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पिंगली वेंकैय्या: शतचतुश्चत्वारिंशत् जयन्त्याम् विशेषम् – अमर: राष्ट्रध्वजम् सृजकः ! पिंगली वेंकैय्या के 144वीं जयन्ती पर विशेष – अमर राष्ट्रध्वज निर्माता !

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विजयी विश्वम् त्रिवर्णम् प्रियम्
ध्वजम् उच्चै रहतु अस्माकं

अस्य ध्वजस्य निच्चै निर्भयं,
ग्रहणतु स्वराज्यम् अयम् अविचलम् निश्चितम्,

बदन्तु भारत मातुः जयम्,
स्वतंत्रताम् भवतु उद्देश्यम् अस्माकं !!

श्याम लाल गुप्तेन १९२४ तमे विरचितम् अस्य गीतेन ओजम् उत्पादयते, त्रिवर्णस्य प्रति श्रद्धसि भावम् उत्पादयते, किं भवान् ज्ञायन्ति अयम् त्रिवर्णम् कथं अनिर्मयत् ? केन अस्य निर्मितम् अकरोत् ? आगतः ज्ञायन्ति !

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
झण्डा ऊंचा रहे हमारा

इस झंडे के नीचे निर्भय,
लें स्वराज्य यह अविचल निश्चय,

बोलें भारत माता की जय,
स्वतंत्रता हो ध्येय हमारा !!

श्याम लाल गुप्त द्वारा 1924 में लिखे गये इस गीत द्वारा ओज उत्पन्न हो जाता है,तिरंगे के प्रति श्रद्धा का भाव उत्पन्न हो जाता है,क्या आप जानते हैं यह तिरंगा कैसे बना ? किसने इसको निर्मित किया ? आइये जानते हैं !

साभार googal

केन अकरोत् राष्ट्रध्वजस्य प्रारूपम् प्रसाधितम् ?

किसने किया राष्ट्र ध्वज के प्रारूप को तैयार ?

पुरातन कालेन प्रत्येकम् सैन्यस्य स्व ध्वजम् अभवत् आसीत्, तु भारतीय स्वतंत्रताम् सेनानीनां स्व कश्चित ध्वजम् न आसीत, यस्य गृहित्वा गाँधीस्य दिशा निर्देशे १९१६ तमे पिंगाली वेंकैय्या: एकम् इदृषिम् ध्वजयस्य कल्पनाम् अकरोत् यत् सर्वे भारतवासिनाम् एके सूत्रे अबंधनात् ! पिंगली वेंकैय्या: रक्त हरित वर्णस्य च् पृष्ठभूमे अशोक चक्रम् निर्मयित्वा आनयत् तु गाँधीम् अयम् ध्वजम् इदृषिम् न अरूचत् तत यत् सम्पूर्ण भारतस्य प्रतिनिधित्वं कृत शक्नोति ! क्रमशः नव नव प्रारूपम् अनिर्मयत् तु कोपि ध्वजम् सदस्यानां मुख्य रूपेण गाँधीस्य रुचिकरं न आगतवान !

पुरातन काल से हर सेना का अपना ध्वज होता था, परन्तु भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों का अपना कोई ध्वज नहीं था, जिसको लेकर गांधी के दिशा निर्देश पर 1916 में पिंगली वेंकैय्या ने एक ऐसे ध्वज की कल्पना की जो सभी भारतवासियों को एक सूत्र में बाँध दे ! पिंगाली वेंकैय्या लाल और हरे रंग के पृष्ठभूमि पर अशोक चक्र बना कर लाए पर गांधी को यह ध्वज ऐसा नहीं लगा कि जो संपूर्ण भारत का प्रतिनिधित्व कर सकता हो ! लगातार नए नए प्रारूप बनाए गए लेकिन कोई भी ध्वज सदस्यों को मूल रूप से गांधी को पसंद नहीं आया !

अन्ते अखिल भारतीय संस्कृत कांग्रेसम् १९२४ तमे ध्वजे पिण्याक: वर्णम् मध्ये च् गदां सम्मिलितस्य उपदेशम् अस्य तर्कम् सह अददात् तत अयम् हिन्दूनाम् प्रतीकम् अस्ति ! तु १९३१ तमे कराची कांग्रेस समितिस्य सभायाम् पिंगली वेंकैय्येन प्रसाधितम् ध्वजम्, यस्मिन् पिण्याकम्, श्वेतम्, हरित वर्णम् च् सह केंद्रे अशोक चक्रम् स्थित: आसीत्, सर्वे सदस्यानां सम्मति अप्राप्तयत् ! अस्य ध्वजस्य निच्चै स्वतंत्रतासि युद्धम् अयोद्धुत् १९४७ तमे च् हिन्दुस्तानम् स्वतंत्रम् अभवत् !

अंत में अखिल भारतीय संस्कृत कांग्रेस ने 1924 में ध्वज में केसरिया रंग और बीच में गदा डालने की सलाह इस तर्क के साथ दी कि यह हिंदुओं का प्रतीक है ! लेकिन 1931 में कराची कांग्रेस कमेटी की बैठक में पिंगली वेंकैय्या द्वारा तैयार ध्वज, जिसमें केसरिया, श्वेत और हरे रंग के साथ केंद्र में अशोक चक्र स्थित था, सभी सदस्यों की सहमति मिल गई ! इसी ध्वज के तले आज़ादी की लड़ाई लड़ी गयी और 1947 में हिंदुस्तान स्वतंत्र हुआ !

