आज भारत में दो सबसे बड़ी समस्यायें हैं, एक तो यहाँ धर्मान्तरण काफी हो रहा है, दूसरा हमारे सनातन धर्म से लोगो का मोह छूटता जा रहा है, और इन सबसे बड़ी समस्या ये है कि ये सब जानते हुए भी हम या कोई भी हिन्दू संगठन या सरकार इस मामले पर कुछ ख़ास करती नहीं दिख रही है। लेकिन एक संगठन है जो दशकों से इन समस्याओ पर कार्य कर रहा है, और शायद यही कारण है कि देशद्रोही और धर्मद्रोही लोगो कि आँखों में ये संगठन हमेशा से ही खटकता रहा है।
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की, ये संगठन काफी वृहद् है और इसकी कई शाखाएं भी हैं, इन्ही के आनुषांगिक संगठन एकल अभियान ने इस समय देश के सामने मुँह बाई इन समस्याओं से लड़ने का एक अनूठा तरीका निकाला है।
इस संगठन ने 1500 से ज्यादा आदिवासी युवतियां को जोड़ा है, जो झारखंड सहित पूरे देश में घूम-घूम कर सांस्कृतिक चेतना जगाने और धर्मांतरण रोकने के अभियान में जुटी हैं। इन लड़कियों को जहां प्रशिक्षण दिया गया है और ये युवतियां गांवों में जाकर लोगों को राम कथा व भागवत कथा सुनाकर लोगों को सनातन धर्म के प्राचीन और समृद्ध ज्ञान से अवगत करा रही हैं। इस काम में 1500 कथा वाचक लगी हैं। इसमें अधिकतर सुदूर ग्रामीण इलाकों के रहने वाली युवतियां हैं। आरएसएस इन लड़कियों का पढ़नी लिखाई, रहना खाना और हाथखर्च भी वहन करता है।
ये संगठन पिछले 35 सालो से कार्यरत है, एकल अभियान के संस्थापक व आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक श्यामजी गुप्त की प्रेरणा से इस अभियान की शुरुआत 1995 में हरि कथा योजना नाम से झारखंड से की गई थी। धीरे-धीरे इस अभियान से झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा सहित कई राज्यों के गांवों की लड़कियां जुडऩे लगीं और कथा कहने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने लगीं। वर्तमान समय में तीन हजार कथावाचक गांवों में जाकर कथा कहने का काम कर रहे हैं। ये कार्य सुनने में बड़ा ही सामान्य सा लग रहा है, लेकिन इसके फायदे बड़े हैं। इससे हिंदुत्व और सनातन का भला हो रहा है और देश तथा धर्म को बर्बादी से भी बचाया जा रहा है।
इस अभियान का ध्यान ज्यादातर उन इलाको में है, जहां ईसाई मिशनरियों द्वारा भोले-भाले आदिवासियों का धर्मांतरण कराया जा रहा है। ये मिशनरी पैसो का लालच देकर या डरा धमका कर मासूम हिन्दुओ को अपने जाल में फंसा लेती हैं, उनका धर्म परिवर्तन कर उन्हें देश और धर्म के खिलाफ ही खड़ा कर दिया जाता है । ऐसे में इन युवतियों के गाँव गाँव घूम कर लोगो को उनके धर्म से जोड़े रखने के प्रयास की सराहना होनी ही चाहिए।
आरएसएस ने इन युवतियों को प्रशिक्षित करने के लिए अयोध्या, वृंदावन, नागपुर, पुरी, गुवाहाटी सहित पूरे देश में सात स्थानों पर मुख्य प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं। जहां आरएसएस के धार्मिक प्रशिक्षक इन्हे धर्म ग्रंथो और हिन्दू कर्मकांडो की व्यापक शिक्षा देते हैं, और उसके बाद इन लड़कियों को दलितों और आदिवासियों के इलाको में भेजा जाता है, जहाँ इन कथावाचकों के प्रयास से स्थानीय लोगों में अपने धर्म और संस्कृति के प्रति गौरव व स्वाभिमान का भाव भी बढ़ा है।
ऐसा भी देखने में आ रहा है कि बच्चों व युवाओं में सांस्कारिक व आध्यात्मिक जागरण भी हुआ है। इनसे प्रेरित होकर लोग अब धर्मांतरण का विरोध भी करने लगे हैं । लालच देकर धर्मांतरण कराने वालों से ये युवतियां सनातन धर्म के गूढ़ ज्ञान के हथियार से मुकाबला कर रही हैैं। कई इलाकों में धर्मांतरण पर रोक लगनी शुरू हो गई है।
एकल अभियान कथाकार योजना के अखिल भारतीय प्रमुख जीतू पाहन ने कहा कि विदेशी धर्म संस्कृति वाले लोग हमारे भोले-भाले आदिवासी भाई-बहनों को प्रलोभन देकर धर्म बदलने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। जब लोगों को अपनी धर्म-संस्कृति के बारे में जानकारी दी जाती है तो अपने धर्म के बारे में उनका स्वाभिमान जागृत होता है। इसके बाद वह दूसरे धर्म को अपनाना नहीं चाहते।
खास बात यह है कि धर्मांतरित होकर जो लोग दूसरे धर्म में चले गए वे अब अपने मूल धर्म में वापस भी आ रहे हैं। जिन-जिन आदिवासी गांवों में हरि सत्संग मंडली सतत कार्य करती है उन गांवों में किसी भी विदेशी धर्म प्रचारक का स्थान नहीं है। उन गांवों के अधिकतर युवा नशा पान नहीं कर रहे हैं।
हरि कथा योजना के केंद्रीय प्रशिक्षण प्रमुख देवकीनंदन दास ने कहा कि जो भी युवक व युवतियां कथाकार योजना से जुड़ते हैं, उन्हें सबसे पहले मुख्य प्रशिक्षण केंद्रों पर नौ माह का प्रशिक्षण दिया जाता है। फिर जिलों व अंचलों में एक माह का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलता है, जो अभी कई जगहों पर चल रहा है। प्रशिक्षण लेने के बाद कम से कम पांच वर्षों तक सभी इस अभियान से जुड़े रहते हैं।
ये कथाकार विदेश में भी जाकर कथा कहते हैं। इस वर्ष फरवरी-मार्च में एक माह के लिए 10 लोगों की टोली अमेरिका गई थी। वर्तमान समय में यह अभियान देश के कई हिस्सों के साथ झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा आदि कई राज्यों में चल रहा है। निकट भविष्य में इस अभियान को देश के अन्य इलाको में भी फैलाया जाएगा ताकि धर्मान्तरण की समस्या को ख़त्म किया जा सके ।
कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि आरएसएस और इसके संगठन इस समय देश और धर्म के दुश्मनो के सामने एक बड़ी दीवार की तरह खड़े हैं, ये संगठन ही हिन्दुओ को ये सुरक्षा आवरण देते हैं, और हर हिन्दू का ये दायित्व बनता है की वो इन संगठनो पर विश्वास रखे और इसका समर्थन करे। हमे ये समझना होगा की इन संगठनो की वजह से ही हम इन सभी समस्याओ पर विजय प्राप्त कर सकते हैं, संगठन में ही शक्ति है, इसलिए हिन्दुओ को भी संगठित होना अब अनिवार्य है ।
नौटंकी चल रहा है क्या यहाँ ! अपना खुद का रीति-रिवाज और दस्तूर भुलाकर एक और पराये धर्म का चोगा पहनाकर किसको चूना लगाया जा रहा है ?