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भारतस्य कूटनीतिक वृद्धिम् ! भारत की कूटनीतिक बढ़त !

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प्रतीकात्मक चित्र (साभार फ़ाइल फोटो – pti)

वर्तमान कालस्य भारतम् !

वर्तमान समय का भारत !

20 दिवस पूर्वे भारतीय सैनिकाभिः चिनस्य सैनिकाः हिंसक विवादम् अकरोत् स्म् ! यस्में भारतस्य 20 सैनिकाः शहीद अभवत् ! परिणमतः भरतीयेषु चिनस्य प्रति क्रोधम् परिलक्ष्ष्यान्ति ! चिनस्य वस्तुनाम् विरोधम् अभवत्,सरकारं 59 चिनस्य एप्पस्य प्रतिबंधित्वा चिनस्य कटि अविच्छेदित ! अमेरिका इत्यादि देशानाम् सहयोगम् अमिलत् ! एते मध्ये सरकारेण रूसात् बहु टैंक जेटविमान च अकृणत् ! 3 जुलाई दिनांकस्य प्रधानामात्य नरेंद्र मोदी: गलवान घट्ये गत्वा सैनिकानाम् आत्मशक्ति वर्धयतु । परिणामम् भवतः समक्षः,अद्य चिन गलवान घट्यात् 2 किलोमीटर पश्च गतवान् !

20 दिन पहले भारतीय सैनिकों से चीन के सैनिकों ने हिंसक झड़प की थी ! जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हुए ! नतीजन भारतीयों में चीन के प्रति गुस्सा दिखने लगा,चीनी समान का विरोध हुआ,सरकार ने 59 चीनी एप्प को प्रतिबंधित कर चीन की कमर तोड़ी ! अमेरिका आदि देशों का साथ मिला,इसी बीच सरकार द्वारा रूस से कई टैंक और जेटविमान खरीदे गए ! 3 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गलवान घाटी में जाकर सैनिकों का हौंसला बढ़ाते हैं ! परिणाम आपके सामने हैं,आज चीन गलवान घाटी से 2 किलोमीटर पीछे चला गया है !

भूतकालस्य भारतम् !

भूतकाल का भारत !

1954 इस्वे भारतम् चिनम् मध्य शांतिपूर्ण सह अस्तित्वाय पंच सिद्धान्तम् ग्रहीत्वा सहमतिम् अभवत्,यस्य पंचशील समझौता इति कथयति ! तम् सहमतिस्य अनुसार भारतम् तिब्बते चिन सत्तास्य स्वीकृत्वान् ! तस्मिन् काल भारतस्य पुरातन प्रधानामात्य जवाहर लाल नेहरू: “हिन्दी चिनी भातृ भातृ ” इति संवेद आदत्तवान् स्म !

1954 में भारत और चीन के बीच शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए पांच सिद्धांतों को लेकर समझौता हुआ जिसे पंचशील समझौता कहा जाता है ! उस समझौते के तहत भारत ने तिब्बत में चीन शासन को स्वीकार किया ! उसी समय भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने ‘हिन्दी-चीनी भाई-भाई’ का नारा दिया था !

1959 ईस्वे तनाव प्रारम्भत्वा 1962 इस्वस्य युद्ध कालात् बहुधा द्वय सेनयोः मध्य विवादम् अभवयतु ! 21 नवम्बर 1962 ईस्वी भारतस्य इतिहासे प्रमुख अस्ति,एतस्मिन् दिवस चिनम् भारतस्य सह युद्ध विरामस्य इति घोषयति स्म !युध्स्य प्रारम्भ 20 अक्तूबर 1962 ईस्वीम् अभवत् ! चिनस्य पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी लद्दाखे नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसे (नेफा इति) मैकमोहन लाइनस्य उपरांते प्रहारम् अकरोत् ! अस्य युद्ध परिणाम स्वरूप चिनम् बहु किलोमीटर भूमिम् अधिग्रहित कृतवान् !

1959 में तनाव शुरू होने से लेकर 1962 के युद्ध तक कई बार दोनों सेनाओं के बीच झड़प हुई ! 21 नवंबर 1962 भारत के इतिहास में अहम है, इसी दिन चीन ने भारत के साथ युद्ध विराम की घोषणा की थी ! युद्ध की शुरुआत 20 अक्टूबर 1962 को हुई ! चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ने लद्दाख पर और नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (नेफा) में मैकमोहन लाइन के पार हमला कर दिया ! इस युद्ध को 1962 के भारत-चीन युद्ध के नाम से जाना गया ! इस युद्ध के परिणाम स्वरूप चीन ने कई किलोमीटर जमीन अधिहिग्रहीत कर लिया !

द्वय कालस्य कूटनीतिक परिणामम् !

दोनों समय के कूटनीतिक परिणाम !

भूतकालस्य सर्कारस्य काल भारतम् बहु किलोमीटर भूमि त्याज्यन्तु स्म,युद्धे च पराजयस्य कलंकपि सिर मस्तके स्वीकृत्वन्तु स्म, अयम् तम् कालस्य भारत सर्कारस्य असाधु कूटनीतिस्य अंशः आसीत्,न केवलं वर्तमान सर्कारस्य कूटनीतिस्य कारण चिनम् अद्य 2 किलोमीटर पश्च गतवन्तु, यः इदम् स्पष्टम् करोतीति वर्तमान सर्कारस्य पार्श्वे विश्वे साधु गृहीतम् अस्ति।

भूतकाल की सरकार के समय भारत को कई किलोमीटर जमीन छोड़नी पड़ी थी,और युद्ध में पराजय का कलंक भी सिर माथे पर लेना पड़ा था,यह उस समय की भारत सरकार के खराब कूटनीति का हिस्सा था,परन्तु वर्तमान सरकार के कूटनीति के कारण चीन को आज 2 किलोमीटर पीछे जाना पड़ा,जो यह साबित करता है कि वर्तमान सरकार के पास विश्व में अच्छी पकड़ है।

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