29.1 C
New Delhi

मोदी सरकार ने पबजी बैन कर, बच्चों को स्वदेशी खेलों की ओर लौटने के दिये संकेत।

Date:

Share post:

प्राचीनकाल से ही हमारी शिक्षा पद्धति में बच्चों द्वारा शिक्षा प्राप्त करने की प्रक्रिया में “खेल” का भी एक समय  निश्चित था। ऐसा मानना था कि अध्ययन काल के दौरान शारीरिक, मानसिक विकास में खेल का भी एक महत्वपूर्ण योगदान होता है जो वैज्ञानिक मापदंडों पर भी खरा उतरता है, किन्तु आज ऐसा क्या हो गया कि देश में किसी खेल पर पाबंदी लगाने पर देश के शिक्षक, अभिवावक, माता-पिता आदि ने खुशी जाहिर की।इसके लिए हमें थोड़ा और गहनता से प्रकाश डालना होगा पिछले खेलों पर एवं आज के तथाकथित आधुनिक डिजिटल खेलों पर। प्राचीन काल में जिन खेलों के लिए एक निश्चित समय को स्थान प्राप्त था वो खेल हमारी शारीरिक गतिविधियों पर आधारित थे उन खेलों में भाग दौड़ शामिल थी, बच्चो के बीच स्वरचित आपसी संवाद शामिल था, पाठ्यक्रम में शामिल नाटकों को खेल में शामिल कर एक तरफ़ जहां स्मरण शक्ति का परीक्षण होता था वहीं  किरदार को निभाने की कला का भी विकास होता था (चन्द्रगुप्त मौर्य की कहानी तो सुनी होगी, किस तरह चन्द्रगुप्त द्वारा खेलने के दौरान राजा का किरदार निभाते समय चाणक्य का देखना और उनके अन्दर छिपी हुई प्रतिभा को इस तरह उजागर किया कि वह सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य बन गये), लम्बी कूद, ऊंची कूद, कबड्डी जैसे क्रियाओ को खेल में शामिल कर बच्चों द्वारा खेल खेल में ही व्यायाम हो जाता था, आज भी आपको कई ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष त्याहारो पर इस प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन करते हुए देखा जा सकता है जिसमें ऊंची कूद, लम्बी कूद, दौड़ आदि शामिल होते हैं।

अब आते हैं आजकल के तथाकथित आधुनिक खेलो पर जिनको खेल कर वह अपने को लाभ छोड़िए अपने घर वालों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। आजकल के बच्चे अगर घर पर पढ़ाई के बाद अगर खेलने के लिए समय पाते हैं तो उन्हें उस दौरान मोबाइल चाहिए। आपने कई बार अपने आसपास या स्वयं के घर पर बच्चों को यह कहते सुना होगा कि स्कूल का वर्क कर लें उसके बाद हमें मोबाइल मिल जाएगा ? आज के तथाकथित अत्याधुनिक परिवेश ने बच्चों को शारीरिक खेलों से दूर रखकर डिजिटल गेमो पर केन्द्रित कर दिया है। अब बचपन से ही अधिक समय तक मोबाइल उपयोग करते रहने से कम उम्र में ही वह अपनी आंखों की शक्ति को कमजोर कर लेते हैं, यही कारण है कि बच्चों के चश्मा लगने का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है‌‌। अब जब हर समय मोबाईल पर ही गैम खेलेंगे तो उन बच्चों को शारीरिक/मानसिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। यह मोबाईल गेम बच्चों को लती  बना देते हैं जिससे उनका पढ़ाई के बजाय गेम पर ही दिमाग लगा रहता है। ऐसे तमाम मोबाईल गेम आये जिन्होने बच्चों के बीच अत्यंत लोकप्रियता पाई, किन्तु पिछले कुछ वर्षों में एंड्राइड मोबाइल के दौर में कुछ गेम्स ऐसे आए जिन्होंने बच्चों के साथ साथ नौजवानों के बीच भी अत्यंत लोकप्रियता पाई, परन्तु कुछ गेमों तो ऐसे आ गये जिनके चक्कर में युवाओं ने पैसे के साथ साथ जान भी गवांई। जान लेने वालों में सबसे ऊपर नाम ब्लूव्हेल गेम का आता है। साइबर विशेषज्ञों के अनुसार ब्लू व्हेल गेमिंग एप ने सैकड़ों बच्चों की जान ली। इसके बाद एकाएक चाईनीज पबजी गेम ने युवाओं के बीच अत्यंत लोकप्रियता पा ली। इस गेम के लती कई किशोरों ने पैसो के साथ साथ अपनी जान भी गवां दी।अभिवावकों के बीच अपने बच्चों को इससे दूर रखना एक कड़ी चुनौती बनता जा रहा था। वह किसी भी प्रकार से इससे अपने बच्चों को दूर रखने का प्रयास करते थे, यही कारण था कि कई बार इस गेमिंग एपको बैन करने को लेकर आवाज उठती रही है।

