किं अददात् इति कांग्रेसम्,गांधी कुटुंबम् तम् देशभक्तम्,यस्य बलिदानस्य कारणम् तस्य पूर्वज देशे शासनं कृताप्राप्यत् ! चन्द्रशेखरं सर्वाणि ज्ञायन्ति,आगतः तस्य मातु: एकम् कथानकम् कथ्यते ! यत् कांग्रेसस्य कुकृत्यानां कथानकम् कथ्यति !
क्या दिया इस कांग्रेस ने,गांधी खानदान ने उस देशभक्त को, जिनके शहादत के कारण उनके पूर्वज देश में राज कर पाए ! चंद्रशेखर को सभी जानते हैं,आइए उनके माता जी की एक कहानी सुनाते हैं ! जो कांग्रेस के कुकृत्यों की कहानी कह रही है !
भो वृद्धा त्वम् अत्र नागम करोतु,त्वत् पुत्र: तर्हि क्षौर:-लुण्ठकरासीत् ! अतएव आंग्ला: तेन हतवान ! वने काष्ठम् चिनोति एकम् मलिन धौत वस्त्रे आवृत्तम् वृद्धा महिलाया तत्र स्थित: भीलः हस्यतः अकथयत् !
अरे बुढिया तू यहाँ न आया कर,तेरा बेटा तो चोर-डाकू था ! इसलिए गोरों ने उसे मार दिया ! जंगल में लकड़ी बीन रही एक मैली सी धोती में लिपटी बुजुर्ग महिला से वहां खड़ें भील ने हंसते हुए कहा !
न चंदू: स्वतंत्रताय बलिदानं दत्तमस्ति ! वृद्धा महिला गर्वेण अकथयत् ! तां वृद्धा महिलायाः नाम जगरानी देवी आसीत् सा पंच पुत्राणि जन्म अददात् स्म,यस्मिन् अंतिम पुत्र: केचन दिवस: पूर्वेव हुतात्मा अभवत् स्म !
नही चंदू ने आजादी के लिए कुर्बानी दी हैं ! बुजुर्ग औरत ने गर्व से कहा ! उस बुजुर्ग औरत का नाम जगरानी देवी था और इन्होने पांच बेटों को जन्म दिया था,जिसमें आखरी बेटा कुछ दिन पहले ही शहीद हुआ था !
तम् पुत्रम् मातु प्रेमेण चंदू: कथ्यति स्म विश्वम् च् तेन “आजाद” चंद्रशेखर आजादस्य नामेण ज्ञायति ! हिंदुस्तान स्वतंत्र अभव्यते स्म, आजादस्य सखा सदाशिव राव: एक: दिवस: आजादस्य पितरौ महोदयो अन्वेषणतः तस्य ग्रामम् प्राप्तम् !
उस बेटे को माँ प्यार से चंदू कहती थी और दुनियां उसे “आजाद” चंद्रशेखर आजाद के नाम से जानती है ! हिंदुस्तान आजाद हो चुका था,आजाद के मित्र सदाशिव राव एक दिन आजाद के माँ-पिता जी की खोज करते हुए उनके गाँव पहुंचे !
स्वतंत्रता तर्हि प्राप्तयते स्म तु बहु केचन स्माप्तं भव्यते स्म ! चंद्रशेखर आजादस्य बलिदानस्य केचन वर्षाणि उपरांत तस्य पितु महोदयस्यापि निधनम् अभव्यते स्म ! आजादस्य भ्रातरस्य निधनमपि इत्यात् पूर्वेव अभव्यते स्म !
आजादी तो मिल गयी थी लेकिन बहुत कुछ खत्म हो चुका था ! चंद्रशेखर आजाद की शहादत के कुछ वर्षों बाद उनके पिता जी की भी मृत्यु हो गयी थी ! आजाद के भाई की मृत्यु भी इससे पहले ही हो चुकी थी !
अत्यंत निर्धनावस्थायाम् अभवत् तस्य पितरस्य निधनस्य पश्चात आजादस्य निर्धन: निराश्रित: वृद्धा मातुश्री तम् वृद्धावस्थायामपि कश्चितस्य अग्रम् हस्त प्रसारस्य अपेक्षाम् वनेषु गत्वा काष्ठ गोर्बर चुनित्वा आनयति स्म कंडकम् च् काष्ठम् च् विक्रयित्वा स्व उदरं पालयति !
अत्यंत निर्धनावस्था में हुई उनके पिता की मृत्यु के पश्चात आजाद की निर्धन निराश्रित वृद्ध माताश्री उस वृद्धावस्था में भी किसी के आगे हाथ फैलाने के बजाय जंगलों में जाकर लकड़ी और गोबर बीनकर लाती थी तथा कंडे और लकड़ी बेचकर अपना पेट पालती रहीं !
