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जानिये भारत के असली ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’ के बारे में, जिसने पिछले 100 सालो में भारत के अनेक टुकड़े कर दिए

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आज कल एक शब्द बड़ा ही प्रचलित है, टुकड़े टुकड़े गैंग। अमूमन लोग टुकड़े टुकड़े गैंग का मतलब वामपंथी दल और उनके संगी साथियो के संगठन को समझते हैं, ये लोग भारत विरोध का कार्य करते हैं, ये लोग हमारे संविधान, हमारी सेना, हमारी सरकार और हमारे धर्म के विरोध में बोलते हैं , और हर तौर तरीका अपनाते हैं हमारे देश के लोगो में विभाजन करने का, इसी वजह से इन्हे टुकड़े टुकड़े गैंग कहा जाता है।

लेकिन क्या हो अगर मैं कहूँ कि ये वामपंथी, माओवादी आदि असली टुकड़े टुकड़े गैंग नहीं हैं? चौंक गए?

जी मैं सही कह रहा हूँ, असली टुकड़े टुकड़े गैंग अगर कोई है, तो वो है कांग्रेस। ये भारत कि सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है और पिछले 100 में कांग्रेस ने जितना नुक्सान भारत का किया है, इतना तो मुगलो ने और अंग्रेजो ने मिल कर भी ना किया होगा। आइये कुछ तथ्यों के द्वारा इसे जानने की कोशिश करते हैं ।

