सर्वेषाम् भाषानाम् जननी संस्कृतम्,संस्कृत ज्ञाने आधारितम् सनातन हिन्दू !
सभी भाषाओं की जननी संस्कृत,संस्कृत ज्ञान पर आधारित सनातन हिन्दू !
प्रथम् तर्हि अवगमति सनातन धर्म अस्तिका पुनः तस्य मूले चलति ! संस्कृतम् भाषाम् अध्ययनम् कृतस्य उपरांतेव वयं सनातन धर्मम् पूर्णतयः अवगमम् शक्नोति वेदेषु उल्लिखतम् सन्ति !
पहले तो समझते हैं सनातन धर्म है क्या फिर उसके मूल में चलते हैं ! संस्कृत भाषा को अध्ययन करने के उपरांत ही हम सनातन धर्म को पूर्णतया समझ सकते हैं वेदों में उल्लिखित है !
सनातनमेनमहुरुताद्या स्यात पुनण्रव् ( अथर्ववेद 10/8/23)
अर्थात सनातन उसे कहते हैं जो, जो आज भी नवीन है,कल भी नवीन था, कल भी नवीन रहेगाक ! अर्थात शाश्वत या हमेशा बना रहने वाला !
संस्कृतम् हिन्दूम् च् !
संस्कृत और हिन्दू !
संस्कृतम् विश्वस्य सर्वात् प्राचीनम् भाषा अस्ति सर्वेषाम् भाषानाम् जननी अस्ति च् ! संस्कृतस्य शाब्दिक अर्थम् अस्ति परिपूर्णम् भाषाम् ! संस्कृतात् पूर्वम् विश्वे यत् भाषाम् बदति स्म तस्य कोपि व्याकरणम् न आसीत् यस्य च् कोपि भाषा कोषम् न आसीत् ! भाषायाम् लिपेषु लेखनस्य प्रचलनम् भारतैव अप्रारम्भयत् ! भारतेन अस्य सुमेरियन, बेबीलोनियन, यूनानीम् च् जनाः शिक्षति !
संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है और समस्त भाषाओं की जननी है ! संस्कृत का शाब्दिक अर्थ है परिपूर्ण भाषा ! संस्कृत से पहले दुनिया में जो भाषा बोली जाती थी उनका कोई व्याकरण नहीं था और जिनका कोई भी भाषा कोष नहीं था ! भाषा को लिपियों में लिखने का प्रचलन भारत में ही शुरू हुआ। भारत से इसे सुमेरियन, बेबीलोनीयन और यूनानी लोगों ने सीखा !
ब्राह्मीम् देवनागरीम् च् लिपेभ्यः इव विश्वस्य अन्य लिपिनां जन्मम् अभवत् ! ब्रह्मिम् लिपिम् एकम् प्राचीनम् लिपिम् अस्ति येन देवनागरीम् लिपातपि प्राचीनम् मानयति ! हड़प्पा संस्कृतिस्य जनः अस्य लिपिस्य प्रयोगम् करोति स्म, तदा संस्कृत भाषामपि अस्य लिपे लिखतिम् स्म !
ब्राह्मी और देवनागरी लिपियों से ही दुनिया भर की अन्य लिपियों का जन्म हुआ ! ब्राह्मी लिपि एक प्राचीन लिपि है जिसे देवनागरी लिपि से भी प्राचीन माना जाता है ! हड़प्पा संस्कृति के लोग इस लिपि का इस्तेमाल करते थे, तब संस्कृत भाषा को भी इसी लिपि में लिखा जाता था !
पुरातनं विश्वे सिन्धु सरस्वती च् नद्या: तटम् अवसत् सभ्यतां सर्वात् समृद्धम्, सभ्यम् बुद्धिमानम् च् आसीत् ! अस्य बहु प्रमाणम् उपस्थितम् सन्ति ! अयम् वर्तमाने अफगानिस्तानेन भारतेव प्रस्सरतः आसीत् ! प्राचीनकाले यति विस्तृत नदी सिन्धु आसीत् एतस्मात् कुत्रचितति विस्तृत नदी सरस्वती आसीत् !
प्राचीन दुनिया में सिंधु और सरस्वती नदी के किनारे बसी सभ्यता सबसे समृद्ध, सभ्य और बुद्धिमान थी ! इसके कई प्रमाण मौजूद हैं ! यह वर्तमान में अफगानिस्तान से भारत तक फैली थी ! प्राचीनकाल में जितनी विशाल नदी सिंधु थी उससे कहीं ज्यादा विशाल नदी सरस्वती थी !
