जम्मू और कश्मीर भारत के सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में से एक है, इसका एक बड़ा कारण है इसका जिओ-स्ट्रेटेजिक महत्वपूर्ण होना । जम्मू और कश्मीर एक ऐसी जगह पर है, जहाँ कई देशों कि सीमाएं मिलती हैं, और कुछ देशों की सीमाएं यहां से नजदीक भी है। जैसे पाकिस्तान, चीन, तिब्बत, ताजिकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान। इसके अलावा यहाँ से तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान भी यहाँ से ज्यादा दूर नही। ऊपर से इस इलाके में दुनिया के सबसे बड़े ग्लेशियर भी हैं, जो दुनिया भर में मिलने वाले पीने लायक पानी के सबसे बड़े स्त्रोत है।
कुल मिलाकर ये कहा जा सकता हैं कि जम्मू और कश्मीर का राज्य हमेशा से ही अति महत्वपूर्ण रहा है और इस जगह पर जिस भी देश का नियंत्रण रहेगा वो दक्षिण-मध्य एशिया पर नियंत्रण कर सकता है, और पानी जैसे अति महत्वपूर्ण तत्व की आपूर्ति को नियंत्रित कर सकता है ।
वहीं सबसे दुखद बात ये है कि हमने अपने इस अति महत्वपूर्ण भूभाग पर कभी ध्यान ही नहीं दिय। 1947 में विभाजन के तुरंत बाद ही हम गिलगित बाल्टिस्तान और POK को खो बैठे, वहीं 1962 के युद्ध के दौरान हम अक्साई चिन, चीन को दे बैठे । उसके बाद हमारी सरकारों ने कभी भी जम्मू और कश्मीर में इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान नहीं दिया, हमारी सरकारों का सोचना था कि अगर हम इस राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर बनाएंगे तो इसका फायदा कहीं हमारे दुश्मन ही ना उठा लें , सोचीये ऐसी दुखद सोच हमारे हुक्मरानो की रही थी, लेकिन मोदी सरकार ने इसे बदल दिया है
पिछले साल 5 अगस्त का दिन एक ऐतिहासिक दिन था, जिसने जम्मू और कश्मीर के राज्य की किस्मत को हमेशा के लिए बदल दिया। मोदी सरकार ने धारा 370 और 35 A को ख़त्म कर दिया गया और जम्मू और कश्मीर राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभक्त कर दिया गया।
अगर हम इस नए मानचित्र को देखें तो ये पता लगता है कि लद्दाख में गिलगित, बाल्टिस्तान और अक्साई चिन को सम्मिलित किया गया है, जो ऐतिहासिक रूप से लद्दाख का ही भाग थे, वहां कि संस्कृति,बोल चाल और लोगो का रहन सहन हमेशा से एक सा ही रहा है । अब चूंकि जो नया केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख है, इसका महत्त्व काफी ज्यादा है, क्यूकी ये अक्साई चिन से लेकर गिलगित तक फैला हुआ है, वहीं अगर हम उत्तर की तरफ देखें तो सियाचिन, दौलत बेग ओल्डी और सक्षगाम वैली भी लद्दाख का ही भाग है। ऐसे में लद्दाख को मजबूत बनाना हमारे लिए बहुत ही जरूरी था।
ये बात हमारी सरकार ने भी समझी और इस पर 2014 के बाद से ही काम भी शुरू हो चुका था, हालांकि पिछले 2 सालों में इन कामो में तेजी भी आयी है और आज हम आपको इसी बारे में बताएँगे कि कैसे मात्र 2 सालों में मोदी सरकार ने लद्दाख को एक अभेद्य किले में बदल दिया।
20 हजार करोड़ के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट
मोदी सरकार ने लद्दाख में 20 हजार करोड़ के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स शुरू किये, इनमे से कई पूरे भी हो चुके हैं, और कई इस समय आखिरी चरण में हैं। इसमें से सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है दुर्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी सड़क, यह सड़क काफी महत्वपूर्ण है क्यूकी ये लद्दाख के सीमावर्ती इलाको (जो LAC के पास हैं) को आपस में जोड़ती है, इसी सड़क की वजह से भारतीय सेना को मूवमेंट करने में काफी आसानी हो रही है, और इसे वजह से भारत कुछ घंटो के नोटिस पर ही अपने सैनिको को फ्रंट पोस्ट पर भेज सकता है, जिसे पहले भेजने में कई दिन लग जाते थे, और यही सबसे बड़ी वजह है चीन के घबराने की, और इसी वजह से चीन ने LAC पर इतना बवाल किया हुआ है ।
