उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपना रही है | गुरुवार को सीएम योगी ने प्रयागराज के निलंबित आईपीएस अधिकारी अभिषेक दीक्षित और महोबा के निलंबित आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार की संपत्ति की जांच विजिलेंस डिपार्टमेंट से कराने के निर्देश जारी किए हैं | गौरतलब है कि महोबा के पूर्व पुलिस अधीक्षक मणिलाल पाटीदार के खिलाफ इलाके के एक व्यापारी ने जबरन 6 लाख रुपये की वसूली करने और पैसा ना देने पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री को संबोधित कर एक वीडियो जारी किया था | लेकिन वीडियो जारी होने के कुछ देर बाद ही किसी ने उसे गोली मार दी थी | जिसकी जांच गृह विभाग ने कराई | जांच रिपोर्ट के आधार पर सीएम योगी ने संज्ञान लेते हुए आरोपी एसपी को निलंबित कर दिया था |वहीं इसके ठीक 24 घंटे पहले ही एसएसपी प्रयागराज अभिषेक दीक्षित पर भी भ्रष्टाचार के मामले में योगी का हंटर चल चुका था |
एसएसपी अभिषेक दीक्षित पर मातहत लोगों की पोस्टिंग में भ्रष्टाचार करने, शासन का आदेश न मानने और पोलिसिंग में लापरवाही करने का आरोप लगाया गया है | जबकि महोबा के मणिलाल पाटीदार पर भ्रष्टाचार करने, व्यापारियों से वसूली करने और उगाही की रकम न देने पर पुलिस से उनका उत्पीड़न कराने का आरोप है | इन्हीं आरोपों के चलते सीएम योगी ने कुछ दिन पहले ही इन्हें निलंबित कर दिया था | दो सीनियर आईपीएस अधिकारियो पर हुई इस तरह की कार्यवाई से प्रशासनिक गलियारों में एक डर बैठ गया है क्योंकि इसके पूर्व की सरकारों के समय अगर किसी अधिकारी पर आरोप लगते थे तो मामला रफा दफा कर दिया जाता था, दोषित अधिकारियो को या सस्पेंड कर दिया जाता था, या उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी जाती थी जिसमे से दोषी अधिकारी बच जाते है तत्कालीन सरकरो की मदद से | लेकिन अब तस्वीर बदल रही है उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ जी के शासन में, यहां अपराधी कितना ही रसूखदार क्यों न हो, भले ही वो किसी उच्च प्रशासनिक पद पर बैठा हुआ हो अगर व दोषी पाया जाएगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाई की जाएगी और उसको बिलकुल भी बक्शा नहीं जाएगा |