जन्मभूमि मम पुरी सुहावनि ! उत्तर दिसि बह सरजू पावनि !!
जा मज्जन ते बिनहिं प्रयासा ! मम समीप नर पावहिं बासा !!
जन्मभूमिम् मम पुरीम् सुन्दरम् अस्ति, उत्तरम् दिशि पवित्रम् सरयू बहति !
यस्मिन् स्नानं कृतेन मनुजः अपरिश्रमस्येव मम समीपम् निवासम् प्राप्यते !
जन्म भूमि मेरा नगर बहुत सुन्दर है जिसके उत्तर दिशा में पवित्र सरयू नदी बहती है !
जिसमें स्नान करने से मनुष्य बिना परिश्रम के ही मेरे समीप निवास पा जाते हैं !
श्व अर्थतः ५ अगस्त २०२० तमम् अयोध्याम् राम मन्दिरस्य भूमिपूजनम् प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीस्य हस्ताभ्याम् भविष्यति, सम्पूर्ण विश्वे राम भक्तानां गृहम् श्व दीपावलीम् मन्यष्यते, वस्तुतः ५०० वर्षानां उपरांत प्रभु रामः बनवासस्य उपरांत अयोध्यायाम् विधिवत मंत्रोच्चारम् सह पदार्पणम् करिष्यन्ति ! आगतः जनन्ति रामनगर्या: वार्ता !
कल अर्थात 5 अगस्त 2020 को अयोध्या राम मंदिर का भूमिपूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों से होगा, पूरे विश्व में राम भक्तों के घर कल दीपावली मनाई जाएगी, लगभग 500 वर्षों के बाद प्रभु राम बनवास के बाद अयोध्या में विधिवत मंत्रोच्चार के साथ पदार्पण करेंगे !आइये जानते हैं रामनगरी की बात !
पौराणिक दृष्टेन अयोध्याया: स्थापनाम् !
पौराणिक दृष्टि से अयोध्या की स्थापना !
पैराणिक कथानकस्य अनुसारम् ब्रह्मेन यत् मनु: स्वस्मै एकम् नगरस्य निर्माणस्य वार्ता अकथयत् तर्हि ते तेन विष्णो: पार्श्व अनयत् ! विष्णु: तेन साकेत धामे एकम् उपयुक्तम् स्थानम् अनिर्देशयत् ! विष्णु: अस्य नगरीम् वसताय ब्रह्मा: मनुम् वा सह देव शिल्पी विश्वकर्माम् अप्रेषयत् ! अस्य अतिरिक्तम् स्व रामावताराय उपयुक्तम् स्थानम् अन्वेषणाय महर्षि वशिष्ठमपि तम् सह अप्रेषयत् ! मान्यताम् अस्ति तत वशिष्ठेन सरयू नद्या: तटे चयनम् अकरोत्, यत्र विश्वकर्मा: नगरस्य निर्माणम् अकरोत् ! स्कन्दपुराणस्य अनुसारम् अयोध्याम् भगवतः विष्णुस्य चक्रे विराजमानम् अस्ति !
पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा से जब मनु ने अपने लिए एक नगर के निर्माण की बात कही तो वे उन्हें विष्णुजी के पास ले गए ! विष्णुजी ने उन्हें साकेत धाम में एक उपयुक्त स्थान बताया ! विष्णुजी ने इस नगरी को बसाने के लिए ब्रह्मा तथा मनु के साथ देव शिल्पी विश्वकर्मा को भेज दिया ! इसके अलावा अपने रामावतार के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढने के लिए महर्षि वशिष्ठ को भी उनके साथ भेजा ! मान्यता है कि वशिष्ठ द्वारा सरयू नदी के तट पर लीलाभूमि का चयन किया गया, जहां विश्वकर्मा ने नगर का निर्माण किया ! स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या भगवान विष्णु के चक्र पर विराजमान है !
