माकृत भारतस्य भिद् त्वया हिंदी प्राप्यिष्यसि !
सूर: कबीर: तुलसी: यथा टीकाम् प्राप्यिष्यसि !!
मत कर भारत चिन्दी तुझे हिन्दी मिलेगी !
सूर कबीर तुलसी जैसी बिन्दी मिलेगी !!
चतुर्दश सितम्बरम् प्रत्येक वर्षम् हिन्दी दिवसस्य रूपे मन्यते ! इति दिवसं देवनागरी लिपौ हिन्दीम् भारतस्य आधिकारिक भाषास्य रूपे स्वीकृतवान स्म ! हजारी प्रसाद द्विवेदी:, काका कालेलकर:, मैथिलीशरण गुप्त: सेठ गोविंद दासेन सह च् व्यौहार राजेंद्र सिंहस्य प्रयासानां कारणम् भारत गणराज्यस्य द्वय आधिकारिक भाषयो एकम् हिन्दीम् स्वीकृतवान स्म !
14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है ! इसी दिन देवनागरी लिपि में हिन्दी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था ! हज़ारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त और सेठ गोविन्द दास के साथ व्यौहार राजेंद्र सिंह के प्रयासों की बदौलत भारत गणराज्य की दो आधिकारिक भाषाओं में एक हिंदी को अपनाया गया था !
१४ सितंम्बर १९४९ तमम् व्यौहार राजेंद्र सिंहस्य अर्धशतकानि जन्मदिवसे हिन्दीम् आधिकारिक भाषास्य रूपे स्वीकृतवान अस्य उपरांत च् प्रचारम् प्रसारम् अग्र बर्धनस्य प्रयासेषु तीव्रताम् अगच्छत् ! भारतस्य संविधानेन २६ जनवरी १९५० तमम् इयम् निर्णयम् प्रारम्भयते स्म !
14 सितंबर 1949 को व्यौहार राजेंद्र सिंह के 50 वें जन्मदिन पर हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया और इसके बाद प्रचार प्रसार को आगे बढ़ाने के प्रयासों में तेजी आई ! भारत के संविधान द्वारा 26 जनवरी 1950 को यह निर्णय लागू किया गया था !
भारतीय संविधानस्य अनुच्छेद ३४३ इत्यस्य अनुरूपम् देवनागरी लिपौ लिख्यते हिन्दीम् आधिकारिक भाषास्य रूपे स्वीकृतवान स्म !
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत देवनागरी लिपि में लिखी गई हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था !
[dashahare]
भारतस्य सम्पूर्णम् २२ अनुसूचितम् भाषाणि सन्ति, येषु द्वय हिन्दी आंग्लम् च् आधिकारिक रूपे संघ स्तरे उपयोगम् क्रियते ! सम्पूर्ण देशे हिन्दी लगभगम् ३२.२ कोटि जनैः बद्यते अपितु लगभगम् २७ कोटि जनः आंग्ल भाषास्य प्रयोगम् कुर्वन्ति !
भारत की कुल मिलाकर 22 अनुसूचित भाषाएँ हैं, जिनमें दो हिन्दी और अंग्रेजी को आधिकारिक तौर पर संघ स्तर पर उपयोग किया जाता है ! देश भर में हिन्दी लगभग 32.2 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है जबकि लगभग 27 करोड़ लोग अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करते हैं !
इति दिवसं राजभाषा पुरस्कारै: मंत्रलयानि, विभागानि, सार्वजनिक उपक्रमानि राष्ट्रीयकृत बैंकानि च् सम्मानित क्रियते ! ग्रामीण भारतैपि केवलं आंग्ले हिन्दीयाम् च् बैंक प्रपत्र उपलब्धम् कारयते !
इस दिन राजभाषा पुरस्कारों से मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों और राष्ट्रीयकृत बैंकों को सम्मानित किया जाता है ! ग्रामीण भारत में भी केवल अंग्रेजी और हिन्दी में बैंक चालान उपलब्ध कराया जाता है !
गृह मंत्रालयम् २५ मार्च २०१५ तमस्य स्व आदेशे हिन्दी दिवसे प्रतिवर्ष प्रदत्तम् द्वय पुरस्कारयो नाम परिवर्तिते स्म ! १९८६ तमे स्थापितं इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कारम् परिवर्तित्वा राजभाषा कीर्ति पुरस्कारम् राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक लेखन पुरस्कारम् च् परिवर्तित्वा राजभाषा गौरव पुरस्कारम् कृतवान स्म !
