Home Opinions कोविड महामारी में जेईई और नीट परीक्षा – उचित कदम?

कोविड महामारी में जेईई और नीट परीक्षा – उचित कदम?

0
Pic Credit: HT File Youtube
Pic Credit: HT File Youtube

भविष्य गढ़ने के इरादों को नहीं थाम पायेगा कोविड!
जेईई और नीट परीक्षाओं के कराये न कराये जाने के सवाल ने पूरे देश को मथ डाला है. कोविड महामारी से जूझती केन्द्र की नरेन्द्र भाई मोदी सरकार के सामने भी बेशक यह धर्मसंकट रहा ही होगा कि भारत के भविष्य निर्माण के कदमों को थाम दिया जाये कि सावधानी के साथ आगे की तरफ बढ़ा जाये| अब जब पूरी दुनिया यह मान चुकी है कि कोविड से लड़ने का एकमात्र रास्ता ‘सावधानी की जिन्दगी’ है तो यह गंभीर जवाब मिल रहा है कि क्यों न मॉस्क, सोशल दूरी ‘न्यू-नार्मल’ के साथ आगे बढ़ा जाये? नरेन्द्र भाई की सरकार का परीक्षा कराये जाने का निर्णय दरअसल इसी सोच का प्रतिफल है|


मध्यवर्गीय परिवारों के ख्वाबों को बढ़ाना होगा
भारतीय सपनों से जो भली तरह परिचित हैं वो जानते हैं कि बच्चों के जन्म के साथ, कई बार तो जन्म के पहले से ही, तय हो जाता है कि बच्चा डॉक्टर बनेगा या इंजीनियर? आगे के पन्द्रह-सोलह साल सभी इसी ख्वाब को पोसने में लगे रहते हैं. कोचिंग सेंटर, स्कूल चयन, शिक्षक, शिक्षा का शहर, आस-पास की कम्युनिटी और मिलना-मिलाना, समारोहों में जाना या न जाना, मनोरंजन आदि-आदि पूरा परिवार मिलकर तय करता है और निर्णय की धुरी यही परीक्षा ही होती है|

बेशक, इस साल भी देश के लाखों परिवारों में सालों से ऐसे ही सपनों को जिया जा रहा था. मगर अचानक कोविड महामारी ने सब कुछ उलझा दिया. पूरी दुनिया लॉकडाउन और अनलॉक में उलझी तो लाखों सपने भी इसी भंवर में फंस गये. लेकिन नरेन्द्र भाई मोदी सरकार के कड़े, कुछ अप्रिय, दूर भविष्य के लिए हुए फैसले ने देश को आगे की राह दिखाई है|


ठहर जाना तो हिन्दुस्तान का विकल्प नहीं
दरअसल, किसी भी देश के लिए यह विकल्प नहीं है कि उसे लम्बे समय तक तालों में जकड़ दिया जाये. जंजीरों की जकड़ धीरे-धीरे हल्की करनी होगी, सावधानी के साथ हालात से जूझना होगा. कोविड से लड़ाई का भी फिलहाल यही एक मात्र रास्ता है. बीते महीनों में क्रमश: ढ़ील भी दरअसल इसी रणनीति का ही हिस्सा थी| अब जब कोरोना का रिकवरी रेट 75 फीसदी तक जा पहुंचा है तो धीरे-धीरे हमें भविष्य तैयार करने की राह पर भी बढ़ना ही होगा|

सरकार की बेहतर जागरूकता पॉलिसी का ही नतीजा है कि आज हर शहरी-गंवई जन-मानस यह भली भांति जानता है कि इस कोविड काल में उसका बर्ताव कैसा होना चाहिए? काफी हद तक हर चेहरे पर मॉस्क और ठेलने-धकेलने की हड़बड़ी से सार्वजनिक जीवन में परहेज इसी जागरूकता का ही तो नतीजा है|


‘विरोध के लिए विरोध’ ठीक नहीं
मौंजू यह कि इस कोविड काल में जब विरोधी दलों को सरकार के साथ जिन्दगी को आगे बढ़ाने की कवायद में तन-मन-धन से जुटना चाहिए था, वो विरोध की सियासत में अपनी ताकत खपा रही हैं. यह यही बताता है कि परिवार वाद के सहारे सियासत में ठौर ढूंढ रहे नेताओं को शायद जमीनी मध्यवर्गीय सपनों का इल्म नहीं और न ही देश को आगे बढ़ा ले जाने की मंशा ही है. वो आपदा में सत्ता के मुंगेरी सपने बुनने में ही लगे हैं. आपको बेशक यह पता ही होगा कि जब देश भर में परीक्षा के विरोध का ताना-बाना बुना जा रहा था तो देश-दुनिया के 150 से ज्यादा प्रोफेसर्स प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी को जल्द परीक्षा करवाने की मांग का पत्र लिख रहे थे. पत्र में लिखा गया कि मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा यानी जेईई मेंस और नीट में यदि और देरी हुई तो छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा. पत्र में हस्ताक्षर करने वालों में डीयू, इग्नू, लखनऊ यूनिवर्सिटी, जेएनयू, बीएचयू, आईआईटी दिल्ली और लंदन यूनिवर्सिटी, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ यरुशलम और इजराइल के बेन गुरियन यूनिवर्सिटी के भारतीय प्रोफेसर्स शामिल हैं|


परीक्षा कराना बेशक अग्नि-परीक्षा ही है
ऐसा नहीं कि कोविड की विभीषिका से एनटीए, जो जेईई मेन और नीट परीक्षा कराने जा रही है, अनभिज्ञ है. राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी ने सितंबर की परीक्षा के लिए खास तैयारी की है. परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाने, एक सीट छोड़कर बैठाने, प्रत्येक कमरे में कम उम्मीदवारों को बैठाने और प्रवेश-निकास की अलग व्यवस्था जैसे खास कदम उठाकर छात्रों को परीक्षा का बेहतर माहौल दिया जायेगा. एनटीए ने अपने एक बयान में साफ-साफ कहा है कि जेईई के लिए परीक्षा केंद्रों की संख्या 570 से बढ़ाकर 660 की गई हैं जबकि नीट परीक्षा अब 2,546 केंद्रों की बजाय 3,843 केंद्रों पर होगी. यहां बता दें कि जेईई कंप्यूटर आधारित परीक्षा है जबकि नीट पारंपरिक तरीके से कलम और कागज पर होती है. इसके अलावा जेईई-मुख्य परीक्षा के लिए पालियों की संख्या आठ से बढ़ाकर 12 कर दी गई है और प्रत्येक पाली में छात्रों की संख्या अब 1.32 लाख से घटाकर 85,000 हो गई है|


बेशक, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के लिए जेईई और नीट परीक्षा कराना बहुत आसान नहीं है. तकरीबन 25 लाख छात्रों की इन परीक्षाओं को करा ले जाने का हौसला भी अपने आप में बेशक बड़ा फैसला है. लेकिन मजबूत सरकारों के लिए ऐसे ही मुश्किल भरे फैसले लिटमस टेस्ट रहे हैं|

इंजी. अवनीश कुमार सिंह
शिक्षा क्षेत्र में अपने खास योगदान के लिए जाने जाते हैं. सामाजिक क्षेत्रों और राजनीति में भी खासा दखल रखते हैं. देश-दुनिया के समसामायिक मसलों पर आपके लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं. संप्रति आप भारतीय जनता पार्टी में अवध क्षेत्र के उपाध्यक्ष हैं|

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version