रामायणम् अनुसारम् विवस्वानस्य (सूर्य:) पुत्रम् वैवस्वत मनु महाराजेन स्थापनाम् अकरोत् स्म ! माथुरानां इतिहासस्य अनुसारम् वैवस्वत मनु: वस्तुतः ६६७३ ईसा पूर्वम् अभवत् स्म ! ब्रह्मासि पुत्र मरीचेन कश्यपस्य जन्माभवत् ! काश्यपेन विवस्वान: विवस्वानस्य च् पुत्र वैवस्वत मनु: आसीत् !
रामायण अनुसार विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज द्वारा स्थापना की गई थी ! माथुरों के इतिहास के अनुसार वैवस्वत मनु लगभग 6673 ईसा पूर्व हुए थे ! ब्रह्माजी के पुत्र मरीचि से कश्यप का जन्म हुआ ! कश्यप से विवस्वान और विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु थे !
वैवस्वत मनुस्य १० पुत्र – इल:, इक्ष्वांकु:, कुशनाम:, अरिष्ट:, धृष्ट:, नरिष्यन्त:, करुष:, महाबली:, शर्याति: पृषधः च् आसीत् ! तस्मिन् इक्ष्वांकु कुलस्यापि बहु विस्तारम् अभवत् ! इक्ष्वांकु कुले बहु महान प्रतापी नृपः, ऋषि:, अरिहंत: भगवान: च् अभवत् ! इक्ष्वांकु कुलैव अग्रे गत्वा प्रभु श्री रामः अभवत् ! अयोध्यायाम् महाभारत कालैव अस्य वंशस्य जनानां शासनं अरहत् !
वैवस्वत मनु के 10 पुत्र – इल, इक्ष्वांकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध थे ! इसमें इक्ष्वांकु कुल का ही ज्यादा विस्तार हुआ ! इक्ष्वांकु कुल में कई महान प्रतापी राजा, ऋषि, अरिहंत और भगवान हुए हैं ! इक्ष्वांकु कुल में ही आगे चलकर प्रभु श्रीराम हुए ! अयोध्या पर महाभारत काल तक इसी वंश के लोगों का शासन रहा !
उत्तर भारतस्य बहवः अंशेषु यथा कोशलम्, कपिलवस्तुम्, वैशालीम् मिथिलाम् च् इत्यादये अयोध्यायाः इक्ष्वांकु वंशस्य शासकानामेव राज्यम् आसीत् ! अयोध्याम् प्रतिष्ठानपुरस्य (झूंसी) च् इतिहासस्य उद्गमम् ब्रह्मासि मानस पुत्रम् मनुनैव सम्बद्धम् अस्ति ! यथा प्रतिष्ठानपुरम् अत्रस्य च् चन्द्रवंशीम् शासकानां स्थापनाम् मनुस्य पुत्र इलेन अयुज्यते, येन शिवस्य श्रापम् इला इति अनिर्मयत् स्म, तेन प्रकारम् अयोध्याम् तस्य च् सूर्यवंशिम् मनुस्य पुत्र इक्ष्वांकेन अप्रारम्भयत् !
उत्तर भारत के तमाम हिस्सों में जैसे कोशल, कपिलवस्तु, वैशाली और मिथिला आदि में अयोध्या के इक्ष्वांकु वंश के शासकों का ही राज्य था ! अयोध्या और प्रतिष्ठानपुर (झूंसी) के इतिहास का उद्गम ब्रह्माजी के मानस पुत्र मनु से ही सम्बद्ध है ! जैसे प्रतिष्ठानपुर और यहां के चंद्रवंशी शासकों की स्थापना मनु के पुत्र इल से जुड़ी है, जिसे शिव के श्राप ने इला बना दिया था, उसी प्रकार अयोध्या और उसका सूर्यवंशी मनु के पुत्र इक्ष्वाकु से प्रारम्भ हुआ !