  1. 1911 में श्रीलंका को भारत से अलग किया – आपको ये जानकार आश्चर्य होगा की श्रीलंका भी एक ब्रिटिश कॉलोनी ही था , 1871, 1881, 1891 and 1901 के सेन्सस में भी भारतीय और श्रीलंका के तमिलों को जनसँख्या को एक कर के ही दिखाया गया था । लेकिन उसके बाद कांग्रेसी नेताओ ने ब्रिटिश सरकार ने साथ मिलीभगत की और श्रीलंका हमेशा के लिए भारत से अलग हो गया।
  2. 1937 में बर्मा को भारत से अलग किया -आपको ये जानकार आश्चर्य हो सकता है , कि बर्मा भी भारत का ही हिस्सा था, लेकिन The Government of Burma Act 1935 की वजह से ये अलग हो गया, ये एक्ट 1 अप्रैल 1937 को लागू हुआ और बर्मा को अलग देश की मान्यता मिल गयी। कांग्रेस ने इस एक्ट का कभी भी विरोध तक नहीं किया, क्युकी उन्हें सत्ता चाहिए थी।
  3. भारत का विभाजन – भारत के विभाजन के बीज तो कांग्रेस ने 1916 में ही डाल दिए थे, जब उन्होंने मुस्लिम लीग के साथ लखनऊ समझौता किया था । इस समझौते के अनुसार धार्मिक आधार पर चुनाव लड़ने को मंजूरी मिली थी, बाद में इसी वजह से मुस्लिम बहुल इलाको में पाकिस्तान बनाने की मांग उठने लगी थी, जो बाद में देश के दो टुकड़े होने तक जारी रही ।
  4. कश्मीर के टुकड़े करवाए – ये कोंग्रेस और नेहरू की ही नीति थी जिस वजह से आज कश्मीर का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है ,नेहरू के असमंजस और शेख अब्दुल्ला को कश्मीर का सर्वेसर्वा बनाने की जिद की वजह से कश्मीर में अवयवस्था फैली, जिसे बाद में भारतीय सेना ने संभाल भी लिया, लेकिन नेहरू ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठा दिया, जिसके बाद ये मुद्दा आज तक अनसुलझा ही है, और उस वजह से हमे पाकिस्तान के साथ युद्ध भी करने पड़े और हजारो भारतीयों को जान से हाथ भी धोना पड़ा।
  5. तिब्बत को अलग करवाया – तिब्बत हमेशा से ही भारत और चीन के बीच एक बफर स्टेट के तौर पर रहा, ये हमेशा से ही भारत का दोस्त रहा था। लेकिन 1950 के बाद की कांग्रेस और नेहरू की कुनीतियों की वजह से चीन को मौका मिला तिब्बत पर कब्ज़ा करने का, और उसने ना सिर्फ तिब्बत बल्कि कैलाश मानसरोवर जैसे अति महत्वपूर्ण और हिन्दुओ की आस्था के सर्वोच्च स्थान को भी अपने कब्जे में ले लिया, तब से आज तक वो चीन के ही कब्जे में हैं, इस वजह से हमारा चीन से युद्ध भी हुआ, और अभी भी सीमा पर तनाव ही है।
  6. बेरुबारी के टुकड़े किये कांग्रेस ने – ये पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में एक इलाका है, जब विभाजन हो रहा था, तब इस इलाके को भारत का भाग बताया गया , लेकिन जल्दबाजी में इस इलाके का नाम डाक्यूमेंट्स में लिखना भूल गए। नेहरू जी को भी सत्ता चाहिए थी, इसलिए ध्यान नहीं दिया, बाद में इसका फायदा पाकिस्तान ने उठाया और इस इलाके को अपने नक़्शे में दिखाना शुरू कर दिया। बाद में 1958 में नेहरू और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री फ़िरोज़ शाह नून के बीच समझौता हुआ, जिसमे इस इलाके को दोनों देशो ने आधा आधा बाँट लिया। और इस तरह से हमारे एक और इलाके के टुकड़े कर के हमने पाकिस्तान को दे दिया।
  7. जम्मू कश्मीर के और टुकड़े किये, अक्साई चिन दे दिया चीन को – 1962 के युद्ध से कई साल पहले से चीन ने अक्साई चिन इलाके में सड़कें बनाना शुरू कर दिया था , और ये बातें तत्कालीन कांग्रेस की सरकार और प्रधानमंत्री नेहरू को पता थी, लेकिन उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। उलटे नेहरू ने तो ये कहा की अक्साई चिन तो बंजर इलाका है, वहाँ तो घास का तिनका तक नहीं उगता । इसी ढुलमुल रवैये की वजह से भारत को 62 000 Square miles का इलाका चीन के हवाले करना पड़ा। ये इलाका सामरिक रूप से अत्यंत ही महत्वपूर्ण है।
  8. Table Island दे दिया बर्मा को – 1963 में बर्मा ने भारत के Table द्वीप पर कब्ज़ा किया ,नेहरू जी सोते रह गए और ये इलाका भी भारत के हाथो से चला गया , आज इसी द्वीप पर चीन अपना पोर्ट बना चुका है।
  9. मणिपुर के टुकड़े किये और कबाव घाटी को गिफ्ट कर दिया म्यांमार को -कबाव घाटी हमेशा से ही मणिपुर का हिस्सा रही थी, 1949 में जब मणिपुर का विलय भारतीय गणराज्य में हुआ था, तब ये घाटी भी भारतीय राज्य का हिस्सा बन गयी थी , लेकिन 1952 में प्रधानमंत्री नेहरू ने ये घाटी भी म्यांमार को गिफ्ट के रूप में दे दी । इस घाटी का क्षेत्रफल करीब 22 हजार 210 वर्ग किलोमीटर है और ये दुनिया के सबसे उपजाऊ इलाको में से एक मानी जाती है ।
  10. कच्चाथीवू द्वीप दे दिया श्रीलंका को – ये एक 285 एकड़ का द्वीप था जो हमेशा से भारत के अधिपत्य में ही था, लेकिन 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने ये द्वीप श्रीलंका को दे दिया । इसके लिए बाकायदा Indo-Sri Lankan Maritime agreement किया गया था।
  11. सैंकड़ो किलोमीटर के इलाके बांग्लादेश को दिए – 1971 के युद्ध के बाद कांग्रेस की कई सरकारों ने सैंकड़ो किलोमीटर के इलाके बांग्लादेश को गिफ्ट कर दिए, ये बोल कर की वे इलाके दलदल हैं।