तु वृद्ध भवस्य कारणम् इति कार्यम् नाक्रियते स्म तत पूर्णोदरं भोजनस्य प्रबंध कृताशक्नुते ! कदा ज्वारं कदा बाजरां क्रित्वा तस्य घोल इति निर्मित्वा पीयते स्म कुत्रचित दाल्यं तन्दुलं गोधूम् तेन च् पचस्य काष्ठम् क्रिणतैव धनार्जनस्य शारीरिक सामर्थ्य तस्याम् शेष एव नासीत् !
लेकिन वृद्ध होने के कारण इतना काम नहीं कर पाती थीं कि भरपेट भोजन का प्रबंध कर सकें ! कभी ज्वार कभी बाजरा खरीद कर उसका घोल बनाकर पीती थीं क्योंकि दाल चावल गेंहू और उसे पकाने का ईंधन खरीदने लायक धन कमाने की शारीरिक सामर्थ्य उनमें शेष ही नहीं थी !
लज्जाजनक वार्ता अयमस्ति तत तस्य इदम् स्थितिम् देशम् स्वतंत्रता प्राप्तस्य २ वर्ष उपरांत १९४९ तमेव संचरति ! चंद्रशेखर आजाद महोदयम् दत्तवान स्व एकस्य वचनस्य आभारम् दत्वा सदाशिव महोदयः सा स्वेन सह स्व गृहम् झांसी गृहित्वा आनयत् स्म !
शर्मनाक बात तो यह है कि उनकी यह स्थिति देश को आजादी मिलने के 2 वर्ष बाद 1949 तक जारी रही ! चंद्रशेखर आजाद जी को दिए गए अपने एक वचन का वास्ता देकर सदाशिव जी उन्हें अपने साथ अपने घर झाँसी लेकर आये थे !
कुत्रचित तस्य स्वयमस्य स्थितिम् अत्यंत जर्जर भवस्य कारणम् तस्य गृहम् बहु लघु आसीत् अतः सः आजादस्यैव एक: सखा: भगवान दास माहौरस्य गृहे आजादस्य मातुश्रीयाः निवासस्य प्रबंध कृतवान स्म तस्य च् अन्तिम् क्षणानि एव तस्य सेवां कृतवान !
क्योंकि उनकी स्वयं की स्थिति अत्यंत जर्जर होने के कारण उनका घर बहुत छोटा था अतः उन्होंने आजाद के ही एक अन्य मित्र भगवान दास माहौर के घर पर आजाद की माताश्री के रहने का प्रबंध किया था और उनके अंतिम क्षणों तक उनकी सेवा की !
मार्च १९५१ तमे यदा आजादस्य मातु जगरानी देवीयाः झांसीयाम् निधनम् अभवत् तदा सदाशिव महोदयः तस्य सम्मानं स्व मातु: सम कृतः तस्या: अंतिम संस्कारं स्वयं स्व हस्तभ्यां इव कृतवान स्म !
मार्च 1951 में जब आजाद की माँ जगरानी देवी का झांसी में निधन हुआ तब सदाशिव जी ने उनका सम्मान अपनी माँ के समान करते हुए उनका अंतिम संस्कार स्वयं अपने हाथों से ही किया था !
आजादस्य मातुश्रीयाः निधनस्य उपरांत झांसीयाः जनः तस्य स्मृतियाम् तस्य नामेण एकं सार्वजनिकं स्थाने पीठस्य निर्माणम् कृतवान ! प्रदेशस्य तत्कालीन सरकारः इति निर्माणम् झाँसीयाः जनेन कृतमाभवत् अवैध विधिनिषिद्ध च् कार्यम् घोषितवन्तः !
आज़ाद की माताश्री के देहांत के पश्चात झाँसी की जनता ने उनकी स्मृति में उनके नाम से एक सार्वजनिक स्थान पर पीठ का निर्माण किया ! प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने इस निर्माण को झाँसी की जनता द्वारा किया हुआ अवैध और गैरकानूनी कार्य घोषित कर दिया !
तु झाँसीयाः वासिनि तत्कालीन सर्कारस्य तम् शासनादेशं महत्व न दत्त: चंद्रशेखर आजादस्य मातुश्रीयाः मूर्ति स्थापितस्य निर्णयम् अक्रियते ! मूर्ति निर्मयस्य कार्यम् चंद्रशेखर आजादस्य विशेष सहयोगिम् कुशल: शिल्पकार: रुद्र नारायण सिंह महोदयम् प्रदत्तयते !