भगवतः श्रीरामस्य उपरांत लवः श्रावस्तीम् अन्यावासयत् अस्य च् स्वतंत्र उल्लेखम् अग्रे ८०० वर्षाणि इव प्राप्यति ! कथ्यन्ति तत भगवतः श्रीरामस्य पुत्र कुशः एकदा पुनः अयोध्यायाः पुनर्निर्माणम् अकारयत् स्म ! अस्य उपरांत सूर्यवंशस्य अग्रिम ४४ वंशानामेव अस्य अस्तित्वम् अस्थितत् !
भगवान श्रीराम के बाद लव ने श्रावस्ती बसाई और इसका स्वतंत्र उल्लेख अगले 800 वर्षों तक मिलता है ! कहते हैं कि भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने एक बार पुन: राजधानी अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया था ! इसके बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक इसका अस्तित्व बरकरार रहा !
रामचंद्रेण गृहित्वा द्वापर कालीन महाभारतम् तस्य च् तस्य बहु कालेव वयं अयोध्यायाः सूर्यवंशी इक्ष्वांकानां उल्लेखम् प्राप्यति ! इयम् वंशस्य वृहद्रथ:, अभिमन्युस्य हस्ताभ्याम् महाभारतस्य युध्दे अहतः स्म ! महाभारतस्य युध्दस्य उपरांत अयोध्याम् उच्छिन्नम् अभवत् तु तम् कालैपि श्रीराम जन्मभूमिस्य अस्तित्वम् सुरक्षितम् आसीत् यत् अनुमानतः चतुर्दश सदेव अस्थितत् !
रामचंद्र से लेकर द्वापर कालीन महाभारत और उसके बहुत बाद तक हमें अयोध्या के सूर्यवंशी इक्ष्वाकुओं के उल्लेख मिलते हैं ! इस वंश का बृहद्रथ, अभिमन्यु के हाथों महाभारत के युद्ध में मारा गया था ! महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या उजड़ – सी गई लेकिन उस दौर में भी श्रीराम जन्मभूमि का अस्तित्व सुरक्षित था जो लगभग 14वीं सदी तक बरकरार रहा !
वृहद्रथस्य बहु कालम् उपरांत अयम् नगर मगधस्य मौर्येभ्यः गृहित्वा गुप्तानि कन्नौजस्य च् शासकानां आधिनत: ! अन्ते अत्र महमूद गजनवी: भगिनीज: सैयद सालार: तुर्क शासनस्य स्थापनाम् अकरोत् ! सः ब्रह्मऋषि नगरे १०३३ तमे श्रेष्ठ नृपः सुहेल देवस्य हस्ताभ्याम् अहतः स्म, तस्य उपरांत तैमूर: पश्चातम् यदा जौनपुरे शकानां राज्यम् स्थापितं अभवत् तर्हि अयोध्याम् शकानां अधिकारम् अभवत् !
बृहद्रथ के कई काल बाद यह नगर मगध के मौर्यों से लेकर गुप्तों और कन्नौज के शासकों के अधीन रहा ! अंत में यहां महमूद गजनवी के भांजे सैयद सालार ने तुर्क शासन की स्थापना की ! वह बहराइच में 1033 में महाराजा सुहेल देव के हाथों द्वारा मारा गया था, उसके बाद तैमूर के पश्चात जब जौनपुर में शकों का राज्य स्थापित हुआ तो अयोध्या शकों के अधीन हो गया !
विशेष रूपेण शक शासकं महमूद शाहस्य शासन काले १४४० तमे ! १५२६ तमे च् बाबर: मुगल राज्यस्य स्थापनाम् अकरोत् तस्य च् सेनापति मीर बाकी: अयोध्यायां आक्रमणम् कृत्वा मंदिर त्रोटित्वा १५२८ तमे अत्र मस्जिदस्य निर्माणम् अकारयत् यत् १९९२ तमे मन्दिरम् – मस्जिदम् कलहस्य कारणम् राम जन्मभूमि आन्दोलनस्य मध्ये हिन्दूनाम् पराक्रमेण अपातयत् !