ये तो वो उदहारण थे, जिनमे कांग्रेस ने भारत की ज़मीन के टुकड़े किये, लेकिन कांग्रेस यहीं तक नहीं रुकी, कांग्रेस ने भारत को अंदर से भी तोड़ने का काम किया, कांग्रेस की नीतिया हमेशा से ही फूट डालो और राज करो की रही है, आखिर इसे बनाया भी एक अंग्रेज ने ही था। अब हम बात करेंगे कांग्रेस एक उन कुकर्मो की ,जिनकी सजा हम आज भी भुगत रहे हैं, और भविष्य में भी ये हमे दर्द देते ही रहेंगे।

  1. नक्सलबाड़ी का नक्सल आंदोलन और माओ आतंकवाद – नक्सलबाड़ी का नक्सल आंदोलन कब शुरू हुआ? 1969 में….तब भारत और बंगाल में किसकी सरकार थी? दोनों जगह कांग्रेस की, प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी केंद्र में, मुख्यमंत्री सिद्दार्थ शंकर रॉय बंगाल में थे.नतीजा ये हुआ कि पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट सरकार बन गयी और नक्सल आंदोलन को सशस्त्र आंदोलन “माओवाद” में बदला गया, किसके द्वारा? नक्सल (माओवाद) भारत के 40% इलाके में फैलाया गया, जानते हैं किसकी छत्रछाया में? नक्सल (माओवाद) आंदोलन से अबतक 12000 सुरक्षाकर्मी शहीद हो चुके हैं, और अब तक लगभग 50000 आम नागरिक मौत के घाट उतार दिए गए हैं, कौन था जिम्मेदार? पश्चिम बंगाल में अपना प्रभुत्व बनाने के लिए किसने नक्सलवाद को बढ़ावा दिया? क्या पाकिस्तान के 2 टुकड़े करने वाली Iron Lady में इतनी हिम्मत नही थी कि छोटे से नक्सल ग्रुप को कंट्रोल कर सकती? खैर जिस Tool से राजनीतिक फायदे हो, उसे खत्म नही किया जाता। कांग्रेस ने जान बूझ कर नक्सलवाद को बढ़ाया, इनके नेताओ को संरक्षण दिया ,उन्हें बड़े संस्थानों में बैठाया, हमारी शिक्षा और मीडिया को बर्बाद करने दिया गया । ये सब सिर्फ सत्ता को बनाये रखने के लिए।
  2. खालिस्तान आंदोलन – क्या आपको जानकारी है कि खालिस्तान आंदोलन कब शुरू हुआ? 1971 में जब पूरे देश में कांग्रेस की सत्ता था, तब ये आंदोलन शुरू हुआ, इसको पाकिस्तान ने भी सपोर्ट किया क्योंकि उन्हें पता लग गया था कि परंपरागत लड़ाई में वे भारत से कभी नही जीत सकते। पंजाब में अकालियों का विरोध किया गया,कांग्रेस के पास अच्छे नेता नही थे, तो एक भाड़े का नेता इम्पोर्ट किया गया, जरनैल सिंह भिंडरावाले, वैसे ही जैसे आज कन्हैया, हार्दिक आदि पाल रखे हैं। दमदमी टकसाल से वहां के गुरु जरनैल सिंह भिंडरावाले को hire किया गया, बाकायदा दिल्ली में संजय गांधी ने उसका इंटरव्यू लिया। चुनाव में भिंडरावाले के प्रत्याशी को कांग्रेस ने समर्थन दिया, उसके बाद भिंडरावाले के हर गलत काम पर पर्दा किसने डाला? इतनी हत्याएं हुई लेकिन भिंडरावाले पर हाथ डालने की Iron Lady की हिम्मत नही हुई. पंजाब में आतंकवाद कौन लाया – कांग्रेस, बाद में जब भिंडरावाले को पाकिस्तान से हथियार और सपोर्ट मिलने लगा,और उसने खालिस्तान बनाने का आह्वान किया, तब Iron Lady की नींद टूटी और आपरेशन ब्लू स्टार किया, अन्यथा भिंडरावाले तो उनका Blue Eyed Boy था। इसकी परिणीति क्या हुई? स्वयं इंदिरा गांधी की हत्या, फिर हजारो सिखों की हत्या, और सिखों का एक बड़ा हिस्सा हमेशा के लिए भारत से दूर कर दिया गया, कौन था जिम्मेदार? सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस।
