36.8 C
New Delhi

जानिए आखिर क्यों सहिष्णु हिंदुओं के साथ जारी है असहिष्णुता ?

Date:

Share post:

“सहिष्णु हिंदुओं के साथ जारी है असहिष्णुता”, पूरे विश्व में भारत एक शांतिप्रिय देश रहा है। सनातनी परंपराओं से बंधा देश और यहाँ के सनातनी लोग। जिन्होंने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का नारा दिया, पूरे विश्व को परिवार समझा। नदियों, पहाड़ों, समुद्रों, धरती, पेड़ पौधों, जीव जंतुओं तक को पूज्यनीय माना। अलग – अलग भाषाओं, बोलियों, पहनावे, खानपान, संस्कृतियों के होने के बावजूद भारत को किसी ने जोड़े रखा तो थी यही सनातनी परंपरा। प्राचीन काल से ज्ञान, अध्यात्म, ध्यान, योग, आयुर्वेद, वेदों के जरिये विश्व को जागृत करता आया। ज्ञान, विज्ञान, चिकित्सा, वास्तुकला अगर इस विश्व को किसी की देन है तो वो इसी भारत और इसी सनातन धर्म की है। सनातन का अर्थ ही है जिसका न आरंभ है न अंत है अर्थात जो इस सृष्टि के साथ ही आरंभ हुआ और जिसका अंत कभी नहीं होगा। कभी सुदूर अफगानिस्तान, ईरान तक फैला भारत पहले मुग़ल आक्रांताओं और बाद में अंग्रेजों के कारण सिमटता चला गया। जहाँ भारत के सनातनियों में तमाम गुणों की भरमार थी वहीं एक अवगुण भी सनातनियों में रहा कि उनमें कभी एकता नहीं रही और अपने धर्म के प्रति कट्टरता नहीं रही।

वैसे तो मुग़ल आक्रांताओं के अनेकानेक किस्से हैं लेकिन एक घटना का उल्लेख आवश्यक है। एक बार मुग़ल आक्रांता मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी बीमार पड़ा और बहुत इलाज कराकर भी जब वह ठीक नहीं हुआ तो उसने ऐलान किया कि जो उसे ठीक कर देगा उसे मुँहमाँगा इनाम देगा लेकिन साथ ही एक शर्त भी रख दी कि वह भारतीय दवाओं का प्रयोग नहीं करेगा। तब एक प्रकांड वेदाचार्य ने उसे कुरान के 20 पन्ने पढ़ने।को कहे और कहा कि इन पन्नों को पढ़ने के बाद वो ठीक हो जाएगा। आश्चर्यजनक रूप से बख्तियार खिलजी कुरान के 20 पन्ने पढ़ने के बाद ठीक हो गया और उसे इस बात का घोर आश्चर्य हुआ कि भारतीयों को इतना ज्ञान कैसे है? असल में वेदाचार्य ने कुरान के 20 पन्नों पर अदृश्य दवा लगा दी थी। 

बख्तियार खिलजी थूक के साथ पन्ने पलटता तो साथ में दवा भी अनजाने में चाट जाता और 20 पन्नों तक आवश्यक दवा उसके शरीर में पहुँच चुकी थी। लेकिन बख़्तियार खिलजी इससे प्रसन्न होने की बजाय क्रोधित हो उठा और उसने नालंदा विश्वविद्यालय में आग लगा दी। बताया जाता है कि उस समय भी नालंदा विश्वविद्यालय में इतनी पुस्तकें थीं कि वहाँ तीन महीनों बाद भी आग सुलगती रही थी। इसी महाधूर्त और क्रूर मुग़ल आक्रांता के नाम पर रखा गया बख़्तियारपुर रेलवे स्टेशन आज भी हमारे सीने पर किसी ठीक न होने वाले घाव की तरह रिस रहा है और शर्मिंदा कर रहा है। अंग्रेजों ने भी भारत की शिक्षा प्रणाली पर ही गहरा आघात किया क्योंकि वो भी जान चुके थे कि भारत की शक्ति भारत का ये अकूत ज्ञान का भंडार ही है। अंग्रेज़ों की ही परंपरा को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस और वामपंथियों ने मिलकर भारत की शिक्षा प्रणाली को कमज़ोर करने, हिंदुओं को विघटित करने, अपमानित करने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी। जिन हिंदुओं के देवी देवता कभी भी शस्त्रविहीन नहीं रहे, उन्हीं हिंदुओं के दिल दिमाग़ में “अहिंसा परमोधर्मः” का तथाकथित मंत्र फूँक दिया गया। 