विशेष रूप से शक शासक महमूद शाह के शासन काल में 1440 में और 1526 में बाबर ने मुगल राज्य की स्थापना की और उसके सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या पर आक्रमण करके मंदिर तुड़वाकर 1528 में यहां मस्जिद का निर्माण करवाया जो 1992 में मंदिर – मस्जिद विवाद के चलते राम जन्मभूमि आन्दोलन के दौरान हिंदुओं के पराक्रम से ढहा दिया गया !
बेंटली: पार्जिटर: वा यथा विद्वानौ ग्रह मंजरीम् इत्यादयः प्राचीनम् भारतीय ग्रन्थानां आधारे अस्य स्थापनास्य कालम् ईसा पूर्वम् २२०० तमस्य अत्र तत्र मान्यते ! अस्य वंशे नृपः रामचन्द्रस्य पितु दशरथ: त्रयषष्ठि: शासका: सन्ति !
बेंटली एवं पार्जिटर जैसे विद्वानों ने ग्रह मंजरी आदि प्राचीन भारतीय ग्रंथों के आधार पर इनकी स्थापना का काल ई.पू. 2200 के आस पास माना है ! इस वंश में राजा रामचंद्र जी के पिता दशरथ 63वें शासक हैं !
अयोध्यायाः क्षेत्रफलं, बाल्मीकि रामायणस्य अनुसारम् !
अयोध्या का क्षेत्रफल, बाल्मीकि रामायण के अनुसार !
वाल्मीकि: कृत रामायणस्य बालकाण्डे उल्लेखम् मिलति तत अयोध्याम् १२ योजनम् लम्बम् ३ योजनम् विस्तम् आसीत् ! आइन – ए – अकब्रिस्य अनुसारम् अस्य नगरस्य लम्बम् १४८ क्रोशम् विस्तम् वा ३२ क्रोशम् अमानयत् !
वाल्मीकि कृत रामायण के बालकाण्ड में उल्लेख मिलता है कि अयोध्या 12 योजन – लम्बी और 3 योजन चौड़ी थी ! आईन – ए – अकबरी के अनुसार इस नगर की लंबाई 148 कोस तथा चौड़ाई 32 कोस मानी गई है !
कोसल नाम मुदित: स्फीतो जनपदो महान ! निविष्ट: सरयू तीरे प्रभूत धन धान्यवान् !!
सरयू नदी के तट पर संतुष्ट जनों से पूर्ण धन धान्य से भरा-पूरा, उत्तरोत्तर उन्नति को प्राप्त कोसल नामक एक बड़ा देश था !
नगरस्य अन्तः संरचनाम्, बाल्मीकि रामायणस्य अनुसारम् !
नगर की भीतरी संरचना, बाल्मीकि रामायण के अनुसार !
वाल्मीकि: अयोध्यायाः मार्गस्य स्वच्छताम् परिसौन्दर्ये लिखति, ताः पुरीम् परितः अप्रस्सरत् वृहद – वृहद मार्गै: सुशोभितम् आसीत् मार्गेषु नित्यं जलम् गरणयति पुष्पम् च् संस्तरति स्म ! इन्द्रस्य अमरावत्याः इव महाराज दशरथ: तम् पुरीम् असज्जयत् स्म ! अस्य पुरे राज्यम् बहु वर्धयन् महाराज दशरथः तम् प्रकारम् वसति स्म येन प्रकारम् स्वर्गे इंद्र वासम् करोति !
