जीवन एक रंग मंच है, ईश्वर द्वारा प्रदत्त यहां सब अपने अपने किरदार को निभा रहे हैं, पर अपने कर्मों के द्वारा किरदार को सजाने, संवारने की जिम्मेवारी ईश्वर ने आपको स्वयं के हाथों में दे रखी। आप सौभाग्यशाली है कि आपको ईश्वर ने पृथ्वी पर मनुष्य के रूप में जन्म दिया, उससे ज्यादा सौभाग्यशाली हैं अगर आपको ईश्वर ने हाथ, पैर, आंख आदि स्वस्थ दिये है। अब ईश्वर ने आपको सबसे अनमोल उपहार मनुष्य का शरीर प्रदान कर दिया, साथ ही आपको शुरुआती दौर (नासमझी के दौर में) में ईश्वर के रूप में दो संरक्षक दिये माता और पिता। माता – पिता इस जिम्मेदारी को थोड़ा बहुत गुरुओ हाथ में सौंप देते हैं, जो आपको कुछ वर्षों में इस काबिल बना देते हैं कि आपको अच्छे और बुरे की समझ हो जाती है, आप अपने व्यक्तित्व को निखारने की मुद्रा में आ जाते हैं, आप अपनी जीविका को स्वयं संचालित कर सकते हैं।पर इसके बाद आप की ज़िम्मेदारी शुरू होती है, अपने किरदार को निभाने की, प्रथम दृष्टया अगर आपके द्वारा किये जा रहे कार्यों से अगर आपके माता-पिता खुश नहीं हैं इसका मतलब है कि आपने अपने जीवन में बहुत बड़ा पाप किया है।
आप विचार कीजिए, सनातन संस्कृति के अनुसार हजारों योनियों के पश्चात ये अमूल्य धरोहर आपको मिली और आपने अपने व्यक्तिव में कुछ ऐसा जोड़ नहीं पायें, जिससे आप अपने आसपास के दो चार लोगों को प्रभावित कर पाये, आपने कुछ ऐसा नहीं किया जिससे लोग आपसे कुछ सीख सके, नहीं आप तो कम से कम आप अपने आसपास या मित्रता सूचीं में किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं जोड़ पायें जो किसी आदर्श की स्थिति में हो उसका अपना एक आधार हो, तो फिर यकीन मानिए आपने पृथ्वी पर अपने जीवन के किरदार के समय को सिर्फ पूरा किया है और कुछ नही। इस भूलोक पर शायद ही कोई ऐसा हो जिसने परेशानियों का सामना ना किया हो उन समस्याओं के प्रकार और स्तर अलग अलग हो सकते हैं (जैसे- स्कूल में पढ़ते बच्चे का अगर कार्य अधूरा हो और अध्यापक से उसे समय सीमा के अन्दर कार्य पूरा करने की चेतावनी मिली हो, तो यकीन मानिए उस समय उसके लिए यह बहुत बड़ी विपदा होती है, अब दो तरह के बच्चे होते हैं जो उस समय के ही कार्य को पूरा कर लेने मात्र से खुश होकर फिर से पुनः उसी स्थिति बनने का इंतजार करते हैं, और एक दूसरा बच्चा जो यह सोचकर कार्य को पूर्ण करता है कि अब भविष्य में ऐसी स्थिति पुनः ना बने अतः आज से ही सभी कार्यो का पूर्ण करने का कार्य समय से साथ साथ होगा ) बस यह छोटा – सा उदाहरण है, जो आपको हर उम्र के पड़ाव में निभाना है, गलतियां सबसे होती है पर उन गलतियों को सुधारना और उनसे कुछ सीखना ये आपकी कला होनी चाहिए, अगर नहीं है तो आप आज से ही इसे सीखने के प्रयास में जुट जाये।
अपने जीवन (एक नाटक) के किरदार में अच्छे विचारों का संग्रह कीजिए, जब अच्छे विचारों का संग्रह होगा स्वत: ही आपसे नित्य अच्छे कर्म होते जायेंगे, आपके आस पास, आपसे जुड़े लोगों को भी आप प्रेरित कर पायेंगे, आपके आसपास का वातावरण सकारात्मक विचारों से ओत प्रोत होगा, आपसे अच्छे लोग जुड़ते जायेंगे, साथ ही आपके द्वारा किये गये अच्छे कर्मों से समाज, परिवार आदि को छोड़ दीजिए किन्तु आपके माता – पिता को जो आनन्द की अनुभूति होगी, उसे शब्दो में गढ़ना बहुत कठिन है। जिस प्रकार पृथ्वी चलायमान है, साथ ही वह अपनी धुरी पर घूमती है, उसी प्रकार व्यक्ति के जीवन में सुख और दुख का सिलसिला चलता रहता है। कठिनाइयां तो आयेंगी ये सत्य है तो क्यों ना उन कठिनाइयों से निपटने की कला सीख ली जाए, बजाय उन कठिनाइयों को भाग्य या ईश्वर का दोष देने के और यह तो पूर्ण सत्य ही है कि परेशानियों की आयु कभी भी आपकी आयु से बड़ी नहीं हो सकती, इसी आशा के साथ आगे बढ़िए और परेशानियों का डटकर मुकाबला करिये।