हाथरस की बेटी के साथ हैवानों की दरिंदगी और फिर पुलिसवालों की अमानवीयता से पूरे देश में आक्रोश है। काफी हंगामे के बाद कल देर रात पुलिस ने पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, पुलिसवालों ने अंतिम संस्कार के वक्त घेरा बना लिया। किसी को चिता के पास जाने तक नहीं दिया। पुलिस के इस रवैये पर ग्रामीणों में जबरदस्त गुस्सा है। परिवार वालों का कहना है कि वो लगातार पुलिस से ये कहते रहे कि एक बार शव को घर ले जाने दिया जाए, लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी। अंतिम संस्कार 30 सितंबर की रात करीब 2:45 और 3 बजे के आस-पास हुआ।
वहीं, अब हाथरस केस में जांच के लिए एसआईटी (SIT) का गठन हो गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद गृह सचिव भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी टीम मामले की जांच करेगी। गृह सचिव भगवान स्वरूप, डीआईजी चंद्र प्रकाश और सेनानायक पीएसी आगरा पूनम एसआईटी के सदस्य होंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में लाने के निर्देश दिया है। बता दें कि, इस मामले में सभी चारों आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं।
साथ ही सीएम योगी ने हाथरस में बालिका के साथ घटित दुर्भाग्यपूर्ण घटना के दोषियों नहीं बख्शे जाने की बात कही है।
सीएम योगी ने ट्वीट कर कहा कि, “हाथरस में बालिका के साथ घटित दुर्भाग्यपूर्ण घटना के दोषी कतई नहीं बचेंगे। प्रकरण की जांच हेतु विशेष जांच दल का गठन किया गया है। यह दल आगामी सात दिवस में अपनी रिपोर्ट देगा। त्वरित न्याय सुनिश्चित करने हेतु इस प्रकरण का मुकदमा फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलेगा।”
वहीं, अब इस मामले पर विपक्षी पार्टियां सरकार को घेरने में जुट गई हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी जबरन अंतिम संस्कार को लेकर हमला बोला है।
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि, “भारत की एक बेटी का दुष्कर्म -क़त्ल किया जाता है, तथ्य दबाए जाते हैं और अंत में उसके परिवार से अंतिम संस्कार का हक़ भी छीन लिया जाता है। ये अपमानजनक और अन्यायपूर्ण है।”
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव नें ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा।
अखिलेश ने ट्वीट कर लिखा ‘हाथरस की बेटी बलात्कार-हत्याकांड’ में शासन के दबाव में, परिवार की अनुमति बिना, रात्रि में पुलिस द्वारा अंतिम संस्कार करवाना, संस्कारों के विरुद्ध है। ये सबूतों को मिटाने का घोर निंदनीय कृत्य है। भाजपा सरकार ने ऐसा करके पाप भी किया है और अपराध भी।‘
हाथरस के जॉइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा का कहना है कि, “परिवार की सहमति के बिना अंतिम संस्कार किए जाने का आरोप गलत है। उन्होंने कहा कि अंतिम-संस्कार परिवारजनों के सहयोग और अनुमति से संपन्न हुआ। मामले में पीड़िता को न्याय मिले और दोषियों को सज़ा मिले, इसके लिए प्रशासन त्वरित कार्रवाई कर रहा है।”
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक, 14 सितंबर की सुबह लड़की अपनी मां के साथ चारा लेने खेतों पर गई थी। इस दौरान काम करते करते बेटी मां से कुछ दूर चली गई. तभी गांव के कुछ युवक आए और उसे अपनी दरिंदगी का शिकार बनाया। काफी देर तक जब बेटी वापस नहीं लौटी तो मां ने उसकी तलाश शुरू की। करीब 100 मीटर की दूरी पर बेटी खून से लथपथ हालत में मिली। मां ने आसपास के लोगों से मदद मांगी और बेटी को अस्पताल में भर्ती कराया। पीड़िता को पहले अलीगढ़ में इलाज के लिए भेजा गया और वहां हालात बिगड़ने पर उसे सफदरजंग अस्पताल में भेजा गया। घटना के 9 दिन बाद पीड़िता होश में आई तो इशारों से अपना दर्द बयान किया। लेकिन अफसोस, यहां भी पीड़िता को बचाया नहीं जा सका और मंगलवार सुबह उसने ने दम तोड़ दिया।
पुलिस ने इस मामले में अभी तक सभी चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, उन पर सामूहिक बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया गया है, और उन्हें जेल भेज दिया है। हालांकि, लड़की के परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने शुरू में उनकी मदद नहीं की और मामले पर गुस्सा जताने के बाद कार्रवाई की है।
साथ ही आपको बता दें कि, घटना के बाद पीड़िता की रीढ़ की हड्डी टूटने, जीभ कटने और गैंगरेप होने की बात सामने आई थी, जिसे 29 सितंबर को पुलिस ने खारिज कर दिया था। हाथरस के एसपी का कहना है कि जीभ काटने की बात सरासर झूठी है। उन्होंने कहा कि पीड़िता के बयान रिकॉर्ड किए हैं। कई जगह इस तरह की बातें भी रिपोर्ट की जा रही हैं कि पीड़िता की रीढ़ की हड्डी टूटी है। ये बात भी पूरी तरह से गलत है। पीड़िता को गला घोंटकर मारा गया है, इसकी वजह से उसके गले पर चोट के निशान आए हैं। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि मामला इतना बिगड़ गया।
फिलहाल, हाथरस केस में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फौरन एक्शन लेते हुए जांच के लिए SIT का गठन कर दिया है। SIT को 7 दिन में रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। साथ ही सीएम योगी ने दोषियों को नहीं बख्शे जाने की भी बात कही है।