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मुर्शिदाबाद : टीवी देखना, कैरम खेलना इत्यादि के खिलाफ जारी हुआ फतवा, क्या ममता राज में पश्चिम बंगाल 1400 साल पीछे जा रहा है ?

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Trunicle
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ममता बनर्जी के राज में किस तरह हिन्दुओ का शोषण हो रहा है उसका एक वाकया देखने को मिला है। मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने के लिए ममता बनर्जी उनके हर बेतुके फरमानो का मौन समर्थन कर रही है। हिन्दुओ के मानवाधिकारों का जिस तरह हनन किया जा रहा है, बंगाल में वो सभी को पता है, हिन्दुओ को उनके त्यौहार नहीं मनाने दिए जाते, तालिबानी शासन की साफ़ झलक दिखती है, ममता बनर्जी के राज में, हर साल दुर्गा पूजा जो कि प्रमुख त्यौहार है बंगाली लोगो का उस पर ममता प्रतिबंध लगा देती है | 2017 में दुर्गा विसर्जन के समय मोहर्रम भी पड़ रहा था, जिसके कारण ममता ने दुर्गा विसर्जन पर रोक लगा दी थी, सिर्फ अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए बाद में हाई कोर्ट की फटकार के बाद उन्होंने प्रतिबंध हटाए थे |

इस साल CAA के विरोध में ममता बनर्जी ने पैदल मार्च किया था, अपने वोट बैंक के लिए, लेकिन हिन्दुओ पर हो रहे अत्याचारों पर एक शब्द भी नहीं निकला इनके मुंह से यह है ममता बनर्जी की नफरत की राजनीती | बीजेपी के विधायक देबेन्द्र नाथ रॉय की इसी वर्ष जुलाई 2020 में हत्या कर दी जाती है और न जाने कितने बीजपी के कार्यकर्ताओ को मार डाला गया है ममता के राज में लेकिन ममता बनर्जी को यह सब नहीं दिखता हिन्दुओ को जैसे खत्म करने की कसम खाई है ममता बनर्जी ने | पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद जिले के मुस्लिम बहुल गांवों में एक अजीबोगरीब फतवा जारी किया गया जिसमे TV देखने, कैरम खेलने, लॉटरी खरीदने और फोन या कम्प्यूटर का इस्तेमाल कर गाने सुनने पर रोक लगा दी है। इन गांवों में फतवा जारी कर इस्लामी कट्टरवाद को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है। कमेटी के अनुसार यदि कोई भी फतवे का उल्लंघन करता पाया जाएगा तो उस पर 500 रुपये से लेकर 7,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

फतवों को नहीं मानने वालों को कान पकड़ कर उठक-बैठक लगवाई जाएगी और गंजा कर गांव में घुमाया जाएगा। यह फतवा 12,000 की आबादी वाले अद्वैत नगर गांव में हुई एक बैठक के बार जारी किया गया है। ये सभी गांव रघुनाथगंज अनुमंडल में आते हैं। अद्वैत नगर सोशल रिफॉर्म्स कमेटी के सचिव अजहरुल शेख ने कहा कि कुछ गतिविधियों पर रोक लगाई गई है। इनसे युवा नैतिक और सांस्कृतिक पतन की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह युवाओं इस्लाम के मजहबी नियमों के खिलाफ वाली फिल्में, गाने और सीरियल देखने की अनुमति नहीं दे सकते हैं। कमेटी की ओर से जारी किए गए फतवे और उनके उल्लंघन संबंधी सजाओं के पोस्टर सभी मुस्लिम बहुल गांवों में चिपकवाए गए हैं। जिसमें साफ लिखा गया है कि फतवे का उल्लंघन करने वाले लोग सजा भुगतने के लिए तैयार रहें। फतवे के अनुसार मोबाइल और कंप्यूटर का उपयोग करते हुए गाना सुनने वाले दोषियों पर 1,000 रुपये, कैरम खेलने वालों पर 500 रुपये और लॉटरी खरीदने वालों पर 2,000 रुपये का जुर्माना और उठक-बैठक लगवाई जाएगी।

इसी तरह शराब बेचने पर 7,000 रुपये जुर्माना, कान पकड़कर उठक-बैठक और गंजा कर गांव में घुमाया जाएगा। इसके अलावा शराब पीने वालों पर 2,000 रुपये का जुर्माना लगाने के साथ उनसे कान पकड़कर 10 उठक-बैठक लगवाई जाएगी। कमेटी द्वारा फतवे का उल्लंघन करने वालों की सूचना देने वालों को इनाम देने की भी घोषणा की गई है। इसके तहत हराम क्रियाकलापों पर नजर रखने और उल्लंघन करने वालों की सूचना देने वालों को 200 से 1,000 रुपये तक का इनाम दिया जाएगा। हैरानी की बात यह है कि आज के आधुनिक युग इस तरह के फतवे केवल पिछड़ेपन और मानिसक बीमारी का प्रदर्शन करते है, जहां दुनिया आगे बढ़ रही है वहीं कुछ कट्टरपंथी अपनी रूढ़िवादी सोच से समाज और देश को पीछे धकेलने पर तुले हुए है। सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस के स्थानीय नेताओं ने भी फतवे का समर्थन किया है।

वसाइपैकर के पंचायत प्रधान अब्दुर रउफ ने कहा कि शराब को प्रतिबंधित करना अच्छा निर्णय है। साथ ही उन्होंने कैरम खेलने और गाने सुनने पर प्रतिबन्ध का स्वागत किया है। वहीं शमशेरगंज ब्लॉक के प्रखंड विकास पदाधिकारी जॉयदीप चक्रवर्ती ने कहा कि अगर कोई भी फतवे के नाम पर कानून हाथ में लेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

Reference –

https://www.newindianexpress.com/nation/2020/aug/17/west-bengal-village-heads-in-murshidabad-district-issue-fatwa-banning-music-lottery-watching-tv-2184641.html

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