30 महत्वपूर्ण पुलों और सुरंगो का निर्माण
लद्दाख में अलग अलग इलाको में BRO 30 महत्वपूर्ण पुलों का निर्माण कर रहा है, इनमे से अधिकतर का निर्माण पूरा भी हो चुका है। इन पुलों की वजह से सेना को काफी फायदा पहुंचा है, अब सेना पूरे साल मूवमेंट जारी रख सकती है । इसी के साथ कई सुरंगो का निर्माण भी किया जा रहा है, इन सुरंगो की वजह से यातायात साल भर चालु रह सकता है। ये पुल और सुरंगे लद्दाख के अति महत्वपूर्ण इलाको जैसे गलवान, चुशुल, श्योक, देमचोक और न्योमा में बनाये जा रहे है।
अत्याधुनिक हथियारों की तैनाती
1962 में हमारी हार का सबसे बड़ा कारण था हथियारों और अन्य सैन्य उपकरणों की कमी। लेकिन मोदी सरकार ने इन कमियों को भी दूर कर दिया है। सरकार ने लेह,कारगिल, थोइसे और DBO के एयरफील्ड को पहले से बेहतर बनाया है, ताकि वहां बड़े ट्रांसपोर्ट हवाई जहाज साल भर आ जा सकें, इसी के साथ सरकार ने सुखोई MKI , Mig 29 और मिराज फाइटर जेट्स को लद्दाख में तैनात कर दिया है। इनके अलावा चिनूक हेलीकाप्टर और अपाचे अटैक हेलीकाप्टर को भी अग्रिम इलाको में तैनात किया हुआ है। इनके अलावा LAC के आस पास ड्रोन की मदद भी ली जा रही है निगरानी के लिए। भारतीय सेना ने LAC के आस पास अत्याधुनिक टैंक्स और एयर डिफेन्स भी तैनात कर दिया है। इसके अलावा बोफोर्स तोप भी यहाँ तैनात की जा चुकी है ।
पावर प्रोजेक्ट्स
लद्दाख में पहले पावर प्रोजेक्ट नहीं के बराबर ही थे, लेकिन अब इस क्षेत्र में भी तेजी आयी है। NHPC लद्दाख में 205 मेगावाट के हाइड्रो और सोलर पावर प्लांट्स लगाने जा रही है। ये हाइड्रो प्रोजेक्ट्स खालसी (80 MW),कन्युनचे (45 MW) और तक्मचिंग (30 MW) में बनाये जाएंगे , इनके अलावा फ्यांग में एक 50 MW का सोलर प्रोजेक्ट भी बनाने का काम शुरू होने जा रहा है। इनके अलावा लेह में 45 MW का निम्मी बाजगो प्रोजेक्ट और कारगिल में 44 MW का चुटक प्लांट चालु भी हो चुका है । इसके अलावा 11 हजार करोड़ की लागत से 900 किलोमीटर लम्बी पावर ट्रांसमिशन लिंक लाइन भी बनाई जा रही है, जो नेशनल ग्रिड से जोड़ी जायेगी, जिसकी वजह से लद्दाख दुसरे राज्यों को बिजली भी बेच सकेगा, इससे सालाना कई सौ करोड़ की कमाई होने का अंदेशा है।
लेह एयरपोर्ट और शहर का विकास
लेह में एकमात्र सिविलियन एयरपोर्ट है, जिसका नाम है कुशक बाकुला रिम्पोछे। इस एयरपोर्ट को अत्याधुनिक रूप दिया जा रहा है, एक नया टर्मिनल भी बनाया जा रहा है। अभी लेह और लद्दाख देखने साल में हजारो यात्री आते हैं, लेह शहर और एयरपोर्ट में बदलाव किया जा रहा है ताकि साल में लाखो यात्रियों को यहां आने की व्यवस्था की जा सके। लेह शहर में होटल, सड़क और नए बाजार बनाये जा रहे हैं, जिससे यहाँ आने वाले यात्रियों को सहूलियत मिले।
इन सभी कार्यो से लद्दाख का बहुर्मुखी विकास होने जा रहा है, नया लद्दाख एक बहुत ही मजबूत और आधुनिक शहर होगा, जहां दुनिया भर से पर्यटक भी आएंगे, और इस इलाके पर भारत के दावे को मजबूती भी मिलेगी। लगता है चीन इन सब बातो को समझ रहा है और उसे ये लगने लगा है कि कहीं POK के साथ साथ भारत सरकार अक्साई चिन पर भी दावा ना ठोक दे, वैसे इसमें कोई बड़ी बात नहीं, हम दावा भी ठोकेंगे और भविष्य में अक्साई चिन को वापस लेकर भी रहेंगे ।