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क्या कांग्रेस फिर से विभाजित हो सकती है?

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Rahul Gandhi | Pic Credit: Wikimedia Josephrasquinha
Rahul Gandhi | Pic Credit: Wikimedia Josephrasquinha

कांग्रेस मानसिक रूप से विभाजित ही है।

क्या आपको याद है सोनिया गांधी या राहुल गांधी जब अस्पताल में भर्ती थे, और कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओ ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें नया अध्यक्ष बनाने की माँग थी।

राहुल ने इतने में वरिष्ठ नेताओ को बीजेपी का दलाल वगैरह बता दिया था, इससे यह सिध्द होता है कि कांग्रेस में एक ऐसा बिन्दु तो है जहाँ वरिष्ठ नेताओ और गांधी परिवार में खटास है, वो कांग्रेस का पावर हाऊस कौन होगा?

गांधी कुनबा कांग्रेस को बांधे हुए है अगर गांधी कुनबा कांग्रेस छोड़ दे तो हैन्ड टु हैन्ड कांग्रेस की वैल्यु जीरो हो जाए तथा राज्य स्तर के नेता कांग्रेस हाईकमान में घुसने की कोशिश करे।

गांधी कुनबा = गले की हड्डी: गांधी परिवार कांग्रेस के गले की हड्डी है, राष्ट्रीय स्तर पर मोदी से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस के पास चर्चित चेहरा नहीं है, तथा कांग्रेस को फंडिन्ग भी गांधी कुनबे की वजह से ही मिलती है और फंडिन्ग बिना कोई भी पार्टी टिक नही सकती।

राहुल वैसे भी कांग्रेस मुक्त भारत में लगा हुआ है, तो कांग्रेस विभाजन की आवश्यकता नही पड़ेगी। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhan Sabha Chunav 2020) के लिए महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने पहले चरण के सभी 21 उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर लिये हैं। साथ ही इनको सिंबल भी दे दिया है।

पार्टी विधायक दल के नेता सदानंद सिंह और पूर्व मंत्री अवधेश सिंह इस बार खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे। पार्टी ने उन दोनों नेताओं को उनके चुनाव क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। पिछले विधानसभा चुनाव में इन 71 सीटों में सर्वाधिक 25 सीट राजद ने जीती थीं। जब महागठबंधन में शामिल दूसरे घटक दल जदयू को 21 और तीसरे घटक कांग्रेस को आठ सीटों पर जीत मिली थी। भाजपा ने इनमें से 14 सीट जीती थीं। जबकि हम, वाम और निर्दलीय प्रत्याशी ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की थी। इस बार गठबंधन की स्थिति भिन्न है। जदयू एनडीए में है तो वाम दल महागठबंधन का हिस्सा हैं।

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