जरा कल्पना कीजिए की श्रीमती सोनिया गांधी उत्तर प्रदेश की यात्रा पर हों, और पुलिस की मौजूदगी में उन पर भाजपा कार्यकर्ता पत्थर बाजी कर दे तथा उनके साथी लोग घायल हो जाएं।
अचानक पूरे देश में इमरजेंसी से भी बुरे हालात साबित हो जाएंगे, भारत में तानाशाही संयुक्त राष्ट्र संघ भी मान लेगा, एमनेस्टी इंटरनेशनल से लेकर मैग्सेसे विजेता तक अपने अपने कपड़े फाड़ लेंगे, स्क्रीन तो क्या कुछ लोग अपना मूंह भी काला कर लेंगे, सुप्रीम कोर्ट को भी संविधान खतरे में लगने लगेगा और शायद उत्तर प्रदेश की सरकार बर्खास्त ही कर दें। प्रियंका दीदी चालीस से पचास ’कलरव’ कर देती। राष्ट्रीय कॉमेडियन भी कुछ न कुछ बकवास करते।
आज भाजपा अध्यक्ष पर उनके अधिकारिक यात्रा में बंगाल पुलिस के सामने यही हमला बंगाल में ममता बनर्जी के पार्टी कार्यकर्ताओं ने किया और गजब की शांति है। लोकतंत्र, धान की फसल की तरह लह लहा रहा है। सर्वत्र संविधान सुरक्षित है, और लोकतंत्र के सत्यापित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित वाले ठेकेदार परम शांति में हैं।
अब कोई वामी, कांग्रेसी, आपिया कुछ नही बोल रहा। यही सिलेक्टिव सेक्युलरिज़म है भाई मेरे। इसे समाप्त करने में समय लगेगा, लेकिन होगा। ऐसी हरकते और जेहाद, बामपंथी मानसिकता देश को गुलामी की ओर ढकेल रही है।
बिहार विधानसभा में जीत हासिल करने के बाद अब भाजपा का पूरा ध्यान पश्चिम बंगाल को फतह करने पर है। अभी से ही बीजेपी के बड़े नेताओं ने जोर लगाना शुरू कर दिया है। साल 2016 के विधानसभा चुनाव में जहां तृणमूल कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, और भाजपा को 10.16 फीसदी वोट के साथ सिर्फ 3 सीटें ही मिली थीं। वहीं, 2019 आते – आते परिस्थितियां बदल गईं, और लोकसभा चुनाव में भाजपा पश्चिम बंगाल की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में कुल 294 सीटें हैं, जिसमें से 2 सीटों पर सदस्यों को मनोनित किया जाता है। ऐसे में चुनाव सिर्फ 292 सीटों पर ही होता है।
शर्म, शर्म, शर्म है। ये आज का भारत है, कल ये मुझे स्वीकार्य नहीं है।