फोटो साभार टाइम्स नाउ
अद्यात् सटीक १२ वर्ष पूर्व मुम्बईयां २६ नवंबर २००८ तमस्य सायं अंतम् का: विस्मरयते यदा भारतस्य आर्थिक राजधानियां आतंकिनि इदृशं रक्तयुक्त क्रीड़ा प्रारम्भयते स्म यस्मिन् १६६ तः अधिकम् निर्दोषानि जनाः हन्यते स्म ! पकिस्तानात् आतंकिनि सम्पूर्ण विश्वम् आन्दोलित्वा अधृतमासीत् ! ६० घटकैव अचलयत् इति रक्तयुक्त क्रीड़ायाम् आतंकिनि स्थित्वा तांडवम् कृतवान स्म !
आज से ठीक 12 साल पहले मुंबई में 26 नवंबर, 2008 की शाम को भला कौन भूल सकता है जब भारत की आर्थिक राजधानी में आतंकियों ने ऐसा खूनी खेल शुरू किया था जिसमें 166 से अधिक निर्दोष लोग मारे गए थे ! पाकिस्तान से आतंकियों ने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया था ! 60 घंटे तक चले इस खूनी खेल में आतंकवादियों ने जमकर तांडव मचाया था !
इति घाते ९ अतंकिम् अहन्यत् स्म यद्यपि एकमात्र जीवितं आतंकी अजमल कसाबम् उपरांते न्यायालयेन बन्धस्य दण्डम् प्राप्यतु स्म ! इति आतंकी घातम् अजमल कसाबम् च् तत्कालीनम् मुंबई आरक्षकः अधीक्षकः राकेश मारिया: स्व पुस्तके बहु उद्घाटय अभवत् !
इस हमले में 9 आतंकी मारे गए थे जबकि एकमात्र जिंदा आतंकी अजमल कसाब को बाद में कोर्ट द्वारा फांसी की सजा मिली थी ! इस आतंकी हमले और अजमल कसाब को तत्कालीन मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी किताब में कई खुलासे हुए हैं !
लेट मी से इट नाउ इति नामकम् पुस्तके राकेश मारिया: इयम् तर्हि इति आतंकी घातम् गृहित्वा बहु उद्घाटय कृतवान तु कसाबम् गृहित्वा एक इदृशं उद्घट्यमस्ति यत् अचंभितमपि करोति ! पुस्तकस्य एकम् अंशम् यत् इति प्रकारमस्ति ! मम अंतर्द्वंद बाह्य अनिस्सरयते स्म !
Let Me Say It Now नाम की किताब में राकेश मारिया ने यूं तो इस आतंकी हमले को लेकर कई खुलासे किए हैं लेकिन कसाब को लेकर एक ऐसा खुलासा है जो हैरान भी करता है। किताब का एक अंश जो इस प्रकार है,मेरी भड़ास बाहर निकल चुकी थी !
समूहम् मेट्रो जंग्शन इत्ये आगयतु स्म यत्र केचन दिवसं पूर्व इति राक्षस: (कसाब:) मम सहयोगीनि निर्दोष नागरिकानि च् हन्तु स्म ! ज्ञातम् न मम मस्तिष्के किं आगतवान तत अहम् समूहानि विरमयानि कार इत्येन बाह्य निस्सर्याणि ! अहम् तै: कथयाणि ( सहेषु चलितवान सुरक्षाकर्मीनि) तत कसाबम् बाह्य निस्सरयतु !
काफिला मेट्रो जंग्शन पर आ चुका था जहां कुछ दिन पहले इस राक्षस (कसाब) ने मेरे साथियों और निर्दोष नागरिकों को मारा था ! पता नहीं मेरे दिमाग में क्या आया कि मैंने काफिले को रोका और कार से बाहर निकला ! मैंने उनसे (साथ में चल रहे सुरक्षाकर्मियों) कहा कि कसाब को बाहर निकालो !
इति घटनाम् अग्रम् स्मरयत: मारिया: अलिखत् तम् कालम् प्रातर्याः लगभगम् चत्वारार्ध बादनम् भविष्यते ! एषः शीतस्य सर्द प्रातरसीत् अत्रैव च् तत मन्दिराणां मस्जिदानां च् द्वारमपि न उद्घघाटयते स्म ! अहम् कसाबम् आज्ञाम् ददानि – जानुयाः आधारितं तिष्ठतु मस्तकम् च् भूम्या स्पर्शयतु !
इस वाकये को आगे याद करते हुए मारिया ने लिखा उस समय सुबह के करीब साढ़े चार बज रहे होंगे ! वह जाड़े की सर्द सुबह थी और यहां तक कि मंदिरों और मस्जिदों के द्वार भी नहीं खुले थे ! मैंने कसाब को आदेश दिया घुटनों के बल बैठों और माथे को जमीन से लगाओ !
सः इदृशैव कृतवान ! पुनः यदा कसाब उतिष्ठयत् तर्हि अहम् तेन आदिशतः अकथयत् भारत मातु: जयति बदतु.. सः इदृशैव कृतवान ! तु मह्यं संतुष्टिम् न अभवत् अहम् च् तेन पुनः आदिशवान तत सः भारत मातु: जयति बदेत् ! सः इदृशैव कृतवान !
उसने ऐसा ही किया ! फिर जब कसाब खड़ा हुआ तो मैंने उसे आदेश देते हुए कहा भारत माता की जय बोल.. उसने ऐसा ही किया ! लेकिन मुझे संतुष्टि नहीं हुई और मैंने उसे दोबारा आदेश दिया कि वह भारत माता की जय बोले ! उसने ऐसा ही किया !
इति दिवसं अभवत् नरसंहारे न्यूनात्न्यून १६६ तः अधिकम् निर्दोष नागरिकानां निधनम् अभव्यते स्म ३०० जनाः च् आहत अभव्यते स्म ! पकिस्तानी आतंकिनि मुम्बईयाः लैंडमार्क स्थानानि ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल,लेपर्ड कैफे,कामा हॉस्पिटल ताजमहल होटल इत्ये विनाशम् कृतवान स्म !
इस दिन हुए नरसंहार में कम से कम 166 से अधिक निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई थी और 300 लोग घायल हो गए थे ! पाकिस्तानी आतंकियों ने मुंबई की लैंडमार्क जगहों ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल, लेपर्ड कैफे, कामा हॉस्पिटल और ताज महल होटल में तबाही मचाई थी !
२६/११ इत्यस्य जीवितं अवशेष एकमात्र आतंकी अजमल कसाब:,येन भारतीय न्यायालयेन मृत्युदंड दत्तस्य उपरांत लश्कर इति तेन स्व नायक: बदत: अकथयत् स्म तत अयम् बहु घातानां प्रेरणाम् दाष्यते !
26/11 का जिंदा बचा एकमात्र आतंकी अजमल कसाब, जिसे भारतीय कोर्ट द्वारा मौत की सजा दिए जाने के बाद लश्कर ने उसे अपना हीरो बताते हुए कहा था कि यह कई हमलों की प्रेरणा देगा !
लेख साभार मीडिया रिपोर्ट के अनुसार !