वाल्मीकि जी अयोध्या की सड़कों की सफाई और सुंदरता के बारे में लिखते हैं, वह पुरी चारों ओर फैली हुई बड़ी – बड़ी सड़कों से सुशोभित थी सड़कों पर नित्य जल छिड़का जाता और फूल बिछाए जाते थे ! इन्द्र की अमरावती की तरह महाराज दशरथ ने उस पुरी को सजाया था ! इस पुरी में राज्य को खूब बढ़ाने वाले महाराज दशरथ उसी प्रकार रहते थे जिस प्रकार स्वर्ग में इन्द्र वास करते हैं !
अस्य पुरे वृहद – वृहद तोरण द्वारम्, शोभनीय आपणं नगरस्य च् रक्षणाय चतुर शिल्पै: निर्मितानि सर्वम् प्रकारस्य यंत्रम् शस्त्रम् च् धारयते स्म ! तस्मिन् सूत:, मागध:, बंदीजन: अपि वसन्ति स्म, तत्रस्य निवासिनम् अतुल धनम् सम्पन्नम् आसीत्, तेषू वृहद – वृहद उच्चै: अट्टालिकान् प्रासादम् यत् ध्वजाम् – पताकै: शोभितम् आसीत् चक्रग्रहणस्य भित्तेषु शतानि नलिकानि अधिरूढ़त् आसीत् !
इस पुरी में बड़े – बड़े तोरण द्वार, सुंदर बाजार और नगरी की रक्षा के लिए चतुर शिल्पियों द्वारा बनाए हुए सब प्रकार के यंत्र और शस्त्र रखे हुए थे ! उसमें सूत, मागध बंदीजन भी रहते थे, वहां के निवासी अतुल धन संपन्न थे, उसमें बड़ी – बड़ी ऊंची अटारियों वाले मकान जो ध्वजा – पताकाओं से शोभित थे और परकोटे की दीवालों पर सैकड़ों तोपें चढ़ी हुई थीं !
स्त्रीणां नाट्य समितिनामपि अत्र दरिद्रता न आसीत् सर्वत्र च् उद्यानम् निर्मित आसीत् ! चूतस्य उपवनम् नगरस्य शोभाम् बर्ध्यति आसीत् ! नगरम् परितः अश्वकर्णिकानां लम्ब – लम्ब वृक्षम् युक्ता: इदृषिम् विज्ञापयति आसीत् ! यथा अयोध्यारूपिणी स्त्री किंकिणीम् परिधात्वये ! अयम् नगरिम् दुर्गम् गढ़म् परिखै: च् युक्तम् आसीत् तेन च् कश्चित प्रकार्पि शत्रुनि स्व हस्तम् न स्पर्शम् शक्नोति स्म ! गजः, अश्व:,वृषभः, उष्ट्र:, रासभ: सर्वे स्थानम् दर्क्ष्यते आसीत् ! राजभवनानां वर्णम् स्वर्णसमम् आसीत् ! विमान गृहम् यत्र पश्य तत्र दर्क्ष्यते स्म ! तस्मिन् चौकोरम् भूमे बृहद सख्त सघनम् च् प्रासादम् अर्थतः बहु सघनम् मूत्रपुटम् आसीत् ! कूपेषु इक्षुस्य सतम् यथा मिस्ठम् जलम् पूर्णम् अभवत् आसीत् ! दुन्दुभि, मृदंगम्, वीणाम्, पनसम् इत्यदयः वाद्ययंत्रस्य ध्वनेन नगरिम् सदैव प्रतिध्वनितम् भवति स्म ! पृथ्वी तले अस्य अनुरूपस्य नगरिम् न आसीत् ! तम् उत्तमम् पुरे धनहीनम् कोपि नैव आसीत्, अपितु न्यूनम् धनाति अपि कोपि न आसीत् ! तत्र यति कुटुंबम् वसेत आसीत् ! तेन सर्वस्य पार्श्व धनम् – धान्यम्, गो, वृषभः, अश्वा: च् आसीत् !