किन्तु झाँसी के नागरिकों ने तत्कालीन सरकार के उस शासनादेश को महत्व न देते हुए चंद्रशेखर आजाद की माताश्री की मूर्ति स्थापित करने का फैसला कर लिया ! मूर्ति बनाने का कार्य चंद्रशेखर आजाद के खास सहयोगी कुशल शिल्पकार रूद्र नारायण सिंह जी को सौपा गया !
सः चित्रम् दृष्टवा आजादस्य मातुश्रीयाः मुखस्य प्रतिमा निर्मित कृतमाददात् ! यदा केन्द्रस्य सरकारः उत्तरप्रदेशस्य च् सरकारो अयम् भिज्ञमाभवत् तत आजादस्य मातु: मूर्ति निर्मित कृतेयत् ! सदाशिव रावेन,रूपनारायणेन, भगवान दास माहौरेण सह बहु क्रांतिकारी: झाँसीयाः जनस्य सहयोगेण मूर्तिम् स्थापितं कृतं गच्छन्ति !
उन्होंने फोटो को देखकर आजाद की माताश्री के चेहरे की प्रतिमा तैयार कर दी ! जब केंद्र की सरकार और उत्तर प्रदेश की सरकारों को यह पता चला कि आजाद की माँ की मूर्ति तैयार की जा चुकी है ! सदाशिव राव, रूपनारायण, भगवान् दास माहौर समेत कई क्रांतिकारी झांसी की जनता के सहयोग से मूर्ति को स्थापित करने जा रहे हैं !
तर्हि इति द्वयो सरकारौ अमर बलिदानी हुतात्मा पंडित चंद्रशेखर आजादस्य मातुश्रीयाः मूर्ति स्थापनां देशाय,समाजाय झाँसीयाः विधि व्यवस्थाय क्षतिकरं घोषित्वा तस्या: मूर्ति स्थापनायाः कार्यक्रमं प्रतिबंधित्वा सम्पूर्ण झांसी नगरे कर्फ्यू इति संचलिते !
तो इन दोनों सरकारों ने अमर बलिदानी शहीद पंडित चंद्रशेखर आजाद की माताश्री की मूर्ति स्थापना को देश, समाज और झाँसी की कानून व्यवस्था के लिए खतरा घोषित कर उनकी मूर्ति स्थापना के कार्यक्रम को प्रतिबंधित कर पूरे झाँसी शहर में कर्फ्यू लगा दिया !
प्रत्येक स्थाने आरक्षकः नियुक्त अक्रियते कुत्रचित अमर बलिदानी चंद्रशेखर आजादस्य मातुश्रीयाः मूर्तियाः स्थापन न कृतमाशक्नुते ! जनः क्रांतिकारी: च् आजादस्य मातु: प्रतिमा स्थापनाय अनिस्सरयते !
चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात कर दी गई ताकि अमर बलिदानी चंद्रशेखर आजाद की माताश्री की मूर्ति की स्थापना न की जा सके ! जनता और क्रन्तिकारी आजाद की माता की प्रतिमा लगाने के लिए निकल पड़े !
स्व आदेशस्य झाँसीयाः मार्गेषु बदप्रकारम् उल्लंघनेण आहत: तत्कालीन सरकारौ आरक्षकम् गोलिका हननस्य आदेशम् दीयेत् ! आजादस्य मातुश्रीयाः प्रतिमां स्व सिरे स्थित्वा पीठं प्रति बर्ध्यति सदाशिवं जनतां परितया स्व चक्रे अग्रिह्यते ! सभायां आरक्षकः लठ्ठ प्रहारम् कृतवान !
अपने आदेश की झाँसी की सडकों पर बुरी तरह उड़ती धज्जियों से तिलमिलाई तत्कालीन सरकारों ने पुलिस को गोली मार देने का आदेश दे डाला ! आजाद की माताश्री की प्रतिमा को अपने सिर पर रखकर पीठ की तरफ बढ़ रहे सदाशिव को जनता ने चारों तरफ से अपने घेरे में ले लिया ! जुलूस पर पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया !
सहस्राणि जनाः आहत: अभवत्,द्वादशानि जनाः सम्पूर्ण जीवनाय अपंग: अभवत् केचन जनानां च् निधनमपि अभवत् (निधनस्य आधिकारिक पुष्टिम् कदापि न अक्रियते) ! इति घटनायाः कारणम् चंद्रशेखर आजादस्य मातुश्रीयाः मूर्ति स्थापित न भवाशक्नुते !
सैकड़ों लोग घायल हुए,दर्जनों लोग जीवन भर के लिए अपंग हुए और कुछ लोग की मौत भी हुई (मौत की आधिकारिक पुष्टि कभी नही की गयी) ! इस घटना के कारण चंद्रशेखर आजाद की माताश्री की मूर्ति स्थापित नहीं हो सकी !
सोशल मीडिया स्रोतों द्वारा:-