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येन जनानि कृषकः कदापि स्मरण न आगतवान अद्य निर्मयतु हितैषीम् – पीएम नरेंद्र मोदी: ! जिन लोगों को किसान कभी याद नहीं आए आज बन गए हितैषी – पीएम नरेंद्र मोदी !

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जनसंघस्य संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्यायस्य जयंतीयाम् पीएम मोदी: अकथयत् तत सः स्व विचारम् यत् कालम् रचयति स्म सः तम् कालखण्डस्य तुलनायाम् बहु प्रासंगिकमस्ति ! अयम् दीनदयाल महोदयैव आसीत्, यः भारतस्य राष्ट्रनीतिम्, अर्थनीतिम् समाजनीतिम् च् इति त्रयाणि भारतस्य अकूत सामर्थ्यस्य अनुरूपेण निश्चित कृतस्य वार्ता मुखरतया अकथयत् स्म, अलिखत् स्म !

जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्होंने अपने विचार जिस समय गढ़े थे वो उस कालखंड की तुलना में ज्यादा प्रासंगिक हैं ! ये दीनदयाल जी ही थे, जिन्होंने भारत की राष्ट्रनीति, अर्थनीति और समाजनीति, इन तीनों को भारत के अथाह सामर्थ्य के हिसाब से तय करने की बात मुखरता से कही थी, लिखी थी !

file photo साभार गूगल

अद्य अस्माकं मध्य इदृशं न्यूनैव जनाः सन्ति तानि दीनदयाल महोदयम् जीवितम्, अपश्यन्, अशृणुन् तेन सह कार्यम् अकुर्वन् वा ! तस्य स्मरणम्, तस्य निर्दिष्ट मार्गम्, तस्य दर्शनम्, जीवनम् प्रतिपलम् वयं पावनं कुर्याम:, प्रेरणाम् ददाम:, उर्जाया परिपूर्णयाम: !

आज हमारे बीच ऐसे कम ही लोग हैं जिन्होंने दीनदयाल जी को जीते जी, देखा हो, सुना हो या उनके साथ काम किया हो ! उनका स्मरण, उनके बताए रास्ते, उनका दर्शन, जीवन प्रति पल हमें पावन करता है, प्रेरणा देता है, ऊर्जा से भर देता है !

file photo साभार news 18

यत्र यत्र राज्येषु वयं सेवां कृतस्य अवसरम् प्राप्यानि तत्र तत्र इयमेव आदर्शानि परिपूर्णम् कृताय अतीव शक्तेन संलग्न्यते ! अद्य यदा देशम् आत्मनिर्भर निर्माय एकम् एकम् देश निवासिन् अथक परिश्रम कुर्वन्ति, तदा निर्धनानि, दलितानि, वंचितानि, युवानि, स्त्रियानि, कृषकानि, आदिवासिम्, श्रमिकानि तस्य अंशम् दास्य बहु ऐतिहासिकम् कार्यम् अभवत् !

जहां जहां राज्यों में हमें सेवा करने का मौका मिला है वहां वहां इन्हीं आदर्शों को परिपूर्ण करने के लिए उतने ही जी जान से लगे हुए हैं ! आज जब देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक एक देशवासी अथक परिश्रम कर रहा है, तब गरीबों को, दलितों, वंचितों, युवाओं, महिलाओं, किसानों, आदिवासी, मजदूरों को उनका हक देने का बहुत ऐतिहासिक काम हुआ है !

स्वतंत्रतास्य अनेकानि दशकानि एव कृषकस्य श्रमिकस्य च् नामे बहु उद्घोषम् उद्घोषयत्, वृहद वृहद घोषणापत्रम् अलिखयते, तु कालस्य कसौटिम् सिद्धम् कृतवान तत तानि सर्वाणि वार्तानि कति निरर्थकम् आसीत् ! देशम् तानि वार्तानि पूर्णरूपम् ज्ञायति !

आजादी के अनेक दशकों तक किसान और श्रमिक के नाम पर खूब नारे लगे, बड़े बड़े घोषणापत्र लिखे गए,लेकिन समय की कसौटी ने सिद्ध कर दिया है कि वो सारी बातें कितनी खोखली थी ! देश इन बातों को भली भांति जानता है !

