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विपक्षी असुर चाहे कितना भी रोके, परंतु “होई वही जो राम रचि राखा”

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भूमि का छोटा परंतु सबसे महत्वपूर्ण संसार का सबसे विवादित टुकड़ा, देश विदेश के करोड़ों हिंदुओं की आस्था, विश्वास उस छोटे से 2.77 एकड़ टुकड़े पर, भूमि का यह सबसे विवादित टुकड़ा संसार के सबसे बड़े हिंदू राष्ट्र में ही है जिसे जानबूझकर वर्षों तक इस छोटे से टुकड़े को विवादित बनाये रखा गया।
चूँकि एक हिन्दू बहुल राष्ट्र को एक पार्टी और उसके कर्ताधर्ताओं ने ‘धर्म निरपेक्ष’ राष्ट्र घोषित कर दिया था और उनके लिए धर्म निरपेक्षता का अर्थ ही यही था कि देश के हिंदुओं का, उनके प्रतीकों का, उनके विश्वास का, उनकी आस्था का जितना हो सके उतना दमन किया जाए, अपमानित किया जाए, प्रताड़ित किया जाए।

लेकिन एक धर्म विशेष के लिए अपना सब कुछ लुटा दिया जाए, उसके लिए पलक पाँवड़े बिछा दिए जाएँ, उसकी केवल उसी की आस्था का सम्मान किया जाए और उसके लिए हर सीमा लाँघ दी जाए क्योंकि ये धर्म विशेष उस पार्टी का सबसे बड़ा वोटबैंक था। 
प्रभु श्रीराम के इस छोटे से टुकड़े पर भी इसी धर्म विशेष के किसी आक्रांता ने कभी सोने की चिड़िया कहे जाने वाले देश को लूटने, खसोटने के बाद अपने ही नाम की एक मस्ज़िद बना दी थी। परंतु इस मस्ज़िद में कभी उस धर्म के हिसाब से कभी कोई धार्मिक क्रिया नहीं हुई, वहीं प्रभु श्रीराम की वंदना,पूजा अर्चना कभी बंद नहीं हुई। लेकिन प्रभु का मंदिर बनाकर उन्हें मंदिर में विराजित करने की करोड़ों हिंदुओं की इच्छा के बावजूद उनके प्रिय राम को एक तंबू में रखवा दिया गया। 

Image source – Gallerist

14 वर्षों का वनवास सहर्ष स्वीकारने वाले राम ने तंबू में भी बहुत वर्ष गुज़ार दिए। इस दौरान देश में अधिकांश समय उस पार्टी की ही सत्ता रही जिसने राम को तंबू में रहने पर विवश किया हुआ था। रावण की तरह अपने अहंकार में चूर पार्टी और उसके कर्ताधर्ता परिवार को राम हमेशा तुच्छ ही लगे। 

उसने राम को कल्पनिक बताया, भूमि के उस टुकड़े पर फैसले को हमेशा लटकाए रखा। क्योंकि वो मानते थे कि हिन्दू कभी अपने राम के लिए आवाज़ नहीं उठाएगा। संसार को अपने इशारों पर चलाने वाले राम को मनुष्य तारीख पर तारीख देता रहा। 
लेकिन राम तो शायद कुछ और ही सोचे बैठे थे, जो सोचना किसी के वश में नहीं था। राम को वो योग्य व्यक्ति चाहिए थे जिनके हाथों उन्हें तंबू से निकलकर भव्य मंदिर में विराजमान होना था। 14 वर्षों का वनवास सहन करने वाले राम ने तंबू में रहने का दुःख भी वर्षों तक सहन किया।

जहाँ एक पार्टी और उसके कर्ताधर्ता राम को उनका स्थान देने में अड़चनें लगाए बैठे थे वहीं दूसरी ओर एक और पार्टी और उसके तमाम छोटे बड़े नेतागण वर्षों से राम मंदिर निर्माण की बात अपने हर घोषणा पत्र में करते रहे, उसके लिए विशाल रथ यात्रा निकाली। लाखों बार अपमान सहन किया लेकिन राम मंदिर निर्माण के अपने निर्णय से कभी विमुख नहीं हुए। 
अनेक हिन्दू संगठनों, उसके छोटे बड़े कार्यकर्ताओं ने राम मंदिर निर्माण के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उस मुगल आक्रांता के बनाये ढाँचे को ध्वस्त करने में अनेक वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी। 

