ऐसा माना जाता है कि कई बार सत्य वो नहीं होता जो दिखाया जाता है, सत्य कई बार छुपा हुआ भी होता है, जिसे देखने के लिए निष्पक्ष दृष्टि चाहिए होती है। आज हम आपको एक ऐसी ही घटना के पीछे छुपे हुए सत्य को बताने को कोशिश करेंगे।
आज पूरी दुनिया कोरोना से जूझ रही है। पिछले दिनों भारत में कोरोना के केस में लगातार वृद्धि के बाद कई राज्यों ने अपने सबसे प्रभावित इलाकों में पाबंदियों को सख्त किया है.
गुजरात के सूरत में भी रात के वक्त कर्फ्यू लागू है, वहां हर तरह कि गतिविधि पर प्रतिबन्ध है, इसे लागू करने के लिए पुलिसकर्मी अपनी ओर से प्रयास कर रहे हैं, लेकिन पिछले दिनों एक ऐसा मामला आया है, जहां राज्य सरकार के एक मंत्री के समर्थकों ने ही उसका उल्लंघन किया और उन्हें ऐसा करने पर टोकने वाली पुलिसकर्मी को ‘कथित तौर पर’ इस्तीफा देना पड़ गया.
पिछले शुक्रवार देर रात सूरत के वराछा इलाके में मंत्री के कुछ समर्थक सरकारी नियमों और दिशानिर्देशों का खुलेआम उल्लंघन करते दिखे. ये लोग कर्फ्यू के बावजूद बिना मास्क लगाए घूम रहे थे.इसी दौरान ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी सुनीता यादव, जिन्हे अब लोग ‘लेडी सिंघम’ के नाम से भी जानते हैं, उन्होंने इन लोगों को इस तरह बाहर घूमने पर टोका. पुलिसकर्मी ने इन समर्थकों से कई सवाल पूछे, जिससे खफा इन समर्थकों ने मंत्री के बेटे को फोन कर बुला दिया.
गुजरात के स्वास्थ्य राज्यमंत्री कुमार कानाणी के बेटे प्रकाश कानाणी अपने समर्थकों को कर्फ्यू उल्लंघन मामले में छुड़ाने पहुंचे थे। महिला सिपाही और राज्यमंत्री के बीच फोन काफी देर कहासुनी हुई. करीब डेढ़ घंटे तक चले इस ड्रामे का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. वीडियो वायरल होने के बाद मीडिया ने ऐसा बताया कि सुनीता यादव को छुट्टी पर भेज दिया गया है.
ये एक आम सी कहानी है, और इसे सुनकर अमूमन हर इंसान का समर्थन पुलिस कांस्टेबल के साथ ही जाएगा, लेकिन क्या हो अगर हम कहें कि सच इससे अलग है?
इस मुद्दे को मीडिया ने इतना बढ़ा चढ़ा दिया कि अब लोगो को दुसरे पक्ष को देखने की ज़रुरत ही नहीं लग रही है। सबसे पहले तो ये जानना ज़रूरी है की आखिर उस दिन हुआ क्या था ।
लेडी सिंघम का सच क्या है ?
कहानी साधारण सी है, एक इंसान अपने दोस्त के लिए आता है जब पुलिस उसके दोस्त को पकड लेती है। उस इंसान की कार पे ‘MLA गुजरात’ का बोर्ड लगा है, ये देखते ही कैमरा सेट हो जाता है, फ़िर चलता है प्रश्नो का दौर, लेडी कोन्स्टेबल पूछती है आप कौन हो, किसके बेटे हो, फ़िर लेडी के कहने पे इंसान जाता है और बोर्ड हटा देता है ।
तभी लड़का कहता है की “मैंने तो रिक्वेस्ट की थी।
यह सुन लेडी सिंघम आगबबूला हो जाती है और बात मोड़ते हुए कहती है की आपको परमिशन किसने दी बाहर निकलने की? (तभी कैमरा वाला लड़का हंसने लगता है)
और पुलिस कर्मी मंत्रीजी को कॉल लगाने का कहती है।
इसी बीच पुलिसकर्मी बोलती रहती है की ‘आप मंत्री के बेटे हो तो आपको बाहर निकलने का हक कैसे मिल गया’ , जबकि यहाँ ख़ास बात है कि उस मंत्री के बेटे ने एकबार भी यह नही बोला की में मंत्री का पुत्र हूं इसिलिए मेरे दोस्त को छोड़ दो। इसी बीच उन्हें लफंगा तक कहा जाता है।
अब आप पुलिसकर्मी और मंत्री जी कि बातचीत सुनिए, मंत्री ने साफ़ कहा कि आप उन लड़को को पकड लीजिये और कानून के मुताबिक जो भी कार्यवाही संभव हो कीजिये। लेकिन फ़िर भी बात को बिना वजह खींचा जाता है।
फ़िर बीच में यह भी बोला जाता है की मुझे पता नहीं आप आरोग्य मंत्री बोल रहे हो या नही, ये एक जानबूझकर समस्या को खींचने का प्रयास ही था।
बाद में मंत्री के बेटे और उसके दोस्तों को पुलिस ने कानून तोड़ने के जुर्म में गिरफ्तार भी किया, जो कानून सम्मत था।
इससे से साफ़ पता लगता है कि कहानी वो नहीं है जो मीडिया ने बताई है, पुलिसकर्मी का रोल भी यहाँ संदिग्ध है, वहीं उसके साथ के लोगो की भूमिका भी संदिग्ध है।
क्या सुनीता यादव ने इस्तीफ़ा दिया?
