अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला नवम्बर 2019 में सुना दिया था। जिसके बाद अयोध्या में न सिर्फ राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ बल्कि अगस्त 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन भी किया। लेकिन बाबरी मस्जिद से जुड़े एक और 28 साल पुराने केस पर सभी की नज़र बनी हुई थी। जिस पर लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। ये फैसला बाबरी मस्जिद विध्वंस केस से जुड़ा है जिसे 6 दिसंबर 1992 को गिराया गया था। सीबीआई कोर्ट के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने 28 साल पुराने इस केस में फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस केस में आरोपी लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत कुल 32 लोगों को बरी कर दिया है।
सीबीआई कोर्ट के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि, “बाबरी ढांचा ध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। घटना अकस्मात हुई, पूर्व नियोजित नहीं थी।अशोक सिंघल के खिलाफ साक्ष्य नहीं है। कोई पूर्व सुनियोजित साजिश नहीं थी। फोटो से किसी को आरोपी नहीं बनाया जा सकता है।” 2300 पन्नों के जजमेंट में सीबीआई कोर्ट ने माना कि यह घटना अचानक हुई थी। जिसके बाद सीबीआई कोर्ट ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। इस केस के 32 आरोपियों पर फैसला लिखने के साथ ही सीबीआई कोर्ट के जज सुरेंद्र कुमार यादव अपने कार्यकाल से भी मुक्त हो गए हैं।
बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में सीबीआई कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले पर कई नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर लिखा है, “लखनऊ की विशेष अदालत द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में श्री लालकृष्णआडवाणी, श्री कल्याणसिंह,डा.मुरली मनोहर जोशी, उमाजी समेत 32 लोगों के किसी भी षड्यंत्र में शामिल न होने के निर्णय का मैं स्वागत करताहूँ। इस निर्णय से यह साबित हुआ है कि देर से ही सही मगर न्याय की जीत हुई है।”
वहीं, बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बरी होने के बाद वरिष्ठ बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी ने अदालत के फैसले को ऐतिहासिक बताया।
उन्होंने पत्रकारों से कहा, “राम मंदिर का निर्माण देश के महत्वपूर्ण आंदोलन के रूप में सामने आया था और इसका उद्देश्य देश की अस्मिता और मर्यादाओं को सामने रखने का था। ये अब पूरा होने जा रहा।मैं यही कहूंगा जय जय सिया राम, सबको सन्मति दे भगवान।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर सीबीआई की विशेष अदालत के निर्णय का स्वागत किया है।
योगी ने ट्वीट कर लिखा “सत्यमेव जयते! CBI की विशेष अदालत के निर्णय का स्वागत है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित हो पूज्य संतों, नेताओं,विहिप पदाधिकारियों,समाजसेवियों को झूठे मुकदमों में फँसाकर बदनाम किया गया। वइस षड्यंत्र के लिए इन्हें जनता से माफी मांगनी चाहिए।”
ये 32 आरोपी हुए बरी
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सीबीआई कोर्ट ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, जयभान सिंह पवैया, महाराज स्वामी साक्षी, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर को बरी करार दिया है।
49 में 17 लोगों की हो चुकी है मौत
बता दें कि, बाबरी विध्वंस मामले में कुल 49 आरोपी थे, जिसमें से 17 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, मोरेश्वर सावें, रमेश प्रताप सिंह, महात्यागी हरगोविंद सिंह, लक्ष्मी नारायण दास, महंत अवैद्यनाथ, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज, बैकुंठ लाल शर्मा, परमहंस रामचंद्र दास, डॉ. सतीश नागर, बालासाहेब ठाकरे, तत्कालीन एसएसपी डीबी राय, राम नारायण दास और विनोद कुमार बंसल शामिल हैं।
क्या था मामला?
6 दिसंबर 1992 को आवेश में आए कारसेवकों ने विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे को तोड़ दिया था। इसके बाद पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया, हिंसा हुई और सैंकड़ों की संख्या में लोगों की जानें गईं। इस मामले के मद्देनजर उसी दिन यानी 6 दिसंबर की शाम राम जन्मभूमि थाने में दो अलग-अलग FIR दर्ज कराई गई थी। इन FIR में लाखों कार सेवकों के अलावा आडवाणी, जोशी, उमा भारती, विनय कटियार जैसे नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
पहला मामला सीबीआई को तो दूसरा मामला सीबीसीआईडी को सौंपा गया। जिसे बाद में एक साथ जोड़ते हुए सीबीआई ने संयुक्त आरोप पत्र दाखिल किया क्योंकि दोनों मामले एक दूसरे से जुड़े हुए थे।