“दे दी हमें आज़ादी, बिना खड़ग, बिना ढालसाबरमती के संत तूने कर दिया कमाल”

ये गीत गवाकर स्वतंत्र भारत के बच्चों के मन मस्तिष्क में देश और धर्म के लिए अपने प्राण न्यौछावर करनेवाले लाखों वीरों और वीरांगनाओं को भुलाकर स्वतंत्रता का सारा श्रेय केवल एक ही व्यक्ति को दे दिया गया। देश के इन वीरों की गाथाओं की बजाय मुग़ल आक्रांताओं के बारे में पढ़ाया गया। उनके नामों पर ज़बरदस्ती सड़कों, कस्बों, के नाम रखे गए। मुग़ल आक्रान्ताओं द्वारा ज़बरदस्ती बदले गए शहरों के नामों को यथावत रखा गया। लेकिन एक धर्म विशेष को हर काम करने की छूट दी गई। अल्पसंख्यक के नाम पर वोट बटोरे गए, उनके हर कुकर्मों पर पर्दे गए, डालने की कोशिशें की गईं, आज भी जारी है। इसी का फ़ायदा उठाकर पहले एम एफ हुसैन ने भारतीय देवी देवताओं की अपमानजनक पेंटिंग्स बनाई और अब असम के चित्रकार अकरम हुसैन ने हिंदुओं के आराध्य कृष्ण को एक बार में अर्धनग्न कन्याओं से घिरी एक विवादास्पद पेंटिंग बनाई है। इसका बाकायदा गुवाहाटी आर्ट गैलेरी में प्रदर्शन भी किया गया, जिसे विवाद के बाद हटा लिया गया। लेकिन जो घटिया संदेश अकरम हुसैन देना चाहता था वो उसने दे ही दिया।

हाल ही में एक ऐसी ही विवादित फेसबुक पोस्ट के जवाब में जब एक हिन्दू लड़के ने कमेंट बॉक्स में धर्म विशेष को अपमानित करने वाली तस्वीर लगाई तो बेंगलुरु में बवाल मचा दिया गया और सीधे पुलिस थाने पर हमला करके ये संदेश देने का प्रयास किया गया कि ‘हम पुलिस, प्रशासन से भी नहीं डरते हैं’, लेकिन अकरम हुसैन सुरक्षित रहेगा क्योंकि उस पर सिर्फ एफआईआर ही दर्ज हुई है। किसी तरह का जानलेवा हमला उस पर नहीं होगा।इसी सहिष्णुता, एकता न होने, अपने धर्म के प्रति अधिक जागरूक, चिंतित न होने के कारण आज कोई भी एरा गैरा हिंदुओं के देवी देवताओं, रीति रिवाजों, त्यौहारों का मज़ाक उड़ा लेता है। मुग़ल और अंग्रेज़ तो चले गए लेकिन अपने पीछे आज भी अपने ” वफ़ादार गद्दार” छोड़कर गए हैं। इसी देश में रहकर इसी देश के लोगों को आँखें दिखाने वाले, यहाँ की खाकर दूसरे इस्लामिक देशों की बजाने वाले ग़द्दारों की कमी आज भी इस देश में नहीं है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

Surrender is a Sign of Strength

Zelensky's surrender would be a sign of commonsense.

PM Modi warns about Congress’s EVIL ‘Wealth Redistribution to the Infiltrators’ idea, Why this idea will bring Doomsday for India?

A day after he triggered a political backlash by saying that a Congress government would distribute the nation’s...

PM Modi dropped a Political Bombshell, says ‘Congress will redistribute wealth to Muslim Infiltrators’

Prime Minister Narendra Modi, on April 21, dropped a Political bombshell, when he asserted that if the Congress...

Rohingya Terrorist groups holding over 1600 Hindus and 120 Buddhists hostage in Myanmar

In what seems to echo the 2017 massacre of Hindus by Rohingya terror groups in Myanmar's Rakhine state,...