उत्तर प्रदेश में हाथरस घटना की जांच सीबीआई के हाथों में सौंप दी गई है। सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कर जांच भी शुरू कर दी है। वहीं, अब हाथरस की घटना को लेकर एक और बड़ा खुलासा हुआ है। सोशल मीडिया पर किए जा रहे फर्जी ट्वीट्स की पड़ताल करने वाली पुलिस टीम को अहम सुराग हाथ लगे हैं। पुलिस के अनुसार हाथरस कांड में भ्रम फैलाने के लिए ट्वीट पाकिस्तान और मध्य एशिया के ट्विटर हैंड से किए गए। इसके पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को बदनाम करना मुख्य उद्देश्य था।
गौरतलब है कि, सोशल मीडिया पर हाथरस कांड को लेकर भ्रम फैलाने के मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) की संलिप्तता का पहले ही खुलासा हो चुका है। जांच कर रही एजेंसियों का दावा है कि ऐसा प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया पर बड़ी साजिश रची गई थी। पुलिस और जांच एजेंसियां अब पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इसके पीछे भारत में सक्रिय किसी संगठन की साजिश तो नहीं थी।
खबरों के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियों को पता चला है कि इस साजिश के लिए बाकायदा फंडिंग की गई है। सोशल मीडिया पर यह प्रचारित किया गया था कि लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ है, उसकी जीभ काट ली गई है और हाथ-पैर तोड़ दिए गए हैं। इसमें से कई तथ्य अभी तक की जांच में गलत पाए जा चुके हैं। वहीं, ऐसी साजिशों के खिलाफ हाथरस के चंदपा थाने में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज होने के बाद सुरक्षा एजेंसियां एक्टिव हुईं तो बड़ी संख्या में फर्जी एकाउंट्स बंद हो गए और नफरत फैलाने वाले झूठे ट्वीट हटा दिए गए। हालांकि मामले की जांच अब सीबीआई ने अपने हाथ में ले ली है।
बात दें कि, हाथरस केस के मामले में लखनऊ हाईकोर्ट ने पीड़ित परिवार को बयान देने के लिए 12 अक्टूबर को लखनऊ बुलाया है। वहीं, पीड़ित परिवार ने पुलिस की सुरक्षा-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए लखनऊ जाने से मना कर दिया है। पीड़िता के भाई का कहना है कि रात को वह लखनऊ नहीं जाएंगे। हालांकि पीड़ित परिवार को पुलिस प्रशासन मनाने में जुटा है, लेकिन पीड़ित परिवार मानने को तैयार नहीं है।