परंतु पिछले कुछ महीनों से चाईनीज सैनिकों द्वारा निरन्तर जारी सीमा-विवाद में एक तरफ भारतीय वीर सैनिकों ने सीमा पर ही चीनी सैनिकों को जबरदस्त धूल चटाई है वहीं भारत सरकार द्वारा चीन द्वारा भारत में जारी डिजिटल घुसपैठ पर भी करारा प्रहार किया गया है। भारत सरकार ने 29 अगस्त को वीडियो शैयरिंग टिकटाक, हेलो समेत 59 ऐप पर प्रतिबंध लगाया था तभी से पब्जी को भी बैन करने की मांग उठ रही थी यही कारण है 2 सितंबर को भारत सरकार द्वारा चाइना के 118 एप पर पुनः कार्रवाई कर बैन कर दिया है जिसमें पब्जी गेम भी शामिल है। एक तरफ जहां यह पब्जी गेम भारतीय किशोरों को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक नुकसान पहुंचा रहा था, वही यह दुनिया के 5 सबसे ज्यादा कमाई करने वाले गेम में शामिल हो गया था। मात्र भारत में ही एक करोड़ 75 लाख से ज्यादा लोगों ने इस गेमिंग ऐप को डाउनलोड कर रखा था। मोबाईल एप विश्लेषक फर्म सेंटर टावर के मुताबिक पब्जी दुनिया में सबसे तेजी से उभरता गेमिंग एप है क्योंकि यहां हर माह करीब 10.8 फ़ीसदी की दर से बढ़ रहा है जून 2019 पबजी का मासिक राजस्व 15 करोड़ डालर के करीब था जो इस साल लॉकडाउन के दौरान मई-जून में 27 करोड़ डालर तक पहुंच गया।यह गेमिंग एप डाटा की निजता एवं गोपनीयता के लिहाज से भी खतरनाक था। यही कारण है कि आज भारत सरकार द्वारा एक गेमिंग एप को बैन करने पर देशभर के अभिभावकों ने राहत की सांस ली है। परंतु आने वाले समय में कई और गेमिंग एप आ सकते हैं जो इससे भी ज्यादा नुकसानदायक हो सकते हैं इसीलिए देश को अब एक राष्ट्रीय  एप पॉलिसी की जरूरत है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की माने तो गेमिंग एप ऊपर से तो मनोरंजन ज्ञानवर्धक लगते हैं लेकिन आप जितना अंदर प्रवेश करते हैं उतना ही उत्पीड़न के चुंगल में फंसते चले जाते हैं। अतः सरकार को इस विषय पर ध्यान इंगित करते हुए राष्ट्रीय एप पालिसी को जल्द से जल्द बनाने पर जोर देना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

Another Hindu temple vandalized in Canada with Anti-India Grafitti & Khalistan referendum posters

A Hindu temple in Canada's Edmonton was defaced with anti-India graffiti on Monday. The BAPS Swaminarayan Temple was...

Trump Assassination Attempt – US Presidential Elections will change dramatically

Donald Trump survived a weekend assassination attempt days before he is due to accept the formal Republican presidential...

PM Modi’s visit to Russia – Why West is so Worried and Disappointed?

The event of Russian President Vladimir Putin giving royal treatment to Prime Minister Narendra Modi during his two...

An open letter to Rahul Gandhi from an Armed Forces veteran

Mr Rahul Gandhi ji, Heartiest Congratulations on assuming the post of Leader of the Opposition in Parliament (LOP). This...