22.1 C
New Delhi

रेलवे का निजीकरण

Date:

Share post:

भारत की राजनीति में रेलवे एक अहम मंत्रालय रहा है, इतना अहम कि आम बजट से इतर एक दिन पहले हमेशा रेलवे का बजट पेश होता रहा था, यह परिपाटी लंबे समय से या कहें आज़ादी के बाद से ही चली आ रही रही थी। मई 2014 में सत्ता संभालने के बाद मोदी सरकार ने इस परंपरा को बदला और रेलवे को भी आम बजट के साथ शामिल किया गया। 
लेकिन रेल मंत्रालय की एक और खासियत कहें या दोष कहें यह भी रहा कि जिस भी मंत्री ने रेलवे का पदभार संभाला उसने हर बजट में अपने प्रदेश, संसदीय क्षेत्र को ही खास तवज्जो दी, चुनावी वर्ष में तो इसे बेतरतीब तरीके से भुनाया गया।


गोयाकि रेलवे संपूर्ण भारतवर्ष की न होकर किसी मंत्री के प्रदेश या स्थान विशेष की थी। इस परिपाटी को भी मोदी सरकार में ही बदला गया और किसी मंत्री की निजी पसंद की बजाय देशहित में रेलवे के नए स्टेशनों, नई रेलगाड़ियों का संचालन शुरू किया गया। एक ट्वीट पर यात्रियों की समस्याओं के समाधान की शुरुआत भी मोदी सरकार ने शुरू की।
सत्ता के अपने लंबे कार्यकाल में कांग्रेस शासन में रेलवे की प्रगति कछुए की चाल से ही चलती रही, मंत्रियों की मनमानियों का शिकार होती रही, रेल दुर्घटनाओं में जान माल का नुकसान होता रहा लेकिन कभी भी यात्रियों की सुरक्षा को लेकर रेलवे में कोई बदलाव नहीं किये गए और न ही किसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था को महत्व दिया गया।
“सब चलता है” की तर्ज़ पर रेलगाड़ियाँभी चलती रही या उन्हें चलाया गया। किसी दुर्घटना के होने पर रेलमंत्री की आलोचना या उनके इस्तीफे भर से लोगों के जान माल पर लीपापोती की जाती रही।
मई 2014 से मोदी सरकार के आने के बाद से ही रेलवे में आमूलचूल परिवर्तन का दौर शुरू हुआ। नई रेलवे लाइनें बिछाने, पुरानी पटरियों के दुरुस्तीकरण का काम शुरू किया गया, रेलवे के विद्युतीकरण और बायो टॉलेट्स पर ज़ोर शोर से काम शुरू किया गया साथ ही मेक इन इंडिया अभियान के तहत दुर्घटना के समय कम से कम जान माल का नुकसान हो इसके लिए बड़ी संख्या में LBH कोचेस का निर्माण शुरू किया गया और उन्हें पूर्व में संचालित साधारण कोचेस से परिवर्तित करने का शुरू किया गया।


इन सभी कदमों के सकरात्मक प्रयास भी नज़र आने लगे और रेल दुर्घटनाओं में अभूतपूर्व गिरावट दर्ज की गई। वर्ष 2018-19 भारतीय रेल इतिहास का ऐसा पहला वर्ष था जिसमें एक भी रेल दुर्घटना नहीं हुई यानी कि ‘ज़ीरो कैजुअल्टी’ का ये पहला वर्ष था। इस अभूतपूर्व सफलता की चर्चा भी कमोबेश कम ही सुनाई दी गई जबकि लगभग 67 हज़ार किमी लंबे रेलमार्ग पर ये बहुत बड़ी उपलब्धि है।
इसी कड़ी में मुंबई से अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन की योजना भी जापान के सहयोग से शुरू की गई, जिसकी 2022 तक पूरा होने की संभावना है। अपने संपूर्ण शासनकाल में बुलेट ट्रेन के बारे में विचार तक न कर पाने वाली कांग्रेस ने मोदी सरकार की इस परियोजना का भी घोर विरोध किया जबकि इस योजना के लिए जापान सरकार द्वारा बहुत ही मामूली 0.1% ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराने के साथ साथ तकनीकी सहायता भी प्रदान की जा रही है। ऋण की किश्तें भी बुलेट ट्रेन का संचालन शुरू होने के 15 वर्षों बाद शुरू होकर अगले 50 वर्षो में भुगतान की लंबी अवधि के लिए दिया गया है।
बस, हवाई जहाज जैसी यात्री सुविधाओं के निजीकरण की शुरुआत बहुत पहले ही शुरू कर दी गई थी, बावजूद इसके कम दरों पर शासकीय बस और हवाई सेवाएँ आज भी जारी हैं।
भारत जैसे विशाल देश में हर तरह का वर्ग है जो कि इन सेवाओं का अपनी आर्थिक स्थितियों के हिसाब से उपयोग करता है। निजी बस यात्राओं के शुरू होने के पश्चात मध्यम, उच्च मध्यम वर्ग ने सरकारी बसों को छोड़कर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस निजी बसों को अपनाने में देर नहीं लगाई। सिर्फ रेलवे की ही बात की जाए तो जनरल, स्लीपर, थर्ड एसी, सेकंड एसी, फर्स्ट क्लास जैसी श्रेणियों में लोग यात्रा करते हैं। 
बहुत अधिक समय नहीं हुआ जब ओला, उबर जैसी कंपनियों ने बेहद कम दरों पर निजी कार टैक्सी, ऑटो रिक्शा यहाँ तक कि मोटरसाइकिलों तक का इस्तेमाल यात्री वाहनों के रूप में शुरू किया। सिर्फ एक एप्प पर ही ओला, उबर पिकअप एवं ड्रॉप की सुरक्षित सुविधाएँ दे रहे हैं। यहाँ तक कि अपने मनचाहे समय पर भी ये टैक्सी सुविधा एडवांस में भी बुक की जा सकती हैं।


