एक तरफ जहां दुसरे राज्यों की सरकारें सेकुलरिज्म की दुहाई देते हुए कई जरूरी काम नहीं कर पति, वहीं उत्तर प्रदेश की योगी जी की सरकार इन दिनों ऐसे ऐसे काम कर रही है, जी कुछ समय पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था। चाहे आजम खान जैसे नेता पर एक्शन हो, चाहे गुंडे और अपराधियों पर लगाम लगाने का काम करना हो, चाहे माफिया लोगो की संपत्ति जब्त करने और ध्वस्त करने का काम हो, योगी इसमें बिना किसी धर्म और जाति का लिहाज किये, सभी अपराधियों को कानून के अनुसार सज़ा देने में लगे हुए हैं।
ताजा मामले में, योगी सरकार ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की 100 बीघा जमीन को मुक्त कर उस पर कब्ज़ा करने की कार्यवाही शुरू कर दी है। ये जमीन लियाकत अली खान के परिवार के कब्जे में है और मुजफ्फरनगर जिले में पड़ती है ।
दरअसल हुआ ये था कि पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री और मुजफ्फरनगर के जमींदार रहे लियाकत अली खां के परिवार की निष्क्रांत संपत्ति श्रेणी की करीब सौ बीघा बेशकीमती जमीन को लेकर एसडीएम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। एसडीएम कोर्ट ने जमीन को राज्य सरकार के नाम पर दर्ज करने और तहसीलदार को जमीन पर कब्जा लेने को भी कहा है।
ये जमीन लियाकत अली खान के चाचा रुस्तम अली खान की है , जो आजादी के समय मुजफ्फरनगर के एक बड़े ज़मींदार थे। पुराने ज़माने में लोग कहा करते थे की आज का मुजफ्फरनगर का अधिकतर इलाका दरअसल लियाकत अली खान के परिवार की जमीन पर ही बसा हुआ है।
लियाकत अली खान सं 1926 से लेकर 1940 तक विधान परिषद् की सदस्य थे, उसी जमाने में उनके परिवार ने मुजफ्फरनगर और इसके आस पास के बड़े क्षेत्र में काफी बड़े भूभाग पर कब्जा भी किया था। जब लियाकत अली खान का परिवार विभाजन के दौरान पाकिस्तान जाने लगा, तब उन्होंने ये जमीन लाला रघुराज स्वरुप को दे दी थी।
आजादी के बाद ज़मींदार एक्ट को ख़त्म कर दिया गया था, और फलस्वरूप ये जमीन अब तक सरकार को सौंप दी जानी चाहिए थी, लेकिन आजादी के बाद किसी भी सरकार ने इस जमीन पर कब्ज़ा लेने की हिम्मत नहीं दिखाई ,और रघुराज स्वरुप के परिवार ने इस जमीन पर कब्ज़ा कायम रखा, लेकिन अब योगी सरकार की कार्यवाही की वजह से ये अरबो रूपए की जमीन सरकारी कब्जे में वापस आ जायेगी ।
एसडीएम कोर्ट का यह फैसला भोपा रोड की शहर के अंदर की ग्राम यूसुफपुर महाल में लियाकत अली खां के चाचा रुस्तम अली खां की जमीन के लिए है। अपने निर्णय में कोर्ट ने कहा है कि महाल रुस्तम अली खां के खेवट नंबर 4/1 में लाला रघुराज स्वरूप के नाम की प्रविष्टि शिकमी काश्तकार के रूप में दर्ज थी।
कुछ भूमि पर 1360 फसली से पूर्व ही लाला रघुराज स्वरूप ने अवैध तरीके से संक्रमणीय अधिकार अर्जित कर लिए थे और शेष भूमि पर अधिवासी/आसामी अधिकार जमींदारी खात्मा के दौरान वर्ष 1961 में लाला रघुराज स्वरूप को प्राप्त होने थे। भूमि नियमानुसार उसी समय ही नियत अवधि के पश्चात राज्य सरकार में निहित होनी चाहिए थी, परंतु लाला रघुराज स्वरूप ने राज्य सरकार में निहित नहीं होने दी। उन्होंने मूल्यवान भूमियों को हड़पकर राज्य सरकार को क्षति पहुंचाई।
एसडीएम (उपजिलाधिकारी) कोर्ट ने आदेश में कहा है कि जालसाजी, कूटरचना या कपट से प्राप्त की गई भूमि में लाला रघुराज स्वरूप एवं उनके उत्तराधिकारियों अलोक स्वरूप एवं अनिल स्वरूप निवासी राजभवन, भोपा रोड और ललिता कुमार गुप्ता, कुसुम कुमारी, ओमप्रकाश गुप्ता, अतुल गुप्ता, अपर्णा वारिसान लाला दीपचंद को कोई अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं।
एसडीएम ने अपने आदेश में यह भी लिखा है कि प्रविष्टियों में कूट रचना करने वाले व्यक्ति को सुनवाई का अवसर दिया जाना उचित नहीं है। इसके बाद भी प्रतिवादीगणों को नोटिस भेजकर जवाब व साक्ष्य के लिए अवसर दिया गया। लेकिन कोई जवाब और साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया। हालांकि अनिल स्वरूप का कहना है कि उन्हें सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया।
यहाँ ये बताना ज़रूरी है कि योगी सरकार ने इस समय एक अभियान चला रखा है, जिसमे माफिया, अपराधी और शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत प्रदेश में अरबो रूपए की सम्पत्तियो को पिछले कुछ महीनो में सरकार ने कब्जे में लिया है। ये अपने आप में एक बहुत बड़ा कार्य है, जिसकी संभावना पहले नहीं हुआ करती थी, क्यूकि धार्मिक और राजनीतिक ताकतों की वजह से ऐसे कदम उठाने को कोई भी सरकार तैयार नहीं हुआ करती थी, लेकिन योगी जी के रूप में प्रदेश को एक अत्यंत ही मजबूत प्रशासक मिला है , जो कड़े कदम उठाने से पहले एक क्षण भी नहीं सोचते ।