सम्पूर्ण धरायाम् हिन्दू वैदिक धर्मेव जनानि सभ्य निर्माणाय अन्यानि – अन्यानि क्षेत्रेषु धार्मिक विचारधारास्य स्थापनां अकरोत् स्म ! अद्य विश्वस्य धार्मिक सांस्कृतिम् समाजे च् हिन्दू धर्मस्य प्रतिरूपम् दर्क्ष्यते, सः यहूदी धर्मम् असि, पारसी धर्मम् असि, ईसाई धर्मम् असि, इस्लाम धर्मम् असि वा !
संपूर्ण धरती पर हिन्दू वैदिक धर्म ने ही लोगों को सभ्य बनाने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में धार्मिक विचारधारा की स्थापना की थी ! आज दुनिया भर की धार्मिक संस्कृति और समाज में हिन्दू धर्म की झलक देखी जा सकती है, वह यहूदी धर्म हो, पारसी धर्म हो, ईसाई धर्म हो, या इस्लाम धर्म हो !
भारतीय संस्कृतिस्य प्रकाशम् शनैः शनैः सम्पूर्ण विश्वे अन्यानि – अन्यानि नामेन प्रचलितम् आसीत् ! अरबम् अफ्रिके च् यत्र सामी, सबाइन, मुशरिक, यजीदी, अश्शूर, तुर्क, हित्ती, कुर्द, पैगन इत्यादयः अस्य धर्मस्य मान्यति समाजम् आसीत् तर्हि रोमम्, रूसम्, चिनम् यूनानस्य वा प्राचीन समाजस्य जनः सर्वे कश्चित न कश्चित रूपे हिन्दू धर्मस्य पालनम् कुर्वन्ति स्म ! उपरांते एकम् नभसः आगतः पुस्तकम् एकम् पैगम्बरम् च् तथा इस्लामी धर्माणि तै: विलुप्तम् इति अकुर्वन् !
भारतीय संस्कृति का प्रकाश धीरे धीरे पूरे विश्व में फैलने लगा ! तब भारत का ‘धर्म’ दुनिया भर में अलग – अलग नामों से प्रचलित था ! अरब और अफ्रीका में जहां सामी, सबाईन, मुशरिक, यजीदी, अश्शूर, तुर्क, हित्ती, कुर्द, पैगन आदि इस धर्म के मानने वाले समाज थे तो रोम, रूस, चीन व यूनान के प्राचीन समाज के लोग सभी किसी न किसी रूप में हिन्दू धर्म का पालन करते थे। बाद में एक आसमानी किताब और एक पैगंबर जैसे इस्लामी धर्मों ने इन्हें विलुप्त सा कर दिया !
हिन्दू धर्मस्य संस्कृतस्य च् पुरातनं भवितुम् ऐतिहासिकम् तथ्यम् !
हिन्दू धर्म और संस्कृत के पुरातन होने के ऐतिहासिक तथ्य!
ईसात् २३०० – २१५० वर्षम् पूर्वम् सुमेरिया, २००० – ४०० वर्षम् पूर्वम् बेबिलोनिया, २००० – १५०० ईसा पूर्वम् मिस्रम् ( इजिप्ट ), १४५० – ५०० ईसा पूर्वम् असीरिया, १४५० – १५० ग्रीस ( यूनान ), ८०० – ५०० ईसा पूर्वम् रोमस्य सभ्यतानि उपस्थितम् आसीत् ! तु यामिमेनापि पूर्वम् अर्थतः अद्यात् ५०२० वर्षम् पूर्वे महाभारतस्य युद्धम् अयुद्धयत् स्म !
ईसा से 2300 – 2150 वर्ष पूर्व सुमेरिया, 2000 – 400 वर्ष पूर्व बेबिलोनिया, 2000 – 250 ईसा पूर्व ईरान, 2000 – 1500 ईसा पूर्व मिस्र (इजिप्ट), 1450 – 500 ईसा पूर्व असीरिया, 1450 – 150 ईसा पूर्व ग्रीस (यूनान), 800 – 500 ईसा पूर्व रोम की सभ्यताएं विद्यमान थीं ! परन्तु इन सभी से भी पूर्व अर्थात आज से 5020 वर्ष पहले महाभारत का युद्ध लड़ा गया था !
