन हुआ था, तब उनके बारे में बहुत ही घटिया टिपण्णी की गयी थी, तब इसी राहत इंदौरी ने अटल जी को दो कौड़ी का व्यक्ति बोला, ऐसी थी इनकी सोच, उसी शायरी में राहत साहब ने ये बोला कि तुलसीदास जी ने रामचरित्रमानस मस्जिद में बैठ कर लिखी थी और उसके बाद बड़े ही घटिया अंदाज में वानर सेना का अपमान किया , ऐसी घटिया शायरी के लिए किसी ने इनका विरोध नहीं किया | पाकिस्तान में जब हिन्दुओ पर जब बर्बरता होती थी हिन्दू मंदिरो को तोडा गया हिन्दु लड़कियों का जबरन बलात्कार धर्म परिवर्तन किया गया तब यह मौन रहे |
गोधरा में जब हिन्दुओ को जिन्दा जलाए गए तब भी राहत जी चुप रहे और उस स्थिति के कारण जब विरोध में जब दंगे होने लगे तब यही राहत इंदौरी उनके पक्ष में आ गए सरकार को कोसने लगे | राहत इंदौरी का असली जिहादी चेहरा तब सामने आया जब मोदी सरकार ने CAA को लाई तब बाकायदा इसके खिलाफ राहत इन्दोरी ने शायरी कहीं, खुद सांसद ओवैसी ने मुशायरे का आयोजन किया था CAA के खिलाफ जिसमे राहत इंदौरी को भी निमंत्रण मिला था | जिसका जिक्र उनके ट्वीट में दिखता है | उन्होंने सीएए, एनपीआर और एनआरसी के मुद्दों पर दिल्ली के शाहीन बाग और इंदौर के अलग-अलग इलाकों में जारी विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा, “यह लड़ाई भारत के हर हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई की लड़ाई है, हम सबको मिलकर यह लड़ाई लड़नी है |
इंदौरी ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दरख्वास्त करना चाहूंगा कि अगर वह संविधान पढ़ नहीं पाये हैं, तो किसी पढ़े-लिखे आदमी को बुला लें और उससे संविधान पढ़वाकर समझने की कोशिश करें कि इसमें क्या लिखा है और क्या नहीं |”
राहत इंदौरी ने शाहीन बाग़ में कब्ज़ा करके बैठी महिलाओ के समर्थन में भी ट्वीट किया था, उनके जबरदस्ती सड़क रोकने के कारण लोगो को कितनी तकलीफ हुई वो राहत साहब को नहीं दिखा | इनका जिहादी एजेंडा यही था, इनको तकलीफ शुरू हुई है 2014 के बाद से CAA के विरोध में बाकायदा शायरियो के आयोजन किए जाने लगे नोट बंदी, व्यापमं, पर तंज कसे जाने लगे | राजनीती में इनका विरोध सिर्फ बीजेपी को लेकर होता था, बाकि पार्टियों के बारे में ज्यादा बुराई नहीं की गयी इनके द्वारा |
अख़लाक़ और तबरेज अंसारी जैसे लोगो के लिए ट्वीट किये गए थे, लेकिन कई बेकसूर हिन्दू जो शिकार हुए थे जिहादी भीड़ का उनके ऊपर एक शब्द भी नहीं निकले इनके मुंह से |
20 जून 2020 को राहत इंदौरी ने ट्वीट किया world refugee day पर और उनके प्रति सहानभूति दिखाई लेकिन अपने देश में ही इतने वर्षो से शरणार्थियों की तरह रहने वाले कश्मीरी पंडितो के लिए इन्होने एक शब्द भी नहीं कहा | इनके शहर इंदौर में जब स्वास्थकर्मियो पर हमला किया गया इनके लोगो द्वारा तब इन्होने एक वीडियो बना कर खानापूर्ति कर दी |इनका पूरा विरोध बस हिन्दुओ और मोदी सरकार के लिए रहता था, यह एक तरह की नफरत फैलाते थे अपनी शायरियो से इन्होने कभी भीड़ द्वारा मारे गए हिन्दुओ के प्रति कोई सहानभूति नहीं दिखाई, बंगाल में जहाँ हिन्दुओ का भीषण दमन किया गया ममता सरकार द्वारा उस पर कभी ट्वीट नहीं किया , ओवैसी जो इनके लिए ट्वीट करता है समर्थन करता है CAA के खिलाफ उसके खिलाफ एक शब्द नहीं था जब उसके भाई ने हिन्दुओ को मारने की बात कही थी | वारिस पठान जिसने कहा था कि हम 15 करोड़ है लेकिन 100 करोड़ पर भारी है उसके खिलाफ ये चुप रहे | इसी देश में रहकर नाम कमाया और इसी देश के खिलाफ गद्दारी करने चले थे जो लोग CAA के खिलाफ थे सड़को पर प्रदर्शन कर रहे थे उनके समर्थन में मुशायरा कर रहे थे |