यकीन मानिए आप अपने संस्कारों, कर्मों, धैर्य और ईश्वर में आस्था के बल पर इन कठिनाईयों से आप एक दिन अवश्य इन पर विजय प्राप्त कर लेंगे।
जीवन में कठिनाइयां किसी के भी आ सकती है, इसके लिए आप सबसे अच्छा उदाहरण ले सकते हैं “माता सीता” का। माता सीता जिनका पालन पोषण उस समय के सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी राजा जनक के यहां हुआ, विवाह जिनका मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से हुआ हो, और बहू चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ की हो, उन्हें भी 14 वर्ष जंगल जंगल भटकना पड़ा, अपार कष्ट सहने पड़े किन्तु उन्हें अपने अराध्य, प्राप्त हुए संस्कारों से किये गये अच्छे कर्मो से, एक सकारात्मक ऊर्जा मिलती थी और विश्वास होता था कि एक ना एक दिन अवश्य ही इन पीड़ाओ से मुक्ति मिल ही जायेगी। अब आते हैं वर्तमान में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी ने आज एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया, जिसमें वह बिल्कुल साधारण से वस्त्रो में एक मोर को अपने हाथों से दाना चुगवा रहे है, देखते ही देखते लाखों लोगों ने उस वीडियो को शेयर कर दिया, सोशल मीडिया पर मोदी जी की फोटो वायरल हो गई। इस चित्र को लोगों ने अपने अपने विचारों से देखा।
परन्तु इस फोटो के पीछे एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी है, जिसे हम सभी को समझना चाहिए, वह यह कि देश के शीर्षस्थ पद प्रधानमंत्री पद बैठने के बावजूद भी वह रंगमंच के अपने किरदार में रंग भरने का काम अभी भी बड़ी तत्परता से कर रहे हैं। यह एक कलाकार की जबरदस्त प्रस्तुति का सर्वोत्तम उदाहरण है जो अपने किरदार को दिव्यता, भव्यता देने में अनवरत लगा हुआ है। यह चित्र सिर्फ उनके जीव प्रेम के ही भाव को नही बल्कि यह संकेत कर रहा है कि आपका यह जीवन अनमोल है, आप जीवन के किसी भी पड़ाव पर हो अपने व्यक्तित्व को अपने कार्यों से सजाते / निखारते रहिए जिससे रंगमंच का पर्दा बंद होने के बाद भी तालियों की गूंज बंद ना हो। आलोचनायें आपके जीवन की कमियों को दूर करने का एक अवसर भी होती है उसे भी भुनाते रहिए और आगे बढ़ते जाइये।
यशस्पवी प्रधानमंत्री द्वारा इस चित्र के माध्यम से यह सीखा जा सकता है कि पद, वैभव, प्रतिष्ठा, मान, सम्मान क्षणिक है, किन्तु इन सब के जाने के बाद भी अगर आपको कोई याद करता है तो वो आपके द्वारा गढ़े गये स्वयं के व्यक्तित्व के कारण। जीवन बहुत छोटा है आप जहां भी है, जैसे भी है, अपने स्तर से अपने किरदार की भूमिका को बड़ी ईमानदारी से निभाईयें। ऐसे कृत्य करिए जिससे आपके आस-पास के लोग आपसे खुश हो ना कि नाराज हो। ईश्वर ने मनुष्य जीव को एक ऐसा अद्वितीय गुण दिया “मुस्कान” जिसे किसी और को नहीं दिया और किसी दूसरे के चेहरे की मुस्कान का कारण आप बन जाये इससे ज्यादा सौभाग्य का विषय हो नहीं सकता।
अभिनव दीक्षित
सुंदर साहित्यिक प्रस्तुति
नितेश भैया धन्यवाद
Bahut badiya vyakt kiya hai…Best of luck
धन्यवाद Amit Pandey जी