महाभारतातपि पूर्वे ७३०० ईसा पूर्वम् अर्थतः अद्यात् ९३२० वर्षम् पूर्वम् रामायणस्य रचनाकालम् प्रमाणितम् भवेत् सहस्राणि ईसा पूर्वम् भारते एकम् पूर्ण विकसितम् सभ्यतां आसीत् ! यत्रस्य जनः पठनम् – लेखनमपि जानाति स्म !
महाभारत से भी पहले 7300 ईसा पूर्व अर्थात आज से 9320 साल पहले रामायण का रचनाकाल प्रमाणित हो चुका है ! हजारों ईसा पूर्व भारत में एक पूर्ण विकसित सभ्यता थी ! यहाँ के लोग पढ़ना – लिखना भी जानते थे !
मैक्सिके इदानीं सहस्राणि प्रमाणम् मिलति येन अयम् सिद्धम् भवति ! जीसस क्राइस्टतः बहु पूर्वे तत्रे हिन्दू धर्मम् प्रचलित: आसीत् ! अफ्रिके ६००० वर्षम् पुरातनं एकम् शिव मन्दिरम् अप्राप्त:, चिन, इंडोनेशिया, मलेशिया, लाओस, जयपाने सहस्राणि वर्षाणि पुरातनं श्रीहरि विष्णु:, भगवतः राम: हनुमानस्य च् प्रतिमाणि प्राप्तम् अस्य वार्तास्य साक्ष्यम् अस्ति तत हिन्दू धर्म सम्पूर्ण धराषु आसीत् !
मैक्सिको में ऐसे हजारों प्रमाण मिलते हैं जिनसे यह सिद्ध होता है ! जीसस क्राइस्ट से बहुत पहले वहां पर हिन्दू धर्म प्रचलित था। अफ्रीका में 6,000 वर्ष पुराना एक शिव मंदिर पाया गया, चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, लाओस, जापान में हजारों वर्ष पुरानी श्रीहरि विष्णु, भगवान राम और हनुमान जी की प्रतिमाएं मिलना इस बात का सबूत है कि हिन्दू धर्म संपूर्ण धरती पर था !
हिन्दू धर्मस्य पूज्य ग्रंथम् !
हिन्दू धर्म के पूज्य ग्रन्थ !
सर्वाणि धर्माणि स्व स्व पूज्य ग्रंथम् भवन्ति, तानि प्रकारम् हिन्दू धर्मस्य पूज्य ग्रन्थेषु चत्वारि वेदानि, अष्टादश पुराणानि, षड शास्त्राणि प्रमुखानि सन्ति यत् सर्वाणि संस्कृत भाषायाम् सन्ति, रामायणम्, महाभारतम्, गीताम्, रघुवंश महाकाव्यम् इत्यादयः सर्वाणि ग्रंथाणि संस्कृत भाषायाम् सन्ति, गीतास्य सर्वाणि ग्रन्थानाम् मूल तत्वम् कथ्यते यत् भारतेव नापितु सम्पूर्ण विश्वे अद्भूतम् ज्ञानस्य भण्डारम् मान्यते, रामचरित्र मानसम् यत् तत तुलसी दासस्य अवधी भाषायाम् लिखतु बहु प्रसिद्धम् राचनाम् अस्ति तस्यापि प्रारम्भम् तुलसी दासः संस्कृत भाषायाम् अकरोत् !
सभी धर्मों के अपने अपने पूज्य ग्रन्थ होते हैं, उसी प्रकार हिन्दू धर्म के पूज्य ग्रंथो में 4 वेद, 18 पुराण, 6 शास्त्र प्रमुख हैं जो सभी संस्कृत भाषा में हैं, रामायण, महाभारत, गीता, रघुवंश महाकाव्यम् आदि सभी ग्रन्थ संस्कृत भाषा में हैं, गीता को सभी ग्रन्थों का सार तत्व कहा जाता है जो भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में अद्भुत ज्ञान का भंडार माना जाता है, रामचरित्र मानस जो कि तुलसी दास की अवधी भाषा में लिखी बहुत प्रसिद्ध रचना है उसकी भी शुरुवात तुलसी दास ने संस्कृत भाषा में की है !
हिन्दू धर्मे मतभेदस्य कारणम् ?
हिन्दू धर्म में मतभेद का कारण ?