जी हाँ, सुनीता यादव ने इस्तीफ़ा दे दिया है। उन्हें पुलिस हेडक्वार्टर बुलाया गया था, पूरी रिपोर्ट देने के लिए, लेकिन सूत्रों के अनुसार वहां भी उन्होंने बदतमीजी की और उसके बाद उन्होंने इस्तीफ़ा भी दे दिया।
लेडी सिंघम ने अभद्र भाषा का प्रयोग किया
इसके अलावा सुनीता यादव को गाली गलौच करते हुए भी देखा जा सकता है। लेकिन मीडिया और कथित नारीवादी लोग इस वीडियो पर चुप हैं, पुलिस कर्मी किसी भी स्थिति में जनता से गाली गलौच नहीं कर सकते, चाहे वो कोई गरीब इंसान हो या कोई करोड़पति ही क्यों ना हो।
लेडी सिंघम ने मीडिया से भी गाली गलौच की
सुनीता यादव को मीडिया ने ही लेडी सिंघम का खिताब दिया है, लेकिन सुनिते यादव ने मीडिया को भी नहीं बक्शा, आप इस ट्वीट में दिए गए वीडियो में सुनीता यादव को सुन सकते हैं, कैसे वो मीडिया को ही गालियां और धमकियां दे रही हैं।
मीडिया भी हैरान है कि ऐसा क्या हुआ जो सुनीता यादव उल्टा मीडिया पर ही आक्रामक दिख रही है? मीडिया ने सुनीता यादव उर्फ़ लेडी सिंघम को प्रसिद्द किया, लेकिन उनके व्यवहार से दुखी हो कर मीडिया ने भी सुनीता यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और जम कर उनके दुर्व्यवहार की रिपोर्टिंग की ।
लेडी सिंघम के दोहरे मापदंड
MLA या मंत्री के बेटे को ‘MLA Gujrat ‘ का बोर्ड हटाने और उसे गालियां देने वाली सुनीता यादव दोहरे मापदंड अपनाने में भी अव्वल हैं । सुनीता यादव के पिता अपनी कार पर ‘गुजरात पुलिस’ का स्टीकर लगाए घुमते हैं, ताकि अपना रसूख दिखा सकें,अब ऐसे तो काम नहीं चलेगा ना लेडी सिंघम जी? जनता के लिए दुसरे नियम और आपके लिए दूसरे, ऐसा तो नहीं हो सकता ना?
एक पुलिसकर्मी को राजनीतिक रूप से निष्पक्ष रहना चाहिए, कम से कम जब वो नौकरी कर रहा हो तब। लेकिन सुनीता यादव जी के विचार देखिए आप, प्रधानमंत्री मोदी और उनके समर्थकों के बारे में क्या सोचती हैं लेडी सिंघम, देखिए ज़रा
हम इस आर्टिकल के ज़रिये बस आपके सामने सच ही रखना चाहते हैं, आज ज़माना मीडिया का है, सोशल मीडिया सेंसेशन का है, यहाँ हर २ मिनट में किसी को नायक और किसी को खलनायक बना दिया जाता है। लेकिन हम आप लोगो से इस घटना को एक सही परिप्रेक्ष्य में देखने को कह रहे हैं ।
पुलिस कर्मी हमारे नायक हैं, और उनका सम्मान भी होना चाहिए, लेकिन ये बात भी ध्यान देने योग्य है कि आम जनता का भी सम्मान होना चाहिए, पुलिस कर्मी को कोई हक़ नहीं बनता कि वो आम जनता से गाली गलौच करे, और उनकी भी जिम्मेदारी बनती है कि सभी नियम कानूनों का वे भी पालन करे।