हालिया घटनाक्रम में कांग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी है और डॉ कफील जिन पर रासुका दर्ज है, के निस्वार्थ भाव और जनसेवा जैसी खूबियों का हवाला देकर न्याय की गुहार लगाई है!
प्रथम दृष्ट्या प्रियंका वाड्रा बहुत ही भली और किसी का दुख दर्द समझने वाली प्रतीत होती हैं परंतु जब आप बुद्धि को थोड़ा व्यायाम कराते हैं तो पाते हैं कि महाराष्ट्र के पालघर में हुई निर्दोष संतों की निर्मम हत्या पर महाराष्ट्र सरकार (कांग्रेस सत्ता में भागीदार) ने क्या किया? या प्रियंका वाड्रा ने इस तरह की संवेदना क्यों नहीं दिखाई? पालघर हत्याकांड के पीड़ित साधुओं पर एक शब्द न बोलने वाली कांग्रेस रासुका के एक आरोपी को बचाने में इतनी रुचि दिखा रही है। दोगली राजनीति!
चिट्ठी में प्रियंका वाड्रा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके गुरु और भारत वर्ष के आदर्श गुरु गोरखनाथ के सूत्र याद दिलाती दिखती हैं – “किसी से भेद न करो, मीठी वाणी बोलो। यदि सामने वाला आग बनकर जला रहा है तो हे योगी तुम पानी बनकर उसे शांत करो!”
अच्छी संवेदना है आपकी प्रियंका वाड्रा जी परंतु उन्हीं गुरु गोरखनाथ के सूत्र यह भी कहते हैं कि एक सच्चे योगी को अपनी क्षमता और योग्यता का उपयोग हमेशा जन हित और राष्ट्र हित में करना चाहिए! तो फिर योगी आदित्यनाथ एक रासुका (राष्ट्र विद्रोह) के आरोपी को किस तरह क्षमा कर सकते हैं!
प्रियंका वाड्रा जी इस तरह की राजनीति राष्ट्र और आप दोनों के हित में नहीं! जनसेवा कीजिये काम आयेगा!
Author : Manav Shukla