पराधीनतास्य कालेषु विदेशिकः विधर्मी शासका: च् हिन्दू समाजे वैमनस्यताय अनेकानि प्रकारस्य प्रयोगम् अकरोत् ! पराधीनता स्वीकृत्वान् हिन्दूभ्यः, धर्म ग्रन्थानाम् स्वेच्छानुसार व्याख्याम् कृतवान हिन्दुषु निम्न भावनाम् वैमनस्य कार्यम् क्रियते ! यतः वयं सर्वे स्व मूल भाषाम् शिक्षेव न अप्राप्यत् येन यथा व्याख्याम् अकरोत् वयं तम् स्वीकारम् कृतवन्तः परिणमतः वयं स्वेषु इव एकम् द्वितीयेन द्रुते अभवत् ! वेदस्य असाधु वर्णनम् ग्रिफिथ: मैक्स मूलर:अकरोत् ! परिणामम् धर्मम् परिवर्तनम् यत् तस्य उद्देश्यम् आसीत् तेषां सफलं बभूव ! पुनः बॉलीवुड:अग्ने घृतम् अहुतिस्य कार्यम् अकरोत् ! इस्लामी सभ्यतां इस्लामीकरणम् वा बहैव रचनात्मकम्प्रकारेण प्रस्तुतम् अकरोत् यस्येन जनानि इस्लाम प्रति अकर्षितम् कृत शक्नोति !
गुलामी के दिनों में विदेशी और विधर्मी शासकों ने हिन्दू समाज में फूट डालने के लिए अनेकों तरह के प्रयोग किये ! गुलामी स्वीकार करने वाले हिन्दुओं से, धर्म ग्रंथों की मनमानी व्याख्या करवा कर हिन्दुओं में हीन भावना और फूट डालने का काम करते रहे ! क्योंकि हम सभी अपने मूल भाषा को सीख ही नहीं पाए जिसने जैसी व्याख्या की हम उसे स्वीकार करते गए परिणामतः हम आपस में ही एक दूसरे से दूर हो गए ! वेदों का अभद्र वर्णन ग्रिफिथ व मैक्स मूलर ने किया ! परिणाम धर्म परिवर्तन जो उनका उद्देश्य था उसमें सफल हुए ! पुनः बॉलीवुड ने आग में घी डालने का कार्य किया ! इस्लामी सभ्यता व इस्लामी करण को बहुत ही रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जिससे लोगों को इस्लाम की ओर आकर्षित कर सकें !
एकम् लोकोक्तिम् अस्ति यस्यां उन्नतिस्य कार्यभारम् अमिलत् सः इव अनावगम् आसीत्, पूर्वे बहु वर्षेषु हिन्दुत्वम्गृहीत्वा व्यवसायिकम् संतानि, ज्योतिषानि, धर्माचार्याणि च् अज्ञानस्य स्व लाभाय अत्रस्य तत्रस्य ज्ञानम् अबंटनत् ! अकश्चित ज्ञानस्य हिन्दू संगठनानि राजनीतिज्ञानि च् हिन्दू धर्मस्य जनानाम् पूर्णतयेन असमंजसे प्रेषयस्य पूर्ण प्रयासम्, यत् अद्यापि अनवरतस्ति ! हिन्दू धर्मस्य इच्छानुसारम् व्याख्याम् इच्छानुसारम् च् नीति – नियमानिस्य कारणम् हिन्दु अनुगमेव न पायतु तत अत्र गच्छ तत्र वा ! हिन्दू धर्मस्य जनानाम् इच्छनीय तत सः स्व संस्कृत भाषाया: विधिवतम् अध्ययनम् अकरोत् तदा सः हिन्दू धर्मम् अनुगमे सक्षम: भविष्यति !
एक कहावत है जिनको सुधारने का दायित्व मिला वह ही नासमझ थे, पिछले कई वर्षों में हिन्दुत्व को लेकर व्यवसायिक संतों, ज्योतिषियों और धर्माचार्यों ने बिना ज्ञान के अपने फायदे के लिए इधर उधर का ज्ञान बांटा ! बिना किसी ज्ञान के हिन्दू संगठनों और राजनीतिज्ञों ने हिन्दू धर्म के लोगों को पूरी तरह से असमंजस में डालने का भरपूर प्रयास किया, जो आज भी जारी है ! हिन्दू धर्म की मनमानी व्याख्या और मनमाने नीति – नियमों के चलते हिन्दू समझ ही नहीं पाते कि इधर जाऊं या उधर ! हिन्दू धर्म के लोगों को चाहिए कि वह अपनी संस्कृत भाषा का विधिवत अध्ययन करें तभी वह हिन्दू धर्म को समझने में सक्षम होंगे !
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