कानपुर में देर रात विकास दुबे गैंग के अपराधियों के साथ हुई मुठभेड़ में एक पुलिस उपाधीक्षक सहित यूपी पुलिस के आठ जवान शहीद हो गए और कई घायल ! दो और तीन जुलाई की मध्य रात्रि को चौबेपुर पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाले बिकरु गांव में पुलिस का दल हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को गिरफ्तार करने जा रहा था। इसी दौरान घात लगाकर बैठे अपराधियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी गई और पुलिसकर्मियों को बचने तक का मौका नहीं मिला। इस वारदात में एके 47 जैसे हथियारों का प्रयोग किया गया।
कौन है विकास दूबे ? कितनी है क्षेत्रीय धाक ?
विकास दुबे मूल रूप से कानपुर में बिठूर के शिवली थाना क्षेत्र के बिकरू गांव के रहने वाला हैं !विकास दुबे के पिता किसान हैं और ये कुल तीन भाई है जिनमें एक भाई की क़रीब आठ साल पहले हत्या कर दी गई थी ! भाइयों में विकास दुबे सबसे बड़े हैं ! विकास की पत्नी ऋचा दुबे फ़िलहाल ज़िला पंचायत सदस्य हैं!गाँव वालों के मुताबिक़, विकास दुबे के दो बेटे हैं जिनमें से एक इंग्लैंड में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है जबकि दूसरा बेटा कानपुर में ही रहकर पढ़ाई कर रहा है!
विश्वस्त सूत्रों की माने तो विकास दुबे के ख़िलाफ़ थाने में चाहे जितने मुक़दमे दर्ज हों लेकिन गांव में उसकी बुराई करने वाला कोई नहीं मिलेगा और न ही उनके ख़िलाफ़ कोई ग़वाही देगा! साल 2002 में जब राज्य में बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी, उस वक़्त विकास दुबे की तूती बोलती थी ! इस दौरान उसने न सिर्फ़ अपराध की दुनिया में अपना दबदबा क़ायम किया बल्कि पैसा भी ख़ूब कमाया ! विकास दुबे का इतना दबदबा है कि बिकरू गांव में पिछले 15 साल से निर्विरोध प्रधान बन रहा है, परिवार के ही लोग पिछले पंद्रह साल से ज़िला पंचायत सदस्य का भी चुनाव जीत रहे हैं !विकास का खौफ ऐसा कि जेल में रहते हुए वह शिवराजपुर से नगर पंचायत का चुनाव भी जीत चुका है।करोड़ों की संपत्ति,ईंट भट्टों का मालिक होने के साथ कई स्कूलों और एक लॉ कॉलेज का भी मालिक है।
विकास का अपराधिक सफरनामा !
साल 2000 के आस-पास शिवली के तत्कालीन नगर पंचायत के चेयरमैन लल्लन वाजपेयी से विवाद के बाद विकास दुबे ने अपराध की दुनिया में क़दम रखा !विकास दुबे किलेनुमा घर में रहता है जहां असलहा और गोला बारूद एकत्र रहता था। इस घर में विकास दुबे की इजाजत के बिना कोई नहीं घुस सकता है।”उसी घर को आज सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर जमींदोज कर दिया गया है”
विकास हिस्ट्रीशीटर है,उसके खिलाफ यूपी में अपहरण, फिरौती, जबरन वसूली, हत्या जैसे लगभग 60 से अधिक मामले दर्ज हैं। विकास के बारे में कहा जाता है कि उसकी हर राजनीतिक दल में पैठ रही है। उसका खौफ ऐसा कि नेता भी उसका नाम लेने से डरते हैं।विकास दुबे की दंबगई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने 2001 में थाने के अंदर घुसकर तत्कालीन दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी थी। पूरे देश में इसकी चर्चा हुई लेकिन उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाया। कहा जाता है कि उसका खौफ ऐसा है कि किसी पुलिसकर्मी ने भी उसके खिलाफ गवाही नहीं दी थी। साक्ष्यों के बिना पर वह बरी हो गया। विकास पर 2000 में शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या का आरोप, 2004 में केबल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या का आरोप,इतना ही नहीं जेल में रहकर उसने रामबाबू यादव की हत्या की साजिश रची, 2018 में अपने चचेरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमला करवाया,आदि।
दोषी कौन भाजपा या अन्य दल ?
कहा जाता है कि मायावती सरकार के दौरान उसकी तूती बोलती थी और कई अवैध जमीनों की खरोद फरोख्त का भी आरोप विकास पर है। जब ऐसा था तो बसपा सुप्रीमों ने इसकी नकेल क्यों नहीं कसी ? कोई भी कार्यवाही इनके राज्य में इसके ऊपर क्यों नहीं की गयी ?
फिर आयी सपा सरकार उसने भी इसके ऊपर कोई भी कार्यवाही करने की जहमत नहीं उठाई ?
आज जब सूबे में भाजपा की सरकार है योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं,जो सूबे में मौजूद माफियाओं पर नकेल कसने की कोशिश कर रहें हैं तो उन्ही पर आरोप लगाए जा रहे कि उनके राज में माफियाओं का खुला आतंक है,प्रशासन से कार्य नहीं ले पा रहे हैं आदि !
अरे भाई जब प्रशासन द्वारा कार्यवाही की जाती है तभी ऐसी घटनाएं घटित होती है,प्रशासन पर वार प्रहार होता है,अन्यथा कुछ भी नहीं होता है।अगर यह सरकार भी आप लोगों जैसे इसको चुपचाप मदद करती रहती,तो आज कोई भी नहीं जान पाता कि उत्तर प्रदेश में कोई विकास दूबे नाम का माफिया भी रहता है।अब