ऑटो रिक्शा चालकों की मनमानियों से परेशान लोगों ने इन सुविधाओं को हाथोंहाथ लेने में ज़रा भी देर नहीं लगाई।
हवाई अड्डों का निर्माण, रखरखाव, सुरक्षा व्यवस्था भी सरकार द्वारा संचालित की जाती है परंतु इन्हीं हवाई अड्डों से अधिकांश रूप से निजी हवाई उड़ानें ही संचालित होती हैं। सरकारी विमान सेवा के नाम पर केवल एक एयर इंडिया है, वहीं निजी एयरलाइन्स की बात की जाए तो इंडिगो, गो एयर, एयर एशिया, स्पाइस जेट, विस्तारा जैसी तमाम कंपनियाँ उड़ानें संचालित कर रही हैं। कांग्रेस राज में रेलवे की तरह ही हवाई जहाजों के रूट संचालन की अनुमतियाँ भी नागरिक उड्डयन मंत्री की ‘प्रिय कंपनियों’ को ही मिलती रही हैं जिन्हें एयरलाइन्स की भाषा में ‘प्रॉफिट मेकिंग रूट्स’ भी कहा जाता है। 
इसी कड़ी में जब सरकार ने कुछ मार्गों के लिए निजी भागीदारी के तहत कुछ कंपनियों को रेलवे में भी भागीदारी करने के लिए द्वारा खोले तो  विपक्ष और मोदी विरोधी लॉबी के पेट में मरोड़ें उठनी शुरू हो गई।
अपने जीवन में निजी स्कूलों, अस्पतालों, बीमा कंपनियों, एयरलाइन्स, निजी बसों, निजी मोबाइल कंपनियों का इस्तेमाल करने वाले इन लोगों ने हर उस कदम का विरोध किया जिसमें सरकारी उपक्रमों में निजी भागीदारी को आमंत्रित किया गया जबकि वो स्वयं इन उपक्रमों द्वारा संचालित सेवाओं का उपयोग करना तो दूर उसके बारे में कल्पना तक नहीं करते हैं।
सिर्फ कुछ रूट्स की रेल सेवाओं के लिए सरकार ने पीपीई मॉडल के तहत निजी भागीदारी आमंत्रित की हैं। इसमें रेलगाड़ी के रखरखाव, यात्री सुविधाओं की ज़िम्मेदारी इन्हीं कंपनियों की होगी और इन्हें सरकार द्वारा निर्धारित दामों पर ही टिकट बेचने की अनुमति होगी, किसी तरह की मनमानी ये कंपनियां नहीं कर पाएंगी।
इसका अर्थ यह नहीं है कि सरकार द्वारा संचालित रेलगाड़ियों पर इनका कोई असर होगा, वो भी पूर्ववत चलती रहेंगी।
गीता का सर्वाधिक लोकप्रिय उपदेश भी यही है कि ‘परिवर्तन संसार का नियम है’ और परिवर्तन अधिकतर मामलों में सकारात्मक परिणाम ही देते हैं। 
आशा है ये परिवर्तन इसी तरह के सकरात्मक परिणाम रेलवे में भी देंगे, जो भी होगा उसकी प्रतिक्रियाएँ, अनुभव सामने आने में देर नहीं लगेगी, इसलिए केवल आलोचनाओं की बजाय सकरात्मक भी सोचेंगे तो सरकार के इस कदम का स्वागत ही करेंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

Setback for YouTuber and Anti-Hindu Shyam Meera Singh as Delhi High Court orders to remove defamatory video on Sadhguru

The Delhi High Court on Wednesday has ordered YouTuber Shyam Meera Singh to take down his recent YouTube...

Pakistan train siege over: Army says 346 hostages freed; 33 insurgents and 21 passengers dead

More than 340 train passengers taken hostage by a militant group were freed Wednesday by security forces after...

Mark Carney to become Canada’s new Prime Minister, vows to improve relationship with India

Former central banker Mark Carney on Sunday (March 9) won the leadership election for Canada’s Liberal Party, with...

UP CM Yogi Adityanath backs Sambhal DSP who asked Muslims to stay indoors on Holi

Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath Saturday backed the senior Sambhal police officer who had controversially “advised” Muslims...