एकविंशतानि सदीयाम् भारतम् विश्व पटले नव उच्चै ददाय, १३० कोटि तः अधिकम् भारतीयानाम् जीवनं उत्तम् निर्माय अद्य यत् केचनापि भवति, तस्मिन् दीनदयाल महोदयः यथा महान व्यक्तित्वानां बहु वृहद आशीर्वादम् अस्ति ! अस्माकं देशस्य कृषक:, श्रमिक: भातृ भगिनी, युवानि, मध्यम वर्गस्य हिते अनेकानि साधु ऐतिहासिकम् च् निर्णयानि ग्रहयते !

21वीं सदी के भारत को विश्व पटल पर नई ऊंचाई देने के लिए, 130 करोड़ से अधिक भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए, आज जो कुछ भी हो रहा है, उसमें दीन दयाल जी जैसे महान व्यक्तित्वों का बहुत बड़ा आशीर्वाद है ! हमारे देश के किसान, श्रमिक भाई बहन, युवाओं, मध्यम वर्ग के हित में अनेक अच्छे और ऐतिहासिक फैसले लिए गए हैं !

कृषकानां भाँति अस्माकं अत्र दशकानि एव देशस्य श्रमिकानि अपि विधिस्य प्रकरणे कृत्वा धारयतु ! यदा यदा श्रमिकानि स्व स्वरम् उत्थायत्, तदा तदा तानि कार्गदे एकम् विधि अददाते ! यत् पूर्वस्य श्रमिक विधिम् आसीत्, सः देशस्य अर्धजनसंख्या, अस्माकं महिला श्रमशक्ताय पूर्णम् नासीत् !

किसानों की तरह ही हमारे यहां दशकों तक देश के श्रमिकों को भी कानून के जाल में उलझाकर रखा गया है ! जब जब श्रमिकों ने आवाज़ उठाई, तब तब उनको कागज पर एक कानून दे दिया गया ! जो पहले के श्रमिक कानून थे, वो देश की आधी आबादी, हमारी महिला श्रमशक्ति के लिए काफी नहीं थे !


सम्प्रति इति नव विधै: अस्माकं भागिन्यः, जायानि, समानं मानदेयम् अदात्ये, तस्य अधिकम् भागिदारिम् सुनिश्चितम् कृतवान ! कृषकानि, श्रमिकानि स्त्रियाया: भांति च् लघु लघु स्वरोजगारेन संलग्नानि सखानाम् एकम् बहु वृहद वर्गम् इदृशं आसीत्, यस्य ज्ञानम् कदापि न लीयते !

अब इन नए कानूनों से हमारी बहनों को, बेटियों को, समान मानदेय दिया गया है, उनकी ज्यादा भागीदारी को सुनिश्चित किया गया है ! किसानों, श्रमिकों और महिलाओं की ही तरह छोटे छोटे स्वरोजगार से जुड़े साथियों का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा था, जिसकी सुध कभी नहीं ली गई !

रेहड़ी, पटरी, फेरी इते कार्यम् कृतानि लक्षानि सखा यत् आत्मसम्मानेन सह स्व कुटुंबम् भरण पोषणं कुर्वनः, तेभ्यः अपि प्रथमदा एकम् विशेष योजनां निर्मयत् ! कृषकानि, कृषिक्षेत्रस्य श्रमिकानि, लघु व्यापारीनि, असंगठित क्षेत्रस्य श्रमिकेभ्यः ६० वर्षस्य उम्रस्य उपरांत पेंशन बीमाया इति च् संलग्न योजनानि अस्माकं सरकारं प्रथमैव प्रारम्भम् कृतवान ! सम्प्रति नव प्रावधानै: सामाजिक सुरक्षायाम् इयम् कवच अत्यधिकम् सख्तम् भविष्यति !

रेहड़ी, पटरी, फेरी पर काम करने वाले लाखों साथी जो आत्मसम्मान के साथ अपने परिवार भरण पोषण करते हैं, उनके लिए भी पहली बार एक विशेष योजना बनाई गई है ! किसानों, खेत मजदूरों, छोटे दुकानदारों, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए 60 वर्ष की आयु के बाद पेंशन और बीमा से जुड़ी योजनाएं हमारी सरकार ने पहले ही आरंभ कर दिया है ! अब नए प्रवधानों से सामाजिक सुरक्षा का ये कवच और मजबूत होगा !

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