जिन असुरों ने देश पर सर्वाधिक समय तक शासन किया वही राम मंदिर निर्माण पर अड़ंगे लगाते रहे फिर वही उपहास उड़ाते रहे, ताने उलाहने देते रहे ‘मंदिर वहीं बनाएंगे, लेकिन तारीख नहीं बताएंगे’ लेकिन हिंदुओं ने सब सहन किया, अपमान का घूँट पीते रहे।
जब राम ने देखा कि उनके दो उत्तराधिकारी केंद्र और राज्य में बैठे हैं। तब राम ने अपनी लीला रचना शुरू की। वर्ष 2019 में लगातार 50 दिनों तक भगवान की सुनवाई इंसानों की बनाई कचहरी में हुई, ये करने के लिए उसे विवश होना पड़ा और आखिरकार वो शुभ घड़ी 9 अक्टूबर 2019 की सुबह आई जब देश की सर्वोच्च अदालत ने ये फैसला दिया कि भूमि का वो 2.77 का टुकड़ा प्रभु श्रीराम का ही है। 

हज़ारों वर्षों बाद राम की अयोध्या फिर दीपों से जगमगा उठी, अयोध्या का वो वैभव फिर से लौट आया।
जब तक योग्य व्यक्ति नहीं मिले राम ने लीला भी नहीं रची। मानों कि असुरों के हाथों राम स्वयं भी अपना पुनः राज्याभिषेक नहीं होने देना चाहते थे। असुरों ने रोकने के बहुत प्रयास किये, निर्णय आने के बाद भी तरह तरह की याचिकाएँ डाली गईं लेकिन हर याचिका खारिज होती चली गई।  असुरों के इशारे पर एक बार अंतिम प्रयास किया गया और कोरोना संकट को लेकर 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन को रोकने का प्रयास किया गया। लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उस याचिका को भी ख़ारिज कर दिया और अब सारा देश, सारा संसार 5 अगस्त के उस ऐतिहासिक क्षण को देखने, उसका साक्षी बनने को आतुर है। देश विदेश में बैठा हर सच्चा सनातनी उस क्षण की बाट जोह रहा है जब प्रभु श्रीराम के उस भव्य मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ होने जा रहा है। हर सनातनी को 5 अगस्त की रात्रि अपने घरों, दुकानों, दफ्तरों में वही रोशनी करनी है जो वो दीपावली के दिन करता है। घर घर दीपक जलाएँ, प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण प्रारंभ होने पर खुशियाँ मनाएँ।

इन अविस्मरणीय क्षणों को हमारी आँखें देख पाएंगी, हम उसके साक्षी होंगे बस यही हमारे जीवन का सबसे बड़ा पुण्य होगा और हमारे इस जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। वो सभी साधु, संत, हिंदूवादी नेता, कार्यकर्ता, वकील, संगठन, संस्थाएँ और वो सभी लोग जिन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपना योगदान इस पुनीत कार्य में दिया उन सभी को कोटि कोटि नमन रहेगा। वो लोग जो स्वर्ग से इस इस गौरवशाली क्षण के साक्षी बनेंगे उन सभी को कोटि कोटि नमन है, आप सभी के नयन भी वहाँ भीग रहे होंगे और 5 अगस्त को जब संसार का सबसे अद्भुत भूमि पूजन हो रहा होगा तब करोड़ों सनातनियों की आँखों से अश्रुधारा बह रही होगी।

ये हर किसी के जीवन का एक अविस्मरणीय दिन होगा !!
लाख रोका रोकने वालों ने, परंतु हुआ वही – जो राम रचि राखा। 
|| जय श्रीराम ||

1 COMMENT

  1. वाह लाजवाब। करोड़ों जन मानस के भावों को अभिव्यक्ति देने के लिए आपको साधुवाद

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