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तमिलनाडु – माफ़ कीजिये, आपको जीने का अधिकार नहीं, क्यूंकि आप ‘हिन्दू’ हैं

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Picture Credit - The News Minute

भारत में अब ऐसा समय आ गया है, की हिन्दू होना ही एक बहुत बड़ा अपराध सा बन गया है। कश्मीर से कन्याकुमारी और अटक से कटक तक हर दिशा में हिन्दुओ के साथ हो रहे जुल्म के किस्से अगर हम सुनाने बैठेंगे तो शायद कई दिन कई महीने निकल जाएंगे ।

अभी एक ताज़ा किस्सा है तमिलनाडु का, जहाँ रामनाथपुरम जिले में एक दुखद घटना हुई है जिसने हिन्दुओ को फिर से ये याद दिला दिया है, कि हिन्दू होना इस देश में एक बहुत ही बड़ा अभिशाप बन गया है। रामनाथपुरम ने वसंत नगर में एक २३ वर्षीय नौजवान हिन्दू अरुण कुमार की कुछ जिहादियों ने निर्मम हत्या कर दी।

अरुण कुमार का दोष सिर्फ इतना था कि वो एक हिन्दू था, और अपने आराध्य श्री गणेश जी का विसर्जन कर के वो घर लौट रहा था। पुलिस के अनुसार 12 हथियारबंद जिहादियों ने अरुण कुमार पर हमला किया, और उसे तब तक मारते रहे जब तक वो बेसुध नहीं हो गया, बाद में पुलिस जब अरुण कुमार को लेकर अस्पताल पहुंची, तो उसने वहां दम तोड़ दिया।

Picture credit – Organizer

वहां के लोकल लोगो के अनुसार अरुण कुमार ने एक पंडाल लगाया था, और उसमे श्री गणेश जी कि मूर्ती और भक्तो की सुविधा का भी इंतज़ाम किया था, जिहादी गुंडों से ये नहीं देखा गया, और उन्होंने धारदार हथियारों से अरुण और उनके एक अन्य सहयोगी योगेश्वरन पर हमला कर दिया , सौभाग्य से अरुण के सहयोगी योगेश्वरन को आंशिक चोटें ही पहुंची और वे अभी अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।

https://twitter.com/Indumakalktchi/status/1300504981498286080

तमिलनाडु की पुलिस, जो अपने सेकुलरिज्म के लिए मशहूर है, उन्होंने इस घटना को धार्मिक रंग देने से मना किया है, और ये कहा है की ये आपस की दुश्मनी का केस है। लेकिन तमिलनाडु पुलिस की बातो पर विश्वास करना आसान नहीं है, क्यूकी पिछले कुछ समय में ही तमिलनाडु में ऐसी कई हिन्दू अहित की घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमे पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है, पिछले ही दिनों तमिलनाडु पुलिस के ईसाईअफसर ने एक हिन्दू संत का अपमान किया था, जिसकी वजह से उस संत ने आत्महत्या कर ली थी, आज तक उस पुलिस अफसर पर कोई एक्शन नहीं हुआ है।

सूत्रों के अनुसार अभी तक इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां हुई हैं। गिरफ्तार लोगो के नाम हैं मोहम्मद रिआज़ ,शाहुल हमीद ,कमची, और सुरेश, इनके अलावा शेख अब्दुल रेहमान को पुलिस इस समय ढूंढ रही है। नामो से ही समझ आ रहा है की ये किस तरह की हत्या थी।अरुण कुमार का अंतिम संस्कार उनके गृह नगर में कर दिया गया है, लेकिन उनकी आत्मा को तब तक शान्ति नहीं मिलेगी जब तक उनके कातिलों को सजा नहीं हो जाती।

हत्या की खबर सुनते ही सैंकड़ो हिन्दू अस्पताल पहुंचे और इस घटना के अपराधियों पर तुरंत कार्यवाही की मांग करने लगे, लेकिन तमिलनाडु पुलिस का रवैया ढीलाढाला ही रहा । तमिलनाडु पुलिस का सारा ध्यान हत्यारो को पकड़ने के बजाये सोशल मीडिया से इस खबर को गायब करने पर है ।

यहाँ ये बात भी महत्वपूर्ण है की तमिलनाडु के मीडिया, सरकार और पुलिस ने इस घटना पर चुप्पी साध रखी है, जो थोड़ी बहुत आवाज़ उठ रही है वो सोशल मीडिया से ही उठाई जा रही है । तमिलनाडु की द्रविड़ियन पार्टियों ने भी इस मामले पर चुप्पी ओढ़ रखी है, जबकि ये अपने आपको हिन्दुओ का ठेकेदार बताते हैं। इसका कारण यही है की पीढित पक्ष का व्यक्ति हिन्दू है और हत्या करने वाले जिहादी हैं, जो सेकुलरो का प्रिय वोट बैंक होते हैं। अपने वोट बैंक को बचाने के लिए ही ये पार्टिया और सरकारें हिन्दुओ को हत्या पर चुप्पी साध लेती है।

पिछले कुछ सालो से देश भर में लिंचिंग और असहिष्णुता का गाना गाया गया, लेकिन जैसे ही हिन्दू कि लिंचिंग होती है, सेक्युलर और लिबरल गैंग चुप्पी ओढ़ लेते हैं, हिन्दू कि हत्या पर कोई सवाल नहीं करता, कोई प्रोटेस्ट नहीं होता, संसद में हल्ला नहीं होत। क्या हिन्दुओ कि जान इतनी सस्ती हो गयी है? इस सवाल का जवाब हमे ढूंढना ही पड़ेगा।

तमिलनाडु में हालात अब बिगड़ते जा रहे हैं, पहले वहां केवल चर्च और मिशनरी का ही बोलबाला होता था, लेकिन अब वहां जिहाद भी फैलाया जा रहा है, जिसे राजनैतिक पार्टियों का संरक्षण भी प्राप्त है। तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में पिछले कुछ सालो में जिहादी तत्वों की संख्या बढ़ गयी है, कुछ महीने पहले ही यहाँ से तीन ISIS के आतंकवादी पकडे गए थे, एक अन्य जिहादी एक पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या कर के भाग गया था।

तमिलनाडु BJP के सोशल मीडिया कन्वेनर निर्मल कुमार ने भी इस घटना पर एक ट्वीट किया और राज्य में हिन्दुओ की बिगड़ी दशा पर चिंता व्यक्त की ।

https://twitter.com/CTR_Nirmalkumar/status/1300713110651637761

तमिलनाडु भी अब केरल की राह पर चल पढ़ा है, केरल में भी वामपंथी और जिहादी अपने विरोधियो को ऐसे ही मौत की नींद सुला देते हैं , वही मॉडल अब तमिलनाडु में भी लागू किया जा रहा है और अगर ये ऐसे ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब तमिलनाडु से भी हिन्दुओ को भागना पड़ेगा, जैसे वे कश्मीर से जान बचा कर भागे थे ।

ये बड़ी ही शर्म की बात है, की तमिलनाडु जो हिंदुत्व का एक बहुत बड़ा केंद्र रहा है सदियों से , वहीं हिन्दुओ की ऐसी दुर्दशा हो गयी है, की वे अपने त्यौहार नहीं मना सकते, अपने आराध्य को नहीं पूज सकते, उन्हें नहीं पता कि अपने धर्म का पालन करने पर उनकी हत्या भी की जा सकती है।

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