साभार googal

पिंगली वैंकैय्यास्य परिचयम् !

पिंगली वेंकैय्या का परिचय !

पिंगली वेंकैय्यास्य जन्म २ अगस्त,१८७६ तमम् वर्तमान आंध्रप्रदेशस्य मछलिपत्तनमस्य निकषा भाटलापेन्नुमारूम् नामकम् स्थाने एकम् ब्राह्मणम् कुले अभवत् स्म ! अस्य पितु नाम हनुमंतारायुडु: मातु नाम वेंकटरत्नम्मा च् आसीत् ! मछलिपत्तनमात् मैट्रिक उत्तीर्णम् कृतस्य उपरांत, अवशेष शिक्षाम् पूर्णम् कृताय कोलंबो गतवान, पुनः भारत आगमने सः एकम् रेलवे प्रहरीम् रूपे पुनः च् बेल्लारे एकम् सरकारी कर्मचारिण्य्या: रूपे कार्यम् अकरोत् उपरांते सः एंग्लो वैदिक महाविद्यालये उर्दुम् जयपानीम् भाषास्य च् अध्ययनम् कृताय लाहौर गतवान !

पिंगली वेंकैय्या का जन्म 2 अगस्त, 1876 को वर्तमान आंध्र प्रदेश के मछलीपत्तनम के निकट भाटलापेन्नुमारु नामक स्थान पर एक ब्राह्मण कुल में हुआ था ! इनके पिता का नाम हनुमंतारायुडु और माता का नाम वेंकटरत्नम्मा था ! मछलीपत्तनम से हाई स्कूल उत्तीर्ण करने के बाद, शेष पढ़ाई को पूरा करने के लिए कोलंबो चले गये, पुनः भारत लौटने पर उन्होंने एक रेलवे गार्ड के रूप में और फिर बेल्लारी में एक सरकारी कर्मचारी के रूप में काम किया, बाद में वह एंग्लो वैदिक महाविद्यालय में उर्दू और जापानी भाषा का अध्ययन करने लाहौर चले गए !

वेंकैय्या बहु विषयानां ज्ञाता आसीत्, पिंगली वैंकैय्यास्य संस्कृत, उर्दू, हिंदी वा इत्यादयः भाषेषु साधु अधिकारम् आसीत् ! तस्य सहैव सः भू-विज्ञानम् कृषिस्य वा साधु ज्ञातापि आसीत् ! सः हिरस्य खानानां विशेषज्ञम् आसीत् ! १९०६ तमेन १९११ तमेव पिंगली मुख्य रूपेण कर्पासस्य शस्यसि विभिन्न प्रजातिस्य तुलनात्मकम् अध्ययने सलग्नयते !

वेंकैय्या कई विषयों के ज्ञाता थे,पिंगली वेंकैय्या की संस्कृत, उर्दू व हिंदी आदि भाषाओं पर अच्छी पकड़ थी ! इसके साथ ही वे भू-विज्ञान एवम कृषि के अच्छे जानकर भी थे ! वह हीरे की खदानों के विशेषज्ञ थे ! 1906 से 1911 तक पिंगली मुख्य रूप से कपास की फसल की विभिन्न किस्मों के तुलनात्मक अध्ययन में व्यस्त रहे !

गांधेन मेलनम् !

गाँधी से भेंट !

१८९९ तमेन १९०२ तमस्य मध्य दक्षिण अफ्रिकस्य बोअर युध्दस्य मध्य तत्रे वेंकैय्यास्य मेलनम् गांधेन अभवत्, सः तस्य विचारेण बहु प्रभावितम् अभवत् !

1899 से 1902 के बीच दक्षिण अफ्रीका के “बोअर” युद्ध के बीच वहां पर वेंकैय्या की मुलाकात महात्मा गांधी से हो गई, वे उनके विचारों से काफी प्रभावित हुए !

निधनम् !

निधन !

राष्ट्रीय ध्वजम् निर्मितस्य उपरांत पिंगली वैंकैय्यास्य ध्वजम् “ध्वजम् वेंकैय्या:” इति नामेन जनानां मध्य लोकप्रियम् अभवत् ! ४ जुलाई १९६३ तमम् पिंगली वैंकैय्यास्य निधनम् अभवत् !

राष्ट्रीय ध्वज बनाने के बाद पिंगली वेंकैय्या का झंडा “झंडा वेंकैय्या” के नाम से लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया ! 4 जुलाई, 1963 को पिंगली वेंकैय्या का निधन हो गया !

शतचतुश्चत्वारिंशत् जयन्त्याम् trunicle कुटुम्बस्य प्रत्येन पिंगली वेंकैय्याम् शत शत नमनम् !

144 वीं जयन्ती पर trunicle परिवार की ओर से पिंगली वेंकैय्या को शत शत नमन !

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