गृह मंत्रालय ने 25 मार्च 2015 के अपने आदेश में हिन्दी दिवस पर प्रतिवर्ष दिए जाने वाले दो पुरस्कारों के नाम बदल दिए थे ! 1986 में स्थापित इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार को बदलकर राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक लेखन पुरस्कार को बदलकर राजभाषा गौरव पुरस्कार कर दिया गया था !
कास्ति व्यौहार राजेंद्र सिंह: ?
कौन हैं व्यौहार राजेंद्र सिंह ?
हिन्दी जगतस्य मूर्धन्य विद्वान व्यौहार राजेंद्र सिंहस्य जन्म जबलपुर मध्यप्रदेशे भाद्रपद शुक्लपक्ष षष्ठी विक्रम संवत्सर १९५७, तदनुरूपम् शुक्रवासरम् १४ सितम्बर १९०० तमम् अभवत् स्म ! तस्य जन्मदिवस प्रतिवर्ष हिन्दी पंचांगस्य तिथिस्य अनुरूपम् मन्यते यत् तत सदैव १२ तः १६ सितम्बरस्य मध्य भवति स्म, यद्यपि आंग्ल तिथिस्य अनुरूपम् तस्य जन्मतिथि १४ सितम्बर एवास्ति !
हिन्दी जगत के मूर्धन्य विद्वान व्यौहार राजेन्द्र सिंह का जन्म जबलपुर मध्य प्रदेश में भाद्रपद शुक्लपक्ष षष्ठी विक्रम संवत्सर 1957, तदनुसार शुक्रवार 14 सितम्बर 1900 को हुआ था ! उनका जन्मदिन प्रतिवर्ष हिन्दी पंचांग की तिथि के अनुसार मनाया जाता था जो कि अक्सर 12 से 16 सितम्बर के बीच होता था, जबकि अंग्रेज़ी कलेंडर के अनुसार उनकी जन्मतिथि 14 सितम्बर ही है !
सः जबलपुरस्य राष्ट्रवादी मॉडल हाई स्कूलस्य सर्वात् प्रथम सत्रस्य छात्र: आसीत् ! तस्य पाणिग्रहणम् १९१६ तमे लक्ष्मणनगरे अभवत् ! भार्या राजरानी देव्या जन्म अवध रियासतस्य कुलीन अभिजात्य दयाल वंशे अभवत् स्म !
वे जबलपुर के राष्ट्रवादी मॉडल हाई स्कूल के सबसे पहले बैच के छात्र थे ! उनका विवाह 1916 में लखनऊ में हुआ ! पत्नी राजरानी देवी का जन्म अवध रियासत के कुलीन अभिजात्य दयाल वंश में हुआ था !
यद्यपि व्यौहार राजेंद्र सिंहस्य संस्कृतं, बांग्ला, मराठी, गुजराती, मलयालम, उर्दू, आंग्ल इत्यादयैपि बहु साधु अधिकारम् आसीत् तु पुनरापि हिन्दीमेव राष्ट्रभाषा निर्माय सः दीर्घ संघर्षम् अकरोत् !
यद्यपि व्यौहार राजेन्द्र सिंह का संस्कृत, बांग्ला, मराठी, गुजराती, मलयालम, उर्दू, अंग्रेजी आदि पर भी बहुत अच्छा अधिकार था परन्तु फिर भी हिन्दी को ही राष्ट्रभाषा बनाने के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया !
स्वतंत्रता प्राप्तिस्य उपरांत हिन्दीम् राष्ट्रभाषास्य रूपे स्थापित कृताय काका कालेलकर:, मैथिलीशरण गुप्त:, हजारी प्रसाद द्विवेदी:, महादेवी वर्मा, सेठ गोविन्ददासः इत्यादि साहित्यकारै: सह गृहित्वा व्यौहार राजेंद्र सिंह: बहु प्रयासम् अकरोत् ! अस्य कारणात् सः दक्षिण भारतस्य बहु यात्राणि अपि अकरोत् जनानि च् मन्यते ! २ मार्च १९८८ तमम् हिन्दी जगतस्य मूर्धन्य विद्वान: जबलपुरैव अंतिम स्वांस गृह्यते !
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हजारीप्रसाद द्विवेदी, महादेवी वर्मा, सेठ गोविन्ददास आदि साहित्यकारों को साथ लेकर व्यौहार राजेन्द्र सिंह ने अथक प्रयास किए ! इसके चलते उन्होंने दक्षिण भारत की कई यात्राएं भी की और लोगों को मनाया ! 02 मार्च 1988 को हिन्दी जगत के मूर्धन्य विद्वान ने जबलपुर में ही अंतिम सांस ली !