उत्तर प्रदेश में हाथरस कांड की जांच कर रही सीबीआई को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। जिसमें सबसे बड़ी चुनौती होगी शुरुआत में पीड़िता के शरीर और कपड़ों से सही तरीके से सैंपल का न लिया जाना। पुलिस की यह बड़ी लापरवाही सीबीआई जांच में अड़चनें पैदा करेगी।
11 दिन बाद लिए गए थे पीड़िता के सैंपल
बता दें कि, सीबीआई से पहले यूपी सरकार द्वारा गठित एसआईटी की एक टीम इस मामले की जांच कर रही थी। जिसके बाद अब सीबीआई ने मामले को अपने हाथ में ले लिया है। सीबीआई को अगर पीड़िता के शव की जांच करने को मिलती तो कई बड़े खुलासे हो सकते थे। वहीं, हाथरस पुलिस द्वारा गैंगरेप की जांच के लिए पीड़िता के शरीर से 11 दिन बाद सैंपल लिए गए थे। फॉरेंसिक एक्सपर्ट के मुताबिक अगर तय समय सीमा के अंदर पीड़िता के सैंपल नहीं लिए गए होंगे तो रेप की पु्ष्टि मुश्किल है। यह भी पक्का नहीं है कि पुलिस ने वारदात के दौरान पीड़िता द्वारा पहने कपड़ों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा है या नहीं। एक्सपर्ट के मुताबिक अगर वारदात के एक सप्ताह के बाद वजाइनल स्वॉव जांच के लिए लिया जाता है तो उस पर सीमेन डीएनए मिलना मुश्किल होता है, क्योंकि शरीर में बनने वाले फ्यूयड के चलते ये धुल जाते हैं।
14 की सुबह क्या हुआ था?
सीबीआई के लिए सबसे बड़ी और अहम चुनौती होगी कि 14 सितंबर की सुबह क्या हुआ। क्योंकि पीड़ित पक्ष की तरफ से तीन बार अलग-अलग बयान दिए गए हैं। वहीं मामले को लेकर ग्रामीण कुछ और ही बयान दे रहे हैं। कुछ दिन पहले मामले में आरोपियों ने हाथरस एसपी को एक चिठ्ठी लिखकर खुद को निर्दोष बताया था और पीड़ित परिजनों पर गंभीर आरोप लगाए थे। वहीं, बिना किसी तटस्थ प्रत्यक्षदर्शी की गवाही के दोनों पक्षों में से सच कौन बोल रहा है, यह पता लगाना काफी मुश्किल होगा। फिलहाल सीबीआई की एक टीम हाथरस पहुंच कर मामले की जांच में जुट गई है। उम्मीद लगाई जा रही है कि सीबीआई जांच से मामले में सच बाहर आ सकेगा।