स्त्रियों की नाट्य समितियों की भी यहां कमी नहीं थी और सर्वत्र उद्यान निर्मित थे ! आम के बाग नगरी की शोभा बढ़ाते थे ! नगर के चारों ओर साखुओं के लंबे – लंबे वृक्ष लगे हुए ऐसे जान पड़ते थे, मानो अयोध्या रूपिणी स्त्री करधनी पहने हो ! यह नगरी दुर्गम किले और खाई से युक्त थी तथा उसे किसी प्रकार भी शत्रु जन अपने हाथ नहीं लगा सकते थे ! हाथी, घोड़े, बैल, ऊंट, खच्चर सभी जगह दिखाई पड़ते थे ! राजभवनों का रंग सुनहला था ! विमान गृह जहां देखो वहां दिखाई पड़ते थे ! उसमें चौरस भूमि पर बड़े मजबूत और सघन मकान अर्थात बड़ी सघन बस्ती थी ! कुओं में गन्ने के रस जैसा मीठा जल भरा हुआ था ! नगाड़े, मृदंग, वीणा, पनस आदि बाजों की ध्वनि से नगरी सदा प्रतिध्वनित हुआ करती थी ! पृथ्वी तल पर तो इसकी टक्कर की दूसरी नगरी नहीं थी ! उस उत्तम पुरी में गरीब यानी धनहीन तो कोई था ही नहीं, बल्कि कम धन वाला भी कोई न था ! वहां जितने कुटुम्ब बसते थे, उन सबके पास धन – धान्य, गाय, बैल और घोड़े थे !
अयोध्यायाः दर्शनीय स्थलम् !
अयोध्या के दर्शनीय स्थल !
अयोध्याम् घट्टानाम् मन्दिरणाम् च् प्रसिद्धम् अस्ति ! सरयू नदी अत्रेण आगत्वा प्रवहति ! सरयू नद्या: तटम् १४ प्रमुखम् घट्टा: सन्ति ! तेषु गुप्त द्वार घट्टम्, कैकेयी घट्टम्, कौशल्या घट्टम्, पापमोचनम् घट्टम्, लक्ष्मण घट्टम् इत्यादयः विशेषम् उल्लेखनीयम् सन्ति !
अयोध्या घाटों और मंदिरों की प्रसिद्ध नगरी है ! सरयू नदी यहां से होकर बहती है ! सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट हैं ! इनमें गुप्त द्वार घाट, कैकेयी घाट, कौशल्या घाट, पापमोचन घाट, लक्ष्मण घाट आदि विशेष उल्लेखनीय हैं !
राम जन्मभूमि मन्दिरम्, समापनम् अभवत् वर्षाणाम् प्रतीक्षाम् !
राम जन्मभूमि मंदिर, समाप्त हुई वर्षों की प्रतीक्षा !
शोधानुसारम् ज्ञातम् चलति तत भगवतः रामस्य जन्म ५११४ ईसा पूर्वम् अभवत् स्म ! चैत्र मासस्य नवम्यां रामनवमीस्य रूपेण मान्यते ! १५२८ तमे बाबरस्य सेनापति मीर बाकी: अयोध्यायाम् राम जन्मभूमे स्थितम् मन्दिरम् त्रोटित्वा बाबरी मस्जिदम् अनिर्मयत् स्म ! तस्य १९९२ तमे हिन्दू योद्धै: अत्रोटयत् ! यस्य भूमि पूजनं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: हस्ताभ्याम् मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथस्य सौजन्येन ५ अगस्त २०२० तमम् भविष्यतः !
शोधानुसार पता चलता है कि भगवान राम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था ! चैत्र मास की नवमी को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है ! 1528 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर स्थित मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद बनवाई थी ! उसको 1992 में हिन्दू योद्धाओं के द्वारा तोड़ा गया ! जिसका भूमि पूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सौजन्य से 5 अगस्त 2020 को होगा !
बदतु सियावर रामचन्द्रस्य जयम् !
बोलो सियावर रामचंद्र की जय !