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आईये जानते हैं, सनातन धर्म में दीये का महत्त्व

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Diya In Sanatana Dharma | Pic Credit: Pixabay
Diya In Sanatana Dharma | Pic Credit: Pixabay

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राममंदिर निर्माण के शिलान्यास के शुभ अवसर पर समस्त प्रदेशवासियों से अपने घऱो पर दीप प्रज्जवलित करने की अपील की है ।।इसके पूर्व में भी , उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार ने इस वर्ष दीपावली के पावन अवसर पर भी अयोध्या में दीपोत्सव का जो दिव्य ,भव्य , अलौकिक आयोजन किया है , इसके लिए सरकार प्रशंसा के योग्य है ।।वहीं इस बार देव दीपावली के अवसर पर भी धर्म नगरी काशी में देव दीपावली के उत्सव पर  विशाल दीपोत्सव का नजारा देखने के लिए देश विदेश के नागरिकों का हुजूम उमड़ पड़ा ।। इस बार देव दीपावली के पावन अवसर पर काशी में लाखों लाख दीप प्रज्वलित किए गए ।।
आपने देखा होगा कोरोना काल में देश के प्रधानमंत्री जी ने कोरोना योद्धाओं के सम्मान में समस्त देशवासियों से 5 अप्रेल को अपने घर पर दीप प्रज्जवलित करने की अपील की थी।
आइये जानते हैं कि हर शुभ घड़ी एवं किसी मनोकामना पूर्ण हेतु  प्रारम्भ में   दीप प्रज्जवलित करने की परम्परा सनातन संस्कृति में कितनी महत्वपूर्ण है।।

 किसी भी आयोजन का प्रारम्भ हम सभी , बृहदारण्यक उपनिषद के प्रमुख मंत्र “असतो मां सद्गमय , तमसो मा ज्योतिर्गमय” के उच्चारण के  साथ दीप प्रज्जवलित करते हैं जिसका अर्थ , हे ईश्वर हमें असत्य से सत्य की ओर एवं अन्धकार से प्रकाश की ओर जाने का का मार्ग प्रशस्त करें ।।हिंदू धर्म में प्रकाश  की उपासना हमेशा सूर्य और अग्नि के रूप में होती रही है  ।। सूर्य के बारे में कहा जाता है कि सभी प्राणियों को प्रकाश और जीवन देने के लिए सूर्य की उत्पत्ति ईश्वर के दक्षिण नेत्र से हुई है। 
दीपक और इसकी ज्योति जीवन के समान ही ज्वलंत हैं। पृथ्वी, आकाश,अग्नि, जल, वायु इन सभी पांचों तत्वों से दीपक बनता और प्रकाशित होता है। दीपक जलाने से वातावरण में शुद्ध होता है। सरसों के तेल से दीपक जलाने से वातावरण में मौजूद विषैले कीटाणुओं का नाश होता है

दीपक हमें भूतकाल वर्तमानकाल एवं भविष्यकाल  तीनों से जोड़ता है और हमें आगे बढ़ने की सीख देता है।। ऋषियो  ने परिभाषित किया है कि मिट्टी का दीपक हमें प्रकृति से जोड़ता है यानी जो दीपक हैं वह पृथ्वी है अर्थात वर्तमान है और उसमें पड़ा घी भूतकाल का प्रतीक है और उसकी जलती हुई लो जो ऊपर की ओर बढ़ती है वह भविष्य काल को दर्शाती है और हमें अपने जीवन में सदैव आगे बढ़ने की प्रेरणा देती ।।
सनातन संस्कृति के त्यौहारों की मान्यताओं एवं उनमें चली आ रही परंपराओं पर गहनता से प्रकाश डालें तो ज्ञात होगा कि सभी त्योहार समाज के प्रत्येक वर्ग को जोड़ने का काम करते हैं  ।।
आज हमें नई युवा पीढ़ी को यह ज्ञात कराने की आवश्यकता है कि सनातन संस्कृति में दीपक का कितना महत्व है दीपक हमारी प्रकृति का प्रतीक है।।प्रत्येक पर्व पर या किसी शुभ कार्य पर दीपक जलाने का एक विशेष महत्व है ।।
आज के इस अत्याधुनिक दौर ने सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी को पहुंचाया है तो वह है सनातन संस्कृति में चली आ रही परंपराओं को , आज लगभग सनातन धर्म के सभी पर्व एवं त्योहारों में जो प्राचीन परंपराएं चली आ रही थी उनको आज के इस दौर की  पीढ़ी ने अंधविश्वास एवं अपने आप को आधुनिक बनाने की होड़ में  धूमिल कर दिया ।।ऐसा शायद इसलिए हुआ की जिस आधुनिकता की आज बात होती है वह हजारों साल पहले हमारे शास्त्रों में उपनिषदों में पुराणों में आदि ग्रंथों में उल्लेखित तो थी पर वह धर्म से जोड़ कर अप्रासंगिक बना दी गयी ।।
कई वर्षों तक यही मानने वाले की परमाणु की खोज पश्चिम देशों के वैज्ञानिकों ने की पर आज की अंग्रेजी माध्यम की किताबों में भी आने लगा है कि परमाणु की खोज सर्वप्रथम महर्षि कणाद ने की थी।।पूरी दुनिया के सभी देश आज अपनी अपनी सामर्थ्य के अनुसार विकास की ओर अग्रसर है पर शायद ही ऐसा कोई देश होगा जिसने अपनी परंपराओं अपनी संस्कृति पर इस विकास को हावी होने दिया है , पर भारत देश में आपको इसका उलट देखने को मिलता था ।। पर कुछ वर्षों में कुछ सुधार देखने को मिला है और  देखा जा सकता है कि भारत सरकार ने अपने देश के साथ साथ वैश्विक स्तर पर भी अपनी संस्कृति को एक अलग पहचान बनाने के लिए  कई कार्य किये है ।। जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार के कुंभ मेले के आयोजन का शोभन बढ़ाने एवं उसे एक विश्व स्तरीय पहचान दिलाने के लिए जो कार्य किये वह अविस्मरणीय एवं प्रशंसा के योग्य है ।। प्राचीन काल से पूरी दुनिया में  भारत की संस्कृति की एक अलग पहचान रही है ।। पर कई शताब्दियों तक बाहरी आक्रमणकारियों द्वारा हमारी संस्कृति को जो  चोट पहुंचाई गई है उसकी भरपाई करने में अभी समय लगेगा साथ ही साथ उन संस्कृतियों की पुनरुत्थान के लिए सरकारों के साथ साथ आमजनमानस  को भी विशेष रूप से अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी ।। इस राम मन्दिर निर्माण के शुभ अवसर पर हम सभी संकल्प लें कि दीपक के महत्व को समझेंगे और अपनी सनातन संस्कृति की परंपराओं को संरक्षित करने में अपना योगदान सुनिश्चित करेंगे।।
अभिनव दीक्षितबांगरमऊ उन्नाव

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