फिल्मों में अक्सर गैंगस्टर्स और गैंगवॉर के बारे में बताया गया है, मुम्बईया फ़िल्म इंडस्ट्री ने बहुत अरसे तक केवल मुंबई के ही डॉन और उनकी लड़ाईयों का महिमामंडन किया लेकिन इनसे भी कहीं ज़्यादा ख़तरनाक गैंगस्टर्स और उनके बीच के खूनी संघर्ष और उनके द्वारा किये गए अपराधों ने उत्तरप्रदेश को भी दहला रखा था। इनकी दहशत के सामने मुम्बई के डॉन पानी भरते नज़र आते हैं।
इसका कारण ये रहा कि उत्तरप्रदेश में इन माफियाओं को राजनेताओं का भी वरदहस्त हमेशा मिलता रहा। देश को सबसे ज़्यादा 80 सांसद देने वाले और राजनीति में एक अहम भूमिका निभाने के कारण उत्तरप्रदेश सभी राजनीतिक दलों का सबसे प्रिय राज्य रहा है।
राजनीति के इसी समीकरण ने राजनीति और गैंगस्टर्स के बीच एक मजबूत गठजोड़ बनाया। मुख्तार अंसारी पर 40 से अधिक मामले दर्ज हैं लेकिन वो पाँच बार विधायक रहा। समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीतने के बाद मुख्तार अंसारी ने क़ौमी एकता दल से भी चुनाव जीता और धाक इतनी कि अधिकांश चुनाव जेल में रहते हुए ही जीते। बाद में अंसारी ने कौमी एकता दल का विलय भी समाजवादी पार्टी में कर दिया था।
मुख़्तार अंसारी के कहने पर ही मुन्ना बजरंगी ने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की सरेआम हत्या की थी, इस हत्याकांड में 6 और लोग मारे गए थे और सभी के शरीर से 60 से 100 गोलियाँ निकली थीं इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि मुन्ना बजरंगी पर किस कदर कृष्णानंद राय की हत्या का भूत सवार था। लेकिन 2018 में खुद मुन्ना बजरंगी की ही जेल में हत्या कर दी गई।
इसी तरह सपा से 2004-09 से सांसद रहे अतीक अहमद का भी खौफ़ इतना ज़्यादा था कि 10 जजों ने उनके केस की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। कोई गवाह अतीक अहमद के ख़िलाफ़ गवाही देने को तैयार नहीं होता था। अतीक अहमद ने अनेक हत्याओं को अंजाम दिया। अतीक अहमद के ख़िलाफ़ मुँह खोलना यानी अपनी मौत को बुलावा देना।
धनंजय सिंह दो बार जेडीयू से विधायक रहे और 2009 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी जीता लेकिन 2014 में वो हार गया। धनंजय सिंह पर भी अनेक हत्याओं के मामले दर्ज हैं।
रघुनाथ प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया कुंडा उत्तरप्रदेश से निर्दलीय चुनाव जीतते रहे और पिछली बार अखिलेश सरकार में तो मंत्री पद भी पा लिए थे।
मार्च 2017 में जब योगी आदित्यनाथ ने उत्तरप्रदेश की कमान संभाली तो उन्होंने सबसे पहले इन्हीं माफियाओं को निशाने पर लिया और यूपी से गुंडाराज को ख़त्म करने के लिए पुलिस को खुली छूट दे दी।
सत्ता संभालने के बाद से अभी तक योगी सरकार 5178 एनकाउंटर कर चुकी है जिनमें लगभग 129 दुर्दांत अपराधी मारे गए हैं और 1800 से ज़्यादा घायल हुए हैं। अपराधियों में योगी आदित्यनाथ का खौफ़ इस कदर हावी हुआ कि कई अपराधियों ने बाहर रहने की बजाय जेल में रहना ज़्यादा सुरक्षित समझा।
हाल ही में कुख्यात अपराधी विकास दुबे द्वारा उसके घर पर दबिश देने गई पुलिस टीम पर अंधाधुंध गोलीबारी कर 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई। इतनी बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों की हत्या का ये बहुत संगीन मामला था। इस वीभत्स हत्याकांड पर चहुँओर से आलोचना झेल रहे योगी आदित्यनाथ ने ताबड़तोड़ पुलिस अधिकारियों की टीम बुलाकर हर हाल में इस घटना में शामिल अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया।
दिन रात यूपी पुलिस विकास दुबे और साथियों की तलाश में जुट गई। विकास दुबे के कई खास साथियों को यूपी पुलिस ने मार भी गिराया लेकिन मुख्य अभियुक्त विकास दुबे अब भी पुलिस की पहुँच से बाहर था।
लेकिन आज बड़े ही नाटकीय घटनाक्रम में विकास दुबे को मप्र उज्जैन के महाँकाल मंदिर से गिरफ्तार कर लिया गया है। विकास दुबे की इस गिरफ्तारी को लेकर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ तथाकथित पत्रकारों को ये लग रहा था कि विकास दुबे को गिरफ्तार न कर उसका भी एनकाउंटर ही कर दिया जाएगा ताकि वर्तमान यूपी सरकार और उसके बीच के किसी गठजोड़ का खुलासा ना हो सके परंतु आज विकास की दुबे की गिरफ्तारी ने इन्हीं पत्रकारों के माथे पर शिकन ज़रूर पैदा कर दी है।
सियासत और गैंगस्टर्स के इस चोली दामन के साथ ने ही देश की संवैधानिक व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाया है। राजनीति और अपराधियों के इस गठजोड़ से कोई भी राजनीतिक दल अछूता नहीं है। हर किसी के दामन पर दाग लगे हैं।
लेकिन राजनीति में ये दाग अच्छे माने जाते हैं, इस कीचड़ में हर राजनीतिक दल सना हुआ है इसीलिए जब भी कोई दूसरों पर कीचड़ उछालता है तो उसके भी हाथ इन्हीं दागों से पहले से ही रंगे होते हैं।
विकास दुबे का हश्र क्या होगा ये भी बहुत जल्द पता चल ही जायेगा, अफ़वाहों का बाज़ार गर्म है, देखते हैं ऊँट किस करवट बैठता है और विकास दुबे किन किन नेताओं, पुलिस अधिकारियों के विकास को रोक पाता है ये भी पता चलेगा।
ताकि सनद रहे…