  3. नागालैंड का नागा आंदोलन – इस आंदोलन की शुरुवात 1950 में हुई, एक शांतिपूर्ण नागा आंदोलन में सशस्र बल का उपयोग शुरू किया 1956 में नेहरू द्वारा। नागालैंड के असंतुष्ट खेमो से सब वार्ता बंद करने का काम 1972 में किया इंदिरा गाँधी ने। फिर नागालैंड में खूनी लड़ाई शुरू हुई 1980 में, प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने वहां आर्मी को खपा दिया। क्या सिला मिला? हजारो सिविलियन और सैंकड़ो सैनिकों की मौत.
  4. मिजोरम की समस्या – मिज़ोरम मे आंदोलन शुरू हुआ 1966 में, प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने कभी बात करने में दिलचस्पी नही दिखायी, मिज़ोरम में आर्मी ऑपरेशन किया गया प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी के कर कमलों द्वारा।उस समय मिज़ोरम में कम्युनिष्ट सरकार थी, मिज़ोरम में अपने लोगों पे बम बरसाने वाले थे राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी, क्या result आया? सैकड़ो सिविलियन मारे गए, फौज को भी नुकसान हुआ, सालो साल AFSPA लगा रहा, कम्युनिस्टों ने इस AFSPA के मुद्दे पर सालो साल पैसा लूटा और सेना को बदनाम किया।
  5. मणिपुर को अलग थलग किया – मणिपुर की सरकार ने भारत सरकार द्वारा उनकी उपेक्षा का नोटिस दिया था 1964 में, उस समय प्रधानमंत्री थे शास्त्री जी, लेकिन उनके पास इतना समय ही नही रहा कि कुछ कर पाते, उससे पहले उनकी संदिग्ध मृत्यु हो गयी। मणिपुर में सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत 1972 में हुई, आयरन लेडी प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी ने वहां भी बातचीत की बजाय दमन किया। रिजल्ट यही आया कि वहां भी दूरियां बढ़ी, जो काम इत्मीनान से हो सकता था, उसे जानबूझ कर बिगाड़ा गया, ताकि सत्ता कायम रहे।
  6. असम में बोडोलैंड आंदोलन – इसकी शुरुआत हुई प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में। अलग बोडोलैंड की मांग हुई 1980 में, लेकिन बोडोलैंड को खूनी आंदोलन में बदला 1986 में प्रधानमंत्री राजीव गाँधी द्वारा, असम एकॉर्ड बनाया गया लेकिन उस पर कभी अमल नही किया गया, NRC का वादा किया गया लेकिन कभी नही बनाया गया। घुसपैठियों को दामाद बना कर रखा, लोकल्स का दमन किया और बदले में मिला क्या? उल्फा जैसे आतंकवादी संगठन, जिनकी फंडिंग भी कांग्रेस ही करती थी,और बदले में हजारो सिविलियन और फौजियों की लाशें।
  7. पश्चिम बंगाल में गोरखालैंड आंदोलन – केंद्र में कांग्रेस, राज्य में कम्युनिष्ट, बस बन गया बैलेंस, समस्या के लिए परफेक्ट रेसिपी, मिल गया सत्ता और कमाई करने का साधन, मरने के लिए सिविलियन और फौजी है ही।
  8. तमिल – श्री लंका विवाद – LTTE के प्रभाकरण को भारत में ट्रेनिंग किसने दिलवाई? इंदिरा गांधी ने, बाद में जब तनाव हो गया था तो प्रभाकरण को दिल्ली के अशोका होटल में मिलने के लिए किसने बुलाया? राजीव गांधी ने. बाद में राजीव गाँधी सरकार ने प्रभाकरन के साथ डबल गेम खेला, श्रीलंका में IPKF भेज दी, और साथ ही साथ प्रभाकरन के विरोधियो के साथ बातचीत करने लगे, जब डबल गेम खेला गया तो प्रभाकरण ने राजीव गांधी को मरवा दिया । दुनिया कहती है कि राजीव गांधी शहीद हुए, मैं कहता हूँ वो अपने और अपनी मां के खतरनाक खेल की भेंट चढ़ गए।

पिछले 70 सालों में आप किसी भी समस्या को देख लीजिए….उसके बारे में स्वतंत्र sources पर पढिये, जानकारी जुटाईये…. आपको उसके पीछे कांग्रेस का ‘हाथ’ जरूर दिखेगा।

कश्मीर विवाद,कावेरी जल विवाद, महाराष्ट्र में भाषाई विवाद, पंजाब – हरीयाणा के बीच चंडीगढ़ विवाद से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में ठाकुर – ब्राह्मण विवाद, हिन्दू का आपसी जातीय विवाद….हर विवाद और असंतोष का कारण कांग्रेस ही मिलेगी…..तेलंगाना और आंध्र का विवाद, गुजरात मे पटेल आंदोलन, हरियाणा में जाट और non-जाट के बीच का तनाव….सबके बारे में पढिये….आपको हर विवाद में कांग्रेस जड़ में मिलेगी और विवाद से पैसा बनाते परजीवी कम्युनिष्ट ही मिलेंगे।

आज के समय सभी अलगाववादी कम्युनिष्ट – माओवादी – खालिस्तान का समर्थक सारे कम्युनिष्ट पार्टी, कांग्रेस, केजरीवाल, ममता, नायडू,बुआ बबुआ आदि….आपस में सबका समर्थन के लिए चुनावी समझौता किये बैठे हैं। इनका सहायक है हमारा मीडिया और बॉलीवुड।

ये एक वृहद टुकड़े टुकड़े गैंग है,जिसे देश के टुकड़े करने में महारत हासिल है…70 साल का अनुभव भी है…..क्या करना है, कैसे करना है…..कैसे नैरेटिव बनाना है….कब बोलना है और कब चुप रहना है….इन्हें सब मालूम है।

इनसे कैसे लड़ेंगे आप? आपके पास बस 2 हथियार हैं……पहला है ‘जानकारी’……जानकारी लीजिये और लोगो को भी जागृत कीजिये…….दूसरा है ‘मतदान’……ये वो हथियार है जिससे आप इस टुकड़े टुकड़े गैंग का सर्वनाश कर सकते हैं.

1 COMMENT

  1. Itihaas ki aadhi adhoori jaankari hone ka yahi anjaam hota hai. Journalism ka mazaak banaa kar rkh diya hai tum jaise columnists ne. Congress doodh ki dhuli nahi hai…lekin agar dhang ke kabhi WhatsApp se hatkar itihaas padhoge to shayad pataa chale ki Congress ne kya kya kiya hai iss desh ke liye…kaise Nehru aur Indira ne North-east ko India mein rakhne ke liye koshishein ki aur kaise national policies ko strong kiya. Ye jitne points ginwaaye hain aapne inka background information check kiya hai kabhi???

    1st point ko padhkar hi ji khatta ho gyaa thha. Sri Lanka ko India ka part bataate huye kabhi socha ki Burma bhi British colony thhi…Tamil thhe agar Sri Lanka mein to Tripura ke aur Bengal ke bhi kaafi log thhe Burma mein. Use bhi kyon nahi bol dete India ka hissa… Afghanistan aur Iran ko bhi Akhand Bharat ghoshit kardo